नई दिल्ली 18 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) . टॉस के समय हाथ मिलाना एक पुरानी परंपरा है पर एंडी पाइक्रॉफ्ट ने जो कुछ भी किया वह एमसीसी के क्रिकेट नियमों के विरुद्ध नहीं था, जबकि मोहसिन नक़वी की आक्रामक रणनीति ने उस टूर्नामेंट को खतरे में डाल दिया जिसकी रक्षा करना उनका कर्तव्य था और इसलिए, एशिया कप अभी जारी है. जब तक पाकिस्तान इन खिलौनों को गाड़ी से बाहर फेंकने का अगला कारण नहीं ढूंढ लेता पिछले तीन दिनों में, बेचारे एंडी पाइक्रॉफ्ट ने ज़िम्बाब्वे के साथ अपने नौ साल के मामूली अंतरराष्ट्रीय करियर के दौरान जितना सम्मान हासिल किया था, उससे हज़ार गुना ज़्यादा सम्मान अब हासिल किया हैं इसे और भी हैरान करने वाली बात यह है कि उनके व्यवहार पर हंगामा पूरी तरह से बेमानी है.
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड का आरोप है कि पाइक्रॉफ्ट ने ही सलमान आगा को टॉस के समय सूर्यकुमार यादव से हाथ न मिलाने के लिए कहा था. उनका दावा है कि ऐसा करके पाइक्रॉफ्ट ने क्रिकेट के नियमों के विरुद्ध काम किया लेकिन बात यह है कि मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब के नियमों में हाथ मिलाने के बारे में कुछ नहीं कहा गया है. रेफरी केवल खेल के नियमों पर ध्यान केंद्रित करते हैं खेल की परिस्थितियाँ, स्कोरिंग, आउट और आचरण और रीति-रिवाजों या परंपराओं के बारे में कुछ नहीं कहते.
लेकिन हमें खुद को यह भ्रम नहीं देना चाहिए कि भारत-पाकिस्तान मैच सामान्य परिस्थितियों में खेला जा रहा था. अगर कुछ है, तो वह हाथ मिलाना क्रिकेट की उस भावना से जुड़ा है जिसे अक्सर गलत समझा जाता है, जो इन कानूनों की प्रस्तावना का हिस्सा है. इसमें आपसी सम्मान का ज़िक्र ज़रूर है, और खिलाड़ियों द्वारा विरोधियों का ध्यान भटकाने, उन्हें डराने या चुनौती देने की कोशिश न करने की बात भी कही गई है. आप तर्क दे सकते हैं कि पाइक्रॉफ्ट के कार्यों ने वास्तव में क्रिकेट की भावना को मज़बूत किया. उन्हें यह स्पष्ट रूप से बता दिया गया था कि भारतीय खिलाड़ी बीसीसीआई द्वारा दिए गए निर्देश के आधार पर विरोधी टीम से हाथ नहीं मिलाएँगे. लाखों दर्शकों के सामने आगा द्वारा हाथ बढ़ाने और उन्हें ठुकराए जाने के बजाय, पाइक्रॉफ्ट ने सुनिश्चित किया कि ऐसा कोई दृश्य न हो.
रविवार को जब दोनों देश सुपर 4 में फिर से भिड़ेंगे, तो यही स्थिति शायद देखने को मिलेगी. चूँकि स्वदेश में जनता हाथ न मिलाने की नीति के पक्ष में है, इसलिए इस बात की लगभग कोई संभावना नहीं है कि भारत रविवार को अपना रुख बदलेगा. क्रिकेट के नियमों में ऐसा कुछ भी नहीं है जो उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करे. जहाँ तक पाकिस्तान की बात है, तो वे या तो रोते-बिलखते रहें और झूठी अफवाहें फैलाते रहें, या फिर उस चीज़ पर ध्यान केंद्रित करें जो मायने रखती है थोड़ा-बहुत अच्छा क्रिकेट खेलना. मोहसिन नक़वी के बारे में भी एक बात, जिनके लापरवाह व्यवहार ने पूरे टूर्नामेंट को खतरे में डाल दिया. पाकिस्तानी कैप पहनते हुए, नक़वी शायद यह भूल गए कि वे एशियाई क्रिकेट परिषद के वर्तमान प्रमुख हैं. पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (पीसीबी), जिसकी आर्थिक स्थिति पिछले कुछ समय से अच्छी नहीं रही है, अकेले इस एशिया कप से लगभग 15 मिलियन डॉलर कमा सकता है. हर साल, एसीसी अपनी आय को बाँटता है, जिसमें पाँच टेस्ट खेलने वाले देशों में से प्रत्येक को 15 प्रतिशत मिलता है.
यह पैसा भारत के लिए सागर में एक बूँद के समान है अगर एसीसी कल बंद हो भी जाए, तो भी भारतीय क्रिकेट पर इसका ज़रा भी असर नहीं पड़ेगा हालाँकि, पाकिस्तान सहित अन्य बोर्डों के लिए इसके भयावह परिणाम होंगे. इसीलिए कहते है कि आसमान पर थूंकने से पहले सौ बार सोचिए .