13 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करने के बाद रिफंड का इंतजार हर साल लाखों टैक्सपेयर्स के लिए तनाव का सबब बन जाता है। खासकर जब ई-फाइलिंग पोर्टल पर स्टेटस ‘प्रोसेस्ड’ दिखा रहा हो, लेकिन बैंक अकाउंट में पैसा न आया हो। सितंबर 2025 में ITR फाइल करने की आखिरी तारीख (16 सितंबर) गुजरने के बाद भी कई लोग इसी दुविधा में हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के आंकड़ों के मुताबिक, ITR फाइल करने की आखिरी तारीख 16 सितंबर तक 7,53,30,860 ITR फाइल हो चुके थे। हालांकि, टैक्सपेयर्स 16 सितंबर के बाद अभी भी 31 दिसंबर तक बिलेटेड ITR फाइल कर सकते हैं।
लेकिन अब, रिफंड क्रेडिट में देरी टैक्सपेयर्स के लिए आम शिकायत बन चुकी है। यह समस्या अक्सर छोटी-मोटी गलतियों या बैकएंड प्रक्रियाओं से जुड़ी होती है। आइए समझते हैं कि यह क्यों होता है और इसे कैसे ठीक किया जा सकता है।
रिफंड प्रोसेसिंग में देरी के पीछे का कारण
ITR फाइल करने और ई-वेरिफिकेशन के बाद डिपार्टमेंट रिफंड प्रोसेसिंग शुरू करता है। सामान्यतः, ई-वेरिफिकेशन के 7 से 21 कामकाजी दिनों में प्रोसेसिंग शुरू हो जाती है, और रिफंड 4-5 हफ्तों में बैंक अकाउंट में जमा हो जाता है। हालांकि, अगर रिफंड 50,000 रुपये से ज्यादा का है, तो अतिरिक्त जांच के कारण इसमें थोड़ा और समय लग सकता है।
लेकिन ‘प्रोसेस्ड’ स्टेटस के बावजूद रिफंड न आने की कई वजहें हो सकती हैं। ये देरी अक्सर टैक्सपेयर की ओर से की गई छोटी चूक या डिपार्टमेंट की आंतरिक जांच से पैदा होती हैं। मुख्य कारणों में शामिल हैं:
- बैंक डिटेल्स में गलती या अनवैलिडेटेड अकाउंट: अगर बैंक अकाउंट नंबर, IFSC कोड या माइक्रो-IFSC में गलती हो, तो रिफंड ‘फेल’ हो जाता है। डिपार्टमेंट इसे तीन बार ट्राई करता है, उसके बाद पेमेंट को को रिजेक्ट कर दिया जाता है।
- PAN-आधार लिंकिंग में दिक्कत: अगर PAN आधार से लिंक न हो, तो रिफंड प्रक्रिया रुक जाती है। यह समस्या खासकर उन लोगों में देखी जाती है जिन्होंने अभी तक लिंकिंग पूरी नहीं की।
- डेटा मिसमैच या गलत क्लेम: Form 26AS, AIS (एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट) या TIS (टैक्स इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट) से डेटा न मिलने पर डिपार्टमेंट नोटिस भेजता है। उदाहरण के लिए, डिडक्शन या एग्जेम्प्शन के दावे में अतिरिक्त दस्तावेज न देने से जांच लंबी खिंच जाती है।
- मुश्किल रिटर्न या हाई-वैल्यू रिफंड: कैपिटल गेन या बिजनेस इनकम वाले रिटर्न में क्रॉस-वेरिफिकेशन ज्यादा समय लेता है। इसी तरह, 1.8 लाख रुपये जैसे बड़े रिफंड में FEMA (Foreign Exchange Management Act) जैसी अतिरिक्त जरूरी जांच हो सकती है।
- पुराने लंबित रिटर्न: AY 2023-24 के कुछ रिटर्न नवंबर 2025 तक प्रोसेस हो सकते हैं, अगर वे जुलाई 2023 तक फाइल हुए थे।
इनमें से ज्यादातर मुद्दे आसानी से हल हो जाते हैं, बशर्ते टैक्सपेयर सक्रिय रहे। सितंबर 2025 के बाद फाइल रिटर्न में भी बैकएंड स्लोडाउन के कारण देरी देखी गई है, खासकर GST टर्नओवर से मेल न खाने पर।
रिफंड स्टेटस कैसे करें चेक?
