13 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें एक बार फिर ऊपर जाने लगी हैं। पिछले दिनों सोना लगभग 4 प्रतिशत बढ़कर 4208 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बढ़त बताती है कि बाजार को आगे चलकर महंगाई बढ़ने की उम्मीद है। इसी वजह से निवेशक सुरक्षित विकल्प के तौर पर सोना खरीद रहे हैं।

JM Financial के विश्लेषक हितेश सुवर्णा का कहना है कि सोने की कीमतें अक्सर दुनिया में आने वाली महंगाई को पहले ही भांप लेती हैं। उनकी रिसर्च के अनुसार, सोने की कीमतें और अमेरिका व यूरोप की औसत महंगाई के बीच 0.64 का मजबूत रिश्ता है। यानी जब महंगाई बढ़ने वाली होती है, सोने की कीमत पहले ही चढ़ने लगती है।

वे बताते हैं कि सोने और महंगाई का यह संबंध साल 2014 से लगातार देखा जा रहा है। उनकी रिसर्च में उन्होंने महंगाई और गोल्ड प्राइस को 21 महीने बाद की तुलना में देखा, और दोनों में साफ संबंध मिला।

महंगाई अभी दिख नहीं रही, लेकिन सोना संकेत दे रहा है

रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के ताजा उपभोक्ता महंगाई (CPI) के आंकड़ों में अभी भारी बढ़ोतरी नहीं दिख रही, जबकि पिछले छह महीनों में अमेरिका ने कस्टम ड्यूटी से 3.5 गुना ज्यादा टैक्स (30 बिलियन डॉलर) इकट्ठा किया है। यानी इंपोर्ट पर टैक्स बढ़ा है, लेकिन अभी महंगाई पर इसका असर नहीं दिखा।

विशेषज्ञों का मानना है कि टैक्स का असर धीरे धीरे दिखता है, और आने वाले महीनों में महंगाई ऊपर जा सकती है। सोने की कीमतों में अभी जो तेजी दिख रही है, वह इसी आने वाली महंगाई का संकेत हो सकता है।

Gold Price Outlook: सोने की कीमतें आगे कैसी रहेंगी?

अभी हालात बताते हैं कि सोने की कीमतें ऊंची रह सकती हैं। इसकी वजह है कि दुनिया भर के केंद्रीय बैंक लगातार सोना खरीद रहे हैं। हालांकि 2025 में (जनवरी से सितंबर) बैंकों ने 634 टन सोना खरीदा, जो पिछले साल इसी समय की 724 टन खरीद से थोड़ा कम है, लेकिन फिर भी यह खरीद 2014 से 2021 तक किसी भी साल से ज्यादा है।

JM Financial का कहना है कि केंद्रीय बैंकों की मजबूत मांग की वजह से सोने की कीमतों में बड़ी गिरावट की संभावना कम है। अभी दुनियाभर की कुल गोल्ड डिमांड में से 17% हिस्सा सिर्फ सेंट्रल बैंकों की खरीद का है।

गोल्ड और सिल्वर का अंतर भी बता रहा संकेत

इस समय गोल्ड-सिल्वर रेशियो 78 के आस पास है, जबकि इसका लंबे समय का औसत 68 है। इसका मतलब है कि सोने ने चांदी के मुकाबले कहीं ज्यादा तेजी दिखाई है। यह अंतर अप्रैल 2025 में 102 तक पहुंच गया था। चांदी इस अवधि में लगभग 44% चढ़ी है, जबकि सोना 27% बढ़ा है, लेकिन फिर भी सोने की बढ़त ज्यादा मजबूत मानी जा रही है। विशेषज्ञ कहते हैं कि यह आंकड़ा बताता है कि दुनिया में अनिश्चितता बढ़ी है और निवेशक सुरक्षित जगह यानी सोने की ओर जा रहे हैं।

सोना कहां तक जा सकता है?

Jefferies के चीफ स्ट्रेटेजिस्ट क्रिस्टोफर वुड का अनुमान है कि आने वाले समय में सोना 6600 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। यह अभी की कीमत से करीब 57% ऊपर है। उनका कहना है कि अगर यह अनुमान सही रहा, तो यह सोने की मौजूदा बुल-रन का सबसे ऊंचा स्तर हो सकता है।

सारांश:
पिछले कुछ महीनों में सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यह ट्रेंड आने वाले समय में बढ़ती महंगाई (Inflation) का संकेत हो सकता है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता, डॉलर की कमजोरी और केंद्रीय बैंकों की नीतियों के कारण निवेशक सोने को सुरक्षित विकल्प मान रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर महंगाई का दबाव बढ़ा तो सोने की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं। वहीं, निवेशकों को सावधानी से निवेश करने की सलाह दी गई है।

Bharat Baani Bureau

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