11 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD) को अक्सर लोग पुरुषों से जुड़ी बीमारी मानते हैं, लेकिन असल में इस बीमारी से महिलाएं भी उतनी ही प्रभावित हो रही हैं। महिलाओं में अक्सर एंजाइना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं, जो हार्ट में खून का प्रवाह कम होने के कारण होने वाला सीने का दर्द है। जानकारी की कमी और लक्षण को नजरअंदाज करना हार्ट अटैक का कारण बन सकता है। भारत में कोरोनरी आर्टरी डिजीज मौत का एक मुख्य कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के अनुसार, 2022 में भारत में 47.7 लाख से अधिक मौतें सीएडी के कारण हुईं। यह आंकड़ा लोगों में जागरुकता लाने और लक्षणों को पहचानने पर जोर देता है।
डॉ. रोहिता शेट्टी (मेडिकल अफेयर्स हेड, एबॅट इंडिया) के मुताबिक, हाल के रिसर्च से यह समझने में मदद मिली है कि सीएडी का असर पुरुषों और महिलाओं पर अलग-अलग हो सकता है। महिलाएं अक्सर समय पर इलाज में देरी जैसी समस्याओं का सामना करती हैं, जिससे खतरा बढ़ता है। एंजाइना का जल्दी पता लगाने और इसे ठीक करने के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। आप इन लक्षणों को भूलकर भी नजरअंदाज न करें।
एंजाइना के लक्षण
- सीने में दर्द
- छाती में भारीपन
- चेस्ट में दबाव महसूस होना
- महिलाओं में जबड़े या गर्दन में दर्द
- बहुत थकान महसूस होना
- सीने के बाहर असुविधा महसूस होना
महिलाओं में बढ़ती दिल की बीमारी
डॉ. सरिता राव (सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और डायरेक्टर कैथ लैब, अपोलो हॉस्पिटल्स, इंदौर) के मुताबित, महिलाओं में हृदय रोग को पहचानने की सबसे बड़ी चुनौती यह मिथक है कि उन्हें जोखिम स्वाभाविक रूप से कम है। यह सच है कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं में सीएडी जैसी हार्ट डिजीज आमतौर पर एक दशक बाद सामने आती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि महिलाएं इससे फ्री हैं। महिलाओं को हृदय रोग के जोखिमों और शुरुआती चेतावनी संकेतों के बारे में जागरुक करना जरूरी है। इसलिए, जीवनशैली में बदलाव और समय पर चिकित्सा देखभाल के महत्व के बारे में महिलाओं को जागरूक करना बहुत जरूरी है।
एंजाइना के कारण
75 साल की उम्र के बाद हार्ट की बीमारी के मरीजों में महिलाओं की संख्या अधिक होती है। इसमें मोटापा जैसी स्थितियां एंजाइना के खतरे को काफी बढ़ा देती हैं। महिलाओं में पुरुषों की तुलना में इस बात की 50% अधिक संभावना होती है कि उनकी बीमारी का पता नहीं चलेगा, जिससे उन्हें समय पर उपचार नहीं मिल पाता। जबकि समय पर और सही इलाज से बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है, लक्षणों को कम किया जा सकता है और लाइफ क्वालिटी को बेहतर बनाया जा सकता है।