पहला कदम है रिफंड स्टेटस की जांच। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का ई-फाइलिंग पोर्टल इसकी सुविधा देता है, जो रीयल-टाइम अपडेट देता है। यहां स्टेप-बाय-स्टेप तरीका है:
- पोर्टल पर लॉगिन करें: incometax.gov.in पर जाएं और लॉगिन आईडी (PAN) और पासवर्ड से साइन इन करें।
- ई-फाइल सेक्शन चुनें: डैशबोर्ड पर ‘ई-फाइल’ > ‘इनकम टैक्स रिटर्न’ > ‘व्यू फाइल्ड रिटर्न’ पर क्लिक करें।
- असेसमेंट ईयर सिलेक्ट करें: संबंधित AY चुनें और ‘रिफंड स्टेटस’ पर जाएं।
- डिटेल्स देखें: यहां स्टेटस के अलावा क्रेडिट डेट, फेल रीजन (अगर कोई हो) और अगली एक्शन दिखेगा।
अगर स्टेटस ‘रिफंड इश्यूड’ दिख रहा है लेकिन पैसे न आएं, तो ‘व्यू डिटेल्स’ में लाइफ साइकल चेक करें। कभी-कभी ईमेल या SMS में नोटिफिकेशन आता है, जो मिस हो सकता है। छोटे रिफंड (15,000 रुपये तक) उसी दिन क्रेडिट हो सकते हैं, जबकि मुश्किल मामलों में एक महीना लग सकता है।
अगर स्टेटस ‘अंडर प्रोसेस’ अटका है, तो ‘पेंडिंग एक्शन’ सेक्शन में मिसमैच देखें। उदाहरण के लिए, अगर डिडक्शन क्लेम में डॉक्यूमेंट्स मांगे गए हैं, तो उन्हें अपलोड करें।
देरी दूर करने के लिए स्टेप-बाय-स्टेप प्रोसेस
देरी को ठीक करने के लिए तुरंत एक्शन लें। यहां क्रमबद्ध तरीका है:
- बेसिक चेक करें: बैंक स्टेटमेंट, Form 26AS और AIS से मैच करें। अगर मिसमैच हो, तो रेक्टिफिकेशन फाइल करें – ‘ई-फाइल’ > ‘रेक्टिफिकेशन’ से ऑनलाइन संशोधन करें।
- बैंक डिटेल्स अपडेट करें: प्रोफाइल सेक्शन में सही IFSC और अकाउंट डालें। अगर रिफंड फेल हुआ है, तो ‘क्लेम रिफंड री-इश्यू’ का ऑप्शन चुनें।
- ग्रिवांस फाइल करें: पोर्टल पर ‘ग्रिवांस’ > ‘सबमिट ग्रिवांस’ से शिकायत दर्ज करें। इसमें PAN, AY और समस्या डिटेल दें। डिपार्टमेंट 15-30 दिनों में जवाब देता है।
- हेल्पलाइन कॉन्टैक्ट: CPC हेल्पलाइन 1800-103-0025 पर कॉल करें या ईमेल facelessassessment.ird@gov.in भेजें। बड़े रिफंड के लिए अतिरिक्त दस्तावेज (जैसे फॉरेन रेमिटेंस रसीद) तैयार रखें।
- इंटरेस्ट का हक: अगर देरी डिपार्टमेंट की ओर से है, तो सेक्शन 244A के तहत 0.5% प्रति माह ब्याज मिलेगा। लेट फाइलिंग पर यह लागू नहीं होता।
ये कदम अपनाने से ज्यादातर मामले सुलझ जाते हैं। सितंबर 2025 के बाद भी पोर्टल पर लोड ज्यादा होने से प्रोसेसिंग धीमी रही, लेकिन सक्रिय फॉलो-अप से रिफंड जल्दी आ जाता है।
सारांश:
कई करदाताओं को ITR रिफंड स्टेटस में ‘प्रोसेस्ड’ दिखने के बावजूद पैसा उनके बैंक अकाउंट में नहीं मिला। ऐसा होने पर आयकर विभाग से रिफंड स्टेटस चेक करना और गलतियों या पेंडिंग इश्यू को ऑनलाइन या हेल्पलाइन के जरिए समाधान करना जरूरी है।