12 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) :  कैरेबियन सागर में अमेरिकी सैन्य कार्रवाई को लेकर ब्रिटेन और कनाडा दोनों देशों ने गंभीर चिंता जताई है. ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों ने अब अमेरिका के साथ संदिग्ध ड्रग तस्करी नौकाओं की जानकारी साझा करना बंद कर दिया है. CNN की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन को आशंका है कि उसकी दी गई सूचनाओं का इस्तेमाल अमेरिका घातक हमलों के लिए कर रहा है. ब्रिटेन ने इसे लंदन अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन कहा और खुद को अमेरिका की किसी भी कार्रवाई से अलग कर लिया.

रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर से अमेरिका ने कैरेबियन क्षेत्र में मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल जहाजों पर घातक हमले शुरू कर दिए हैं, जिनमें अब तक 76 लोगों की मौत हो चुकी है. इसके अलावा अमेरिका ने मंगलवार को दुनिया का सबसे बड़ा विमानवाहक पोत USS Gerald R. Ford भी कैरेबियन क्षेत्र में तैनात कर दिया है. वैसे को इसकी तैनाती को ड्रग्स तस्करी रोकने के आदेश के नाम पर किया गया है लेकिन ब्रिटेन ने अमेरिका के इन कदमों को अवैध बताते हुए कहा है कि यह न्यायेतर हत्याओं की श्रेणी में आते हैं.

आमने-सामने आए अमेरिका-वेनेजुएला

वेनेज़ुएला ने कहा है कि उसने कैरेबियन सागर में अमेरिकी युद्धपोतों और सैनिकों की बढ़ती तैनाती के जवाब में अपने सैनिकों, हथियारों और सैन्य उपकरणों की विशाल तैनाती शुरू कर दी है. रक्षा मंत्री व्लादिमीर पाद्रीनो लोपेज़ ने बताया कि देश की थल सेना, नौसेना, वायुसेना और रिज़र्व बल बुधवार तक बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास करेंगे. उन्होंने इस अभियान को अमेरिका की साम्राज्यवादी धमकी के जवाब में उठाया गया कदम बताया. इन अभ्यासों में नियमित सैनिकों के साथ बोलीवारियन मिलिशिया भी हिस्सा लेगी, जो पूर्व राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज की बनाई हुई एक नागरिक रिज़र्व फोर्स है. यह कदम ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी नौसेना ने घोषणा की कि उसका सबसे बड़ा विमानवाहक पोत यूएसएस जेराल्ड आर. फोर्ड लैटिन अमेरिका को कवर करने वाले यूएस सदर्न कमांड क्षेत्र में पहुंच गया है. फोर्ड के साथ नौ हवाई स्क्वाड्रन, दो आर्ले बर्क श्रेणी के मिसाइल विध्वंसक, यूएसएस बेनब्रिज और यूएसएस माहन, एक मिसाइल डिफेंस कमांड शिप यूएसएस विंस्टन एस. चर्चिल और 4000 से अधिक नाविक शामिल हैं.

ब्रिटेन-कनाडा ने किया खुद को अलग
अमेरिका लंबे समय से इस क्षेत्र में ड्रग तस्करों के खिलाफ अभियान चला रहा है, जिसमें ब्रिटेन और कनाडा जैसे देश भी शामिल थे. पहले ये ऑपरेशन अमेरिकी कोस्ट गार्ड की निगरानी में होते थे, जहां तस्करों को गिरफ्तार किया जाता था और उन पर कानूनी कार्रवाई की जाती थी, लेकिन अब अमेरिकी सेना सीधे हमले कर रही है. यही बदलाव उसके सहयोगियों को असहज कर रहा है. ब्रिटेन के साथ-साथ कनाडा ने भी इन घातक अभियानों से खुद को अलग कर लिया है. कनाडाई रक्षा मंत्रालय ने साफ किया है कि उनके ऑपरेशन अमेरिकी सैन्य कार्रवाई से पूरी तरह अलग हैं और वे नहीं चाहते कि उनकी खुफिया जानकारी का इस्तेमाल किसी हवाई या नौसैनिक हमले में किया जाए.

विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरा सैन्य अभियान वेनेज़ुएला और कैरेबियन क्षेत्र में अमेरिकी दबाव बढ़ाने की रणनीति का हिस्सा है. अमेरिका पहले ही कुछ ड्रग कार्टेल्स को विदेशी आतंकी संगठन घोषित कर चुका है, जिससे वह किसी भी सैन्य कार्रवाई को वैध ठहराने की कोशिश कर रहा है. संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क ने इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताया है, लेकिन अमेरिकी दक्षिणी कमान के प्रमुख एडमिरल एल्विन होल्सी ने कथित तौर पर इस अभियान की वैधता पर सवाल उठाते हुए इस्तीफा देने की पेशकश भी की है. विश्लेषकों का कहना है कि इसका अगला लक्ष्य वेनेज़ुएला के तटों पर सैन्य नाकाबंदी या सीधा हमला भी हो सकता है, जो एक और युद्ध को बढ़ावा देगा क्योंकि वेनेजुएला पहले से ही रूस के संपर्क में है.

सारांश:
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला को समुद्र से घेरने की रणनीति अपनाई है, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है। जवाब में वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो ने सेना को हाई अलर्ट पर तैनात कर दिया है। वहीं, ब्रिटेन ने स्पष्ट कर दिया है कि वह इस सैन्य कार्रवाई में अमेरिका का साथ नहीं देगा।

Bharat Baani Bureau

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