22 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) आईटी इंडस्ट्री के संगठन नैसकॉम (Nasscom) ने सोमवार को कहा कि अमेरिकी सरकार के H1-B वीजा शुल्क बढ़ोतरी के वीजा धारकों पर लागू नहीं होने को लेकर स्पष्ट जानकारी देने से इसकी पात्रता और समय सीमा से संबंधित अस्पष्टता दूर हो गई है। नैसकॉम का कहना है कि भारतीय आईटी कंपनियों पर इसका मामूली असर रहने की उम्मीद है।
पीटीआई के मुताबिक, नैसकॉम ने कहा कि वीजा शुल्क बढ़ोतरी पर आई स्पष्टता से अमेरिका से बाहर रहने वाले एच-1बी धारकों की अनिश्चितता संबंधी चिंताएं दूर होंगी। अमेरिकी सरकार ने कहा है, ‘‘21 सितंबर, 2025 को पूर्वी डेलाइट समयानुसार रात 12:01 बजे के बाद जमा किए जाने वाले किसी भी नए एच1बी वीजा आवेदन के साथ एक लाख डॉलर का भुगतान करना अनिवार्य है।’’
H1-B वीजा पर निर्भरता घटाई
आईटी इंडस्ट्री संगठन ने एक बयान में कहा गया कि अमेरिका में काम कर रहे भारतीय और भारत से संबंधित कंपनियों ने एच1बी वीजा पर अपनी निर्भरता काफी कम कर दी है और वे स्थानीय लोगों की भर्ती बढ़ा रही हैं। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख भारतीय और भारत से जुड़ी कंपनियों को जारी किए गए एच1बी वीजा की संख्या 2015 में 14,792 से घटकर 2024 में 10,162 रह गई है। बयान में कहा गया, ‘‘ इन बातों को देखते हुए हम इस क्षेत्र पर मामूली असर की ही उम्मीद करते हैं।’’
बता दें, नैसकॉम (नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विस कंपनीज) एक गैर-लाभकारी संगठन है जो भारत के सूचना प्रौद्योगिकी और ‘बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट’ उद्योग का प्रतिनिधित्व करता है।
शीर्ष इंडस्ट्री संगठन ने कहा, ‘‘यह शुल्क 2026 से लागू होगा जिससे कंपनियों को अमेरिका में कौशल कार्यक्रम को और बेहतर बनाने एवं स्थानीय स्तर पर अधिक कर्मचारियों की भर्ती करने के लिए पर्याप्त समय मिलेगा।’’
US के बयान के बाद IT इंडस्ट्री को राहत
भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) इंडस्ट्री ने रविवार को उस समय राहत की सांस ली जब अमेरिकी सरकार ने स्पष्ट किया कि एच1बी वीजा आवेदन का एक लाख रुपये का नया शुल्क केवल नए आवेदकों पर लागू होगा और मौजूदा वीजा धारकों अथवा वीजा नवीनीकरण पर इसका कोई असर नहीं होगा।
एच1बी वीजा शुल्क करीब 2000 डॉलर से 5000 डॉलर के बीच होता है, जो नियोक्ता के आकार और अन्य खर्चों पर निर्भर करता है। इस बीच, अमेरिका की सरकार ने कहा है कि 21 सितंबर के बाद जमा किए गए सभी नए एच1बी वीजा आवेदनों के लिए एक लाख अमेरिकी डॉलर का शुल्क देना होगा जिसकी घोषणा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में की थी।