22 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) आजकल खाना पकाने के कई तरीके आ गए हैं। पहले जहां सिर्फ चूल्हे पर खाना पकाया जाता था। उसके बाद गैस पर खाना बनने लगा। अब माइक्रोवेव और एयर फ्रायर का जमाना है। ओटीजी और तंदूर का इस्तेमाल कुकिंग के लिए किया जाने लगा है। ऐसे में लोगों को समझ नहीं आता कि कौन सा खाना सेहत के लिए बेहतर होता है। इनसे होने वाले नुकसान क्या हैं और क्या अलग अलग इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिकल कुकिंग एप्लाइंसेस से तैयार किया गया खाना कैंसर का कारण हो सकता है। कौन से तरीके से पकाया हुआ खाना कैंसर के खतरे को बढ़ा रहा है। डॉक्टर जयेश शर्मा, सीनियर सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर सर्जन) ने इसे लेकर एक वीडियो शेयर किया है। जिसमें उन्होंने बताया है डीप फ्राई, एयर फ्राई या माइक्रोवेव में बने खाने के क्या फायदे और क्या नुकसान हैं और इनसे कैंसर का खतरा कितना ज्यादा है?
एयर फ्रायर में बना खाना- एयर फ्रायर बेसिकली एक ओवन है जिसमें गर्म हवा सर्कुलेट होती है और उससे खाना पका होता है उसके ऊपर एक पतली सी हम ऑयल की लेयर लगाते हैं तो वह खाना क्रिस्पी भी हो जाता है। कोई भी स्टार्च चीज जैसे आलू या मैदा हम हाई टेंपरेचर पे कुक करते हैं तो उसके ऊपर एक मस्त गोल्डन ब्राउन ऐसी लेयर बन जाती है उसको मैलार्ड रिएक्शन (Maillard reaction) कहते हैं।
तेल में डीप फ्राई किया खाना- डीप फ्राइंग में टेंपरेचर्स काफी ज्यादा होते हैं। अगर डीप फ्राइंग को एयर फ्रायर से तुलना करें तो उसमें मैलार्ड रिएक्शन ज्यादा होता है ऑयल को बार-बार हीट किया जाता है और बहुत ज्यादा हीट करते हैं जिससे धुंआ निकलने लगे, तो उससे एचसीए ऑयल में बन जाते हैं। ये कैंसर से को रिलेटेड है। तीसरा होता है ट्रांस फैट, अगेन जब ऑयल को बार-बार हीट करते हैं तो उसमें ट्रांस फैट्स बनते हैं और वो भी कैंसर से रिलेटेड हैं। ट्रांस फैट्स एयर फ्रायर में नहीं बनते हैं एचसीएल और एक्रलामाइड बन सकते हैं डीप फ्राई करने की तुलना में बहुत कम बनते हैं
माइक्रेवेव में बना खाना- अगर हम इसको बेकिंग से या माइक्रोवेव से कंपेयर करें तो माइक्रोवेव में यह और कम होता है लेकिन माइक्रोवेव में ट्रांस फैट बनने का चांस है अगर हम खाने को बार-बार गर्म करें। हर तरह के कुकिंग मेथड के अपने फायदे नुकसान है।
किस तरह पकाया हुआ खाना कैंसर के खतरे को बढ़ाता है
- डीप फ्राइंग सबसे ज्यादा खतरनाक है खासकर जब हम मार्केट में मिलने वाली चीजें खाते हैं। जिसमें तेल को बार-बार गर्म किया जाता है। जैसे आप बाहर से अगर समोसा मंगा के खा रहे हैं टेस्टी तो होगा लेकिन उसमें एक्रिलामाइड एचसीएल और ट्रांस फैट्सहोने का चांस बहुत ज्यादा होता है तो एयर फ्रायर में डीप फ्राइंग से रिस्क कम है।
- एयर फ्रायर के खतरे को और कम कैसे कर सकते हैं। इसका टेंपरेचर बहुत ज्यादा एक्सीड ना करें। बहुत ज्यादा लंबे समय तक कुक न करें। एयर फ्रायर को क्लीन करते रहे। क्योंकि फैट अंदर जमा होता रहता है और वो बार-बार हीट करके अगली बार जब आप खाना पकाए उसमें ट्रांस फैट्स और एचसीएस बनने का चांस बढ़ा देता है।