पटना 14 अक्टूबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) . बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी जमीन पर कार्यकर्ताओं और नेताओं की गर्माहट अभी शुरू ही हुई है कि नीतीश कुमार की जेडीयू को अपने ही घर में दोहरी चुनौती मिली है. भागलपुर से सांसद अजय मंडल ने टिकट बंटवारे में ‘अनदेखी’ का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर इस्तीफे की पेशकश कर दी, वहीं गोपालपुर से विधायक गोपाल मंडल सीएम आवास के बाहर धरने पर बैठकर टिकट की मांग पर अड़ गए. दोनों ही ‘मंडल’ उपनाम वाले ये नेता बिहार की पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों (OBC-EBC) की राजनीति के प्रतीक कहे जाते हैं और बिहार चुनाव में उनकी नाराजगी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. दरअसल, यह न केवल जेडीयू की आंतरिक कलह को उजागर किया है, बल्कि पूरे एनडीए गठबंधन के लिए एक बड़ा राजनीतिक खतरा पैदा कर दिया है. सवाल यह है कि क्या यह घटनाक्रम जेडीयू की ‘पिछड़े वर्ग की पार्टी’ वाली छवि को धक्का पहुंचाएगा और बिहार की मंडल राजनीति पर इसका क्या असर पड़ेगा?

टिकट विवाद से नाराजगी तक

बिहार चुनाव के लिए एनडीए ने हाल ही में सीट बंटवारा फाइनल किया गया है जिसमें जेडीयू को 101 सीटें मिलीं. लेकिन, स्थानीय स्तर पर टिकट वितरण में केंद्रीय नेतृत्व की ‘उपेक्षा’ ने सियासी जमीन पर आग लगा दी. इसके बाद भागलपुर लोकसभा से जेडीयू के सांसद अजय कुमार मंडल ने सोमवार को नीतीश कुमार को पत्र लिखकर ‘नाराजगी की आग’ को और लहका दिया. पत्र में उन्होंने कहा, पिछले विधानसभा चुनावों में हमने जिन प्रत्याशियों के नाम प्रस्तावित किए थे वे सभी जीते थे. लेकिन इस बार जिला संगठन और स्थानीय नेतृत्व की सलाह को पूरी तरह नजरअंदाज किया जा रहा है. हमें तो पार्टी नेताओं से मिलने तक नहीं दिया जा रहा. मंडल ने अपनी ‘निष्ठा’ का हवाला देते हुए सांसद पद से इस्तीफे की अनुमति मांगी जो जेडीयू के लिए एक बड़ा झटका है.

JDU सांसद अजय कुमार मंडल ने दिया इस्तीफा

‘मंडल’ पॉलिटिक्स का संकट

दूसरी ओर, भागलपुर जिले के ही गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र से चार बार के विधायक नरेंद्र कुमार नीरज उर्फ गोपाल मंडल ने सीएम आवास के बाहर नाटकीय धरना दे दिया. सुबह 8:30 बजे से इंतजार करते रहे मंडल को अपॉइंटमेंट न मिलने पर वे सड़क पर बैठ गए. उनके समर्थक नारेबाजी कर रहे थे और सुरक्षाकर्मियों ने रस्सी से इलाका घेर लिया. पत्रकारों से बातचीत में मंडल ने कहा, मैं नीतीश कुमार से टिकट लेकर ही जाऊंगा, चाहे लाठी चलाओ… बिना टिकट लिए नहीं हटूंगा. उन्होंने कहा- कुछ बड़े नेता साजिश रच रहे हैं जो सीएम हाउस में बैठे हैं. लेकिन नीतीश जी से मेरी कोई नाराजगी नहीं. उन्होंने साफ किया कि वे किसी का नाम नहीं लेंगे, लेकिन अंदरूनी साजिश का आरोप लगाया. बता दें कि अक्सर विवादों के कारण चर्चा में रहने वाले गोपाल मंडल अपने क्षेत्र में मजबूत पकड़ रखते हैं.

जेडीयू की OBC-EBC छवि पर खतरा
दरअसल, यह घटना अकेली नहीं है क्योंकि कई अन्य विधायक भी टिकट कटने की आशंका से नाराज हैं.हालांकि, जेडीयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने इसे ‘आंतरिक मामला’ बताते हुए कहा कि पार्टी एकजुट है, लेकिन सियासी गलियारों में यह बगावत का संकेत माना जा रहा है. दरअसल, बिहार की राजनीति हमेशा से जाति पर टिकी रही है और ‘मंडल’ शब्द यहां सिर्फ उपनाम नहीं, बल्कि पिछड़े वर्ग की राजनीति का प्रतीक है. 1990 के मंडल कमीशन से शुरू हुई यह लहर ने लालू प्रसाद यादव की आरजेडी और नीतीश कुमार की जेडीयू को सत्ता की कुंजी दी. नीतीश ने OBC-EBC आरक्षण को बढ़ाकर 2023 के जाति सर्वे के जरिए अपनी ‘सामाजिक न्याय’ वाली छवि मजबूत की. लेकिन अब, जब एनडीए में भाजपा का दबदबा बढ़ रहा है तो जेडीयू की राजनीति को लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं.

टिकट विवाद में ‘मंडल’ की नाराजगी दिख रहीनीतीश कैबिनेट में 21 बनाम जेडीयू के 14 पद भी सवालों के घेरे में रहे हैं और ऐसे विवाद जेडीयू के वोट बैंक को कमजोर कर सकते हैं. अजय और गोपाल मंडल जैसे नेता भागलपुर जैसे ओबीसी प्रधान इलाके में जेडीयू की मजबूत कड़ी हैं. अजय मंडल की इस्तीफे की पेशकश से पार्टी की स्थानीय पकड़ ढीली पड़ सकती है, खासकर जब विपक्षी महागठबंधन (आरजेडी-कांग्रेस) टिकट बंटवारे में तेजस्वी यादव के नेतृत्व में एकजुट हो रहा है. तेजस्वी यादव ने हाल ही में लव-कुश (कुशवाहा) क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की है और पूर्व जेडीयू सांसद रेणु कुशवाहा को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया.

Bharat Baani Bureau

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