नई दिल्ली 14 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) . छह साल पहले रिलीज हुई ‘दे दे प्यार दे’ ने अजय देवगन और रकुल प्रीत सिंह की उम्र के फासले वाली लव स्टोरी से दर्शकों को गुदगुदाया था. अब 14 नवंबर को रिलीज हुई सीक्वल दे दे प्यार दे 2 में वही जोड़ी लौटी है, लेकिन इस बार चुनौती बड़ी है. रकुल यानी आयशा को अपने माता-पिता को यह समझाना है कि 51 साल का आशीष (अजय) उनके लिए परफेक्ट है. लेकिन अफसोस, फिल्म ओरिजिनल के जादू को दोहराने में नाकाम रही.

फिल्म की शुरुआत होती है जावेद जाफरी के कॉमेडी फ्लैशबैक से होती है और यकीन मानिए, उनके हर सीन में बाकी कलाकार फीके पड़ गए. कहानी लंदन से चंडीