नई दिल्ली 13 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) . क्रिकेट की दुनिया में कई खिलाड़ी ऐसे हैं जिन्होंने करियर की शुरुआत से लेकर अंत तक खूब नाम कमाए. इनमें से कई ऐसे भी रहे जिन्होंने डेब्यू टेस्ट में शानदार प्रदर्शन कर भविष्य में चमकने की उम्मीद तो जगाई लेकिन वह आगे अपनी सफलता को जारी नहीं रख सके. जिसकी वजह से वह टीम इंडिया में अपनी जगह पक्की नहीं कर सके. और उनका करियर लंबा नहीं चल सका. ये खिलाड़ी जल्द ही गुमनाम हो गए. इन खिलाड़ियों में पहला नाम नरेंद्र हिरवानी का है. स्पिनर हिरवानी वही गेंदबाज हैं जिन्होंने अपने करियर के पहले टेस्ट मैच की दोनों पारियों में आठ- आठ विकेट लेकर खूब वाहवाली लूटी. लेकिन इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि इस गेंदबाज का करियर लंबा नहीं चला.
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में पैदा हुए कलाई के स्पिनर नरेंद्र हिरवानी (Narendra Hirwani) के लिए क्रिकेट की कर्मभूमि इंदौर रहा. साल 1988 में टीम इंडिया के लिए डेब्यू करने वाले इस स्पिनर ने 19 साल की उम्र में विंडीज के खिलाफ करियर का पहला टेस्ट मैच खेला. चेन्नई में खेले गए इस टेस्ट मैच की पहली पारी में 61 रन देकर 8 और दूसरी पारी में 75 रन खर्च कर 8 विकेट लेकर हिरवानी ने तहलका मचा दिया. इसके बाद हिरवानी कभी भी इस प्रदर्शन को दोहरा नहीं सके. उनका इंटरनेशनल करियर 17 टेस्ट और 18 वनडे पर सिमट गया. टेस्ट में उनके नाम 66 विकेट और वनडे में 23 विकेट दर्ज हैं.
स्पिनर अमित मिश्रा (Amit Mishra) को दाएं हाथ के रिस्ट स्पिनर के तौर पर काफी ऊंचा रेट किया जाता था. हालांकि उनके दौर में अनिल कुंबले और हरभजन सिंह जैसे दिग्गजों की मौजूदगी के कारण मिश्रा को भारतीय टीम में सीमित मौके ही मिल पाए. अप्रैल 2003 में वनडे डेब्यू करने वाले मिश्रा टेस्ट में डेब्यू के लिए अक्टूबर 2008 तक इंतजार करना पड़ा. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मोहाली में पहली पारी में 71 रन देकर 5 और दूसरी पारी में 35 रन देकर 2 विकेट लिए. लेकिन इसके बाद अगले 21 टेस्ट में वे कभी पारी में 5 विकेट नहीं ले पाए. 22 टेस्ट में 76 विकेट लेने वाले मिश्रा ने 36 वनडे में 64 विकेट लिए जिसमें दो बार पारी में 5 विकेट शामिल रहे. मिश्रा का यह दुर्भाग्य रहा कि वनडे और टी20I में भारतीय टीम के रेगुलर मेंबर नहीं बन सके.
गुजरात के इखर में जन्मे पेसर मुनाफ पटेल (Munaf Patel) अपनी गेंदों से बैटर्स के दिलों में खौफ पैदा करने में सक्षम थे. मुनाफ ने इंग्लैंड के खिलाफ मोहाली में अपने डेब्यू टेस्ट में पहली पारी में 72 रन देकर 3 और दूसरी पारी में 25 रन देकर 4 विकेट लिए. हालांकि हर गुजरते मैच के बाद मुनाफ अपनी स्पीड बरकरार नहीं रख पाए और न ही ऐसा प्रदर्शन. वर्ल्डकप 2011 के चैंपियन टीम के सदस्य रहे मुनाफ 13 टेस्ट, 70 वनडे और 3 टी20 मैच खेले. टेस्ट में 35 विकेट, वनडे में 86 और टी20 इंटरनेशनल में 4 विकेट उनके नाम पर दर्ज हैं.
सरनदीप का करियर भी आगे नहीं बढ़ सका
सरनदीप सिंह (Sarandeep Singh) को बेहतरीन ऑफब्रेक बॉलर माना जाता था. उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ नवंबर 2000 में नागपुर में टेस्ट डेब्यू किया और पहली पारी में 70 रन देकर 2 और दूसरी पारी में 136 रन देकर 4 विकेट लिए. टेस्ट 4/136 ही सरनदीप का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा. इसके बाद वे दो टेस्ट और खेले और इनमें केवल 4 विकेट ले सके. तीन टेस्ट में 34.00 के औसत से 10 विकेट और 5 वनडे में 60.00 के साधारण औसत से 3 विकेट के साथ ही उनके इंटरनेशनल करियर का अंत हो गया.
आबिद अली ने डेब्यू टेस्ट में लगाया था विकेटों का सिक्सर
आबिद अली (Abid Ali) ने 1967 से 1975 तक भारत के लिए 29 टेस्ट और 5 वनडे खेले. हैदराबाद में जन्मे आबिद ने दिसंबर 1967 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड में टेस्ट डेब्यू किया. पहली पारी में ही 17 ओवर्स में 55 रन देकर 6 विकेट लिए. उनके शिकारों में बॉब सिम्पसन और बिल लॉरी जैसे दिग्गज शामिल थे. ऑस्ट्रेलिया की दूसरी पारी में भी उन्होंने एक विकेट लिया था. डेब्यू टेस्ट के इस प्रदर्शन के बाद आबिद कभी पारी में 5 विकेट नहीं ले सके. 29 टेस्ट में 1018 रन और 47 विकेट के साथ उनका करियर खत्म हो गया.
सारांश:
कुछ भारतीय बॉलरों ने अपने टेस्ट डेब्यू में ज़बरदस्त प्रभाव छोड़ा — विकेट लिए, बल्लेबाज़ों को चौंका दिया और उम्मीदें बढ़ा दीं — पर फिर वे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टिक नहीं पाए। कारण अक्सर चोटें, लगातार न मिलना, घरेलू फॉर्म में गिरावट, टीम में हाई-क्वालिटी प्रतिस्पर्धा और कभी-कभी चयन नीतियाँ रहतीं। इस समूह में 3 स्पिन गेंदबाज भी शामिल हैं जिन्होंने शुरुआत में छाप छोड़ी पर बाद में ‘गुमनाम’ हो गए। ये कहानियाँ क्रिकेट की उन अनदेखी गाथाओं में से हैं जहाँ शानदार शुरुआत के बाद करियर का आगे का सफर किसी वजह से थम गया।
