16 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने एक हैरान करने वाले मामले में सोमवार को सख्त रुख अपनाते हुए दिल्ली पुलिस को गहराई से जांच करने का आदेश दिया है. यह मामला एक रूसी महिला विक्टोरिया बसु (Viktoria Basu) से जुड़ा है, जो अपने बेटे को लेकर अदालत की अनुमति के बिना भारत से फरार हो गई है. पुलिस की रिपोर्ट में पहली बार खुलासा हुआ है कि इस पूरी साजिश में रशियन एंबेसी (Russian Embassy) के एक वरिष्ठ रूसी राजनयिक की भी भूमिका रही, जिन्होंने महिला की भागने में मदद की और इसके लिए पूरी व्यवस्था भी की.
कैसे रची गई रशियन महिला की फरार करने की साजिश?
हिंदुस्तान टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी आर्थर गेर्बस्ट (Arthur Gerbst) ने एक भारतीय बिजनेसमैन विवान सहगल को महिला के लिए टैक्सी बुक करने को कहा था. सहगल पिछले 15 सालों से रूसी कंपनियों से जुड़े हुए हैं और अक्सर दूतावास जाते रहते हैं. उन्होंने पुलिस को बताया कि 4 जुलाई 2025 को जब वे वीजा बढ़वाने दूतावास पहुंचे, तब गेर्बस्ट ने उन्हें दिल्ली से उत्तर प्रदेश के सनौली और बाद में बिहार के नरकटियागंज तक टैक्सी बुक करने को कहा था
इसके बाद 9 जुलाई को गेर्बस्ट ने सहगल को 75,000 रुपये नकद दिए ताकि वह टैक्सी ड्राइवर को भुगतान कर सके. पुलिस ने सहगल और ड्राइवर दोनों के बयान दर्ज कर लिए हैं.
नेपाल के रास्ते रूस पहुंची विक्टोरिया
जांच में पता चला कि विक्टोरिया बसु पहले टैक्सी से दिल्ली से बिहार गईं, फिर वहां से नेपाल में दाखिल हुईं. नेपाल से उन्होंने शारजाह (Sharjah) के लिए फ्लाइट ली और वहां से आगे रशिया (Russia) पहुंच गईं. माना जा रहा है कि वह फिलहाल वहीं रह रही हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने जताया कड़ा रोष
सुप्रीम कोर्ट के जज सूर्यकांत और जॉयमाल्या बागची की बेंच ने दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि उन्होंने रूसी दूतावास के स्टाफ से कोई पूछताछ ही नहीं की, जबकि महिला वहीं आखिरी बार देखी गई थी. कोर्ट ने कहा कि यह अदालत के आदेश की खुली अवहेलना है और इसमें दूतावास के अधिकारियों की मिलीभगत साफ दिखती है. कोर्ट ने इस मामले को ‘बच्चे का अपहरण’ बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की अभिरक्षा से बच्चे को छीन लिया गया है और यह अदालत की गरिमा पर सीधा आघात है.
भारतीय पति के दस्तावेजों ने खोले राज
महिला के भारतीय पति ने सीलबंद लिफाफे में अदालत को कुछ दस्तावेज दिए हैं, जिनमें दावा किया गया है कि रूसी दूतावास के अधिकारियों ने न केवल मदद की बल्कि महिला के भागने का पूरा खर्च भी उठाया. दस्तावेज में खुलासा हुआ कि टिकट हांगकांग (Hong Kong) स्थित एक एजेंसी से खरीदे गए थे.
विदेश मंत्रालय भी कर रहा जांच
विदेश मंत्रालय (MEA) ने Mutual Legal Assistance Treaty (MLAT) के तहत रूस को अनुरोध भेजा है ताकि महिला और बच्चे का पता लगाया जा सके और आर्थर गेर्बस्ट की भूमिका की भी जांच की जा सके. वहीं, अभी दिल्ली पुलिस इंटरपोल के जरिए ब्लू कॉर्नर नोटिस (Blue Corner Notice) जारी करवाने की कोशिश कर रही है, ताकि विक्टोरिया बसु को ढूंढा जा सके.
बच्चा भारत से कैसे निकला?
कोर्ट ने चिंता जताई कि बच्चे का भारतीय पासपोर्ट तो सुप्रीम कोर्ट के पास ही है, फिर वह भारत से बाहर कैसे गया? या तो उसके लिए नया पासपोर्ट बनवाया गया या नकली पासपोर्ट का इस्तेमाल किया गया. इस पर भी जांच चल रही है. फिलहाल अदालत ने दिल्ली पुलिस और विदेश मंत्रालय दोनों को 10 दिन में ताजा स्टेटस रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. इसके बाद ही अगली सुनवाई होगी.
सारांश:
दिल्ली से अपने बेटे संग फरार हुई रूसी महिला बिहार होते हुए नेपाल पहुंच गई। आरोप है कि उसने सुप्रीम कोर्ट को गुमराह किया और इस पूरी योजना में रूसी दूतावास की भूमिका रही।