18 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : पाकिस्तान और सऊदी ने एक नई डिफेंस डील की है. यह समझौता नाटो की तरह है. डील के तहत किसी एक देश पर हमला दूसरे देश पर अटैक माना जाएगा. भारत के लिए यह टेंशन वाली बात है, क्योंकि उसके एक दोस्त और दुश्मन के बीच यह डील हुई है. भारत का विदेश मंत्रालय इस स्थिति पर नजर रख रहा है. पाकिस्तान के लिए यह समझौता भारत के खिलाफ है. वहीं सऊदी अरब की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. खास तौर से तब जब हाल ही में कतर पर इजरायल की ओर से एक बड़ा हमला हुआ है और इसने खाड़ी के सुन्नी देशों को हैरान कर दिया है. हालांकि एक्स्पर्ट्स का कहना है कि इस डील के जरिए पाकिस्तान सिर्फ भाड़े के सैनिकों का सप्लायर बनकर रह जाएगा. आइए जानें कि पाकिस्तान और सऊदी अरब में किसकी सेना कितनी ताकतवर है?

किसमें कितना दम?

फायर पावर इंडेक्स देखें तो सऊदी और पाकिस्तान के बीच एक बड़ी खाई है. इस इंडेक्स में जहां भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी ताकत है तो वहीं पाकिस्तान 12वें और सऊदी अरब 24वें नंबर पर है. सऊदी की आबादी जहां 3.5 करोड़ है तो वहीं पाकिस्तान की आबादी 25 करोड़ है. इसी कारण सऊदी अरब में जहां 257,000 सैनिक हैं तो वहीं पाकिस्तान में यह संख्या 654000 है. सऊदी अरब के पास एक भी रिजर्व्ड सैनिक नहीं हैं, वहीं पाकिस्तान के पास 5.5 लाख लोग रिजर्व सैनिक हैं.

पाकिस्तान के पास कुल 2627 टैंक हैं. जबकि सऊदी अरब के पास 840 टैंक हैं. इंडेक्स के मुताबिक जब सैन्य बजट की बात आती है तो पाकिस्तान इसमें फिसड्डी साबित हो जाता है. सऊदी अरब का बजट 78 बिलियन डॉलर है. वहीं पाकिस्तान का कुल बजट लगभग 9 बिलियन डॉलर से भी कम है. हालांकि बजट कम होने के बावजूद एयरफोर्स के विमानों और नौसेना के मामले में पाकिस्तान सऊदी अरब से आगे है.

पाकिस्तान और सऊदी एयरफोर्स की ताकत
पाकिस्तान के पास कुल एयरक्राफ्ट 1399 हैं. वहीं सऊदी अरब के पास 917 हैं. पाकिस्तान के पास 328 फाइटर एयरक्राफ्ट और सऊदी अरब के पास 283 फाइटर जेट हैं. एरियल टैंक के मामले में सऊदी अरब आगे है. उसके पास 22 एरियल टैंकर और पाकिस्तान के पास 4 एरियल टैंकर हैं.

क्या है नेवी की ताकत?

दोनों ही देशों के पास भारत की तरह कोई भी एयरक्राफ्ट कैरियर नहीं है. सऊदी के पास एक भी पनडुब्बी नहीं है, वहीं पाकिस्तान के पास 8 पनडुब्बियां हैं. फ्रिगेट की बात करें तो पाकिस्तान के पास 9 और सऊदी अरब के पास सात है.

सऊदी-पाकिस्तान ने क्यों की डिफेंस डील?

9 सितंबर को कतर पर इजरायल ने हमला किया. यह एक ऐसी घटना थी, जिसकी कभी शायद ही किसी ने कल्पना की हो. इस हमले ने सऊदी और यूएई की टेंशन बढ़ा दी. इस घटना ने दिखा दिया कि इजरायल को वह पूरी तरह कंट्रोल नहीं कर पा रहा, जिसने अमेरिका की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए. रिपोर्ट्स के मुताबिक सऊदी अरब का यह कदम अमेरिकी दबाव से अलग, सऊदी की स्वतंत्र विदेश नीति का हिस्सा है. इसके जरिए अब सऊदी पाकिस्तान की ‘न्यूक्लियर छतरी’ के नीचे आ सकता है.

भाड़े के सैनिक भेजेगा पाकिस्तान!

ईरान एक शिया देश है, जिसके साथ सऊदी अरब का पुराना विवाद है. वह हूती विद्रोहियों को समर्थन देता है, जो सऊदी पर हमला करते हैं. वहीं इजरायल की आक्रामकता ने सऊदी को अपनी सुरक्षा के लिए चिंता में डाल दिया. इसके अलावा ट्रंप प्रशासन को लेकर भी सऊदी का विश्वास कम हुआ है. पश्चिमी एशिया मामलों के जानकार जहाक तनवीर का कहना है कि पाकिस्तान और सऊदी में पहले भी ऐसे समझौते होते रहे हैं. खास बात है कि ये समझौते मुख्यतः सऊदी अरब की सुरक्षा के लिए होते हैं न कि पाकिस्तान के लिए. पाकिस्तान IMF लोन और सऊदी निवेश पर निर्भर है. ऐसे में एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सऊदी अरब ऐसी किसी भी डील में सिर्फ धन देगा और पाकिस्तान अपने सैनिकों को भाड़े पर लड़ने के लिए भेजेगा.

तनवीर कहते हैं, ‘1980 से 1988 के बीच हुए ईरान–इराक युद्ध में पाकिस्तान ने रियाद को आश्वासन दिया था कि सऊदी पर किसी भी हमले को पाकिस्तान पर हमला माना जाएगा। हालांकि यह महज एक राजनीतिक भरोसा था, कोई बाध्यकारी संधि नहीं. भारत के साथ पाकिस्तान के युद्धों (1965, 1971 और 1999 का कारगिल युद्ध) में रियाद ने पाकिस्तान को वित्तीय और कूटनीतिक मदद दी, लेकिन कभी भी भारत के खिलाफ अपनी सेना नहीं भेजी.

सबसे अहम बात यह है कि सऊदी अरब ने कभी पाकिस्तान की भारत के खिलाफ आतंकवाद को बढ़ावा देने वाली गतिविधियों का समर्थन नहीं किया. उल्टा, रियाद के भारत के साथ गहरे रणनीतिक और आर्थिक रिश्ते हैं, जिन्हें वह पाकिस्तान के सैन्य साहसिक कदमों के लिए दांव पर नहीं लगाएगा. निचोड़ यही है कि यह नया समझौता भी पूरी तरह सऊदी-केंद्रित है. पाकिस्तान की सेना अक्सर सऊदी हितों के लिए ‘किराए की फौज’ की तरह इस्तेमाल होती रही है, लेकिन सऊदी अरब की सेना ने कभी और शायद कभी भी पाकिस्तान के बचाव में भारत के खिलाफ युद्ध नहीं किया.’

Bharat Baani Bureau

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