नई दिल्ली 03 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ).  25 जून 1983 में भारतीय फैंस को पहली बार वर्ल्ड कप जीतने की खुशी मिला और अब 2 नवंबर 2025 को महिला क्रिकेट ने वो लम्हां दोबारा हम सबके सामने रख दिया. 1983 की तरह इस बार भी कहानी उस खिलाड़ी के इर्दगिर्द घूमती नजर आई तो कहीं कहानी के शुरुआती पन्नों में था ही नहीं. 10 दिन पहले किसी ने भी यह नहीं सोचा था कि शेफाली वर्मा विश्व कप फाइनल के करीब भी होंगी लेकिन आज, उन्होंने बल्ले से और अप्रत्याशित रूप सेगेंद से भी चमक दिखाई, एक ऐसी रात में जिसे भारतीय महिला क्रिकेट कभी नहीं भूलेगा. शेफाली  तो टीम का हिस्सा भी नहीं थीं, लेकिन सबसे दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों में उन्हें बुलाया गया जब प्रतिका रावल चोटिल हो गईं.

इसे दैवी संयोग कहिए या कप्तान हरमनप्रीत कौर का मास्टरस्ट्रोक, लेकिन शेफाली वर्मा ने भारत को महिला विश्व कप जिताने में निर्णायक भूमिका निभाई. पहले बल्ले से 87 रनों की शानदार पारी. यह पारी शतक से भी अधिक मूल्यवान थी.  उन्होंने रन गति बनाए रखी और दक्षिण अफ्रीका पर दबाव बनाया, जबकि भारत फिर से टॉस हार गया था.  एक मजबूत शुरुआत की सख्त जरूरत थी और शेफाली ने स्मृति मंधाना के साथ मिलकर वही दिला दी. उनके कुछ शॉट्स बेहतरीन थे और सबसे खास बात यह रही कि इस बार उन्होंने अपनी विकेट आसानी से नहीं गंवाई जो पहले उनका कमजोर पहलू रहा था.

1983 जैसे 2025 के 3 मोड़

शेफाली के बल्ले से तो सबको उम्मीद थी गेंद से नहीं पूरे टूर्नामेंट में हरमनप्रीत की कप्तानी पर सवाल उठते रहे थे. पर शेफाली को गेंद देना यह वही फैसला था जिसे हमेशा याद रखा जाएगा. दक्षिण अफ्रीका की पारी पटरी पर थी जब कप्तान ने शेफाली को गेंद थमाई और नतीजा तुरंत मिला दो विकेट लगातार, जिनमें से एक थी महान खिलाड़ी मरीज़ान कैप का उसी पल मैच भारत के नियंत्रण में आ गया. और उस विकेट पर, विकेटकीपर रिचा घोष जो अब तक साधारण प्रदर्शन कर रही थीं ने शानदार कैच पकड़कर खुद को साबित किया.  वह पल इस मैच का प्रतीक बन गया. गेंदबाजी और फील्डिंग हर पहलू में भारत ने वह किया जिसकी जरूरत थी और फिर डी.वाई. पाटिल स्टेडियम नीले रंग की लहर में डूब गया, अमनजोत कौर का रन-आउट जिसने शुरुआत में ही लय बनाई, और लौरा वोल्वार्ड्ट का उनका झूलता हुआ कैच इन पलों ने इस यादगार जीत पर मुहर लगा दी.
1983 वाली जीत की तरह हैं 2025!

यह जीत युगों-युगों तक याद रखी जाएगी यह खेल को हमेशा के लिए बदल देगी. कल सुबह, हजारों लड़कियां बल्ला या गेंद उठाकर क्रिकेटर बनने का सपना देखेंगी एक रात में ही यह खेल एक वास्तविक पेशा बन जाएगा.  आखिरकार, महिला क्रिकेट को भी अपना 1983 का पल मिल गया. पुरुष टीम नवंबर 2023 में यह नहीं कर पाई थीमहिलाओं ने 2025 में कर दिखाया. भारत इस जीत का लंबे समय तक जश्न मनाएगा, और घरेलू मैदान पर यह विश्व कप जीत हमें फिर से 2 अप्रैल 2011 की उस रात की याद दिलाएगी. यह जीत हरमनप्रीत, स्मृति, जेमीमा और आज खेलने वाली हर खिलाड़ी की है साथ ही उन खिलाड़ियों की भी जो बेंच पर थीं. आज वे सभी एक ऐसी संप्रदायिक टीम बन गई हैं, जिसे एक अरब भारतीय सलाम करेंगे.

सारांश:
क्रिकेट प्रेमियों के लिए 2025 का साल ऐतिहासिक बन गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे 1983 की वर्ल्ड कप जीत को याद किया जाता है, वैसे ही 2 नवंबर 2025 भी क्रिकेट इतिहास में दर्ज हो गई है। मुंबई का मैदान इस जीत के साथ लॉर्ड्स के समान गौरव का प्रतीक बन गया है।

Bharat Baani Bureau

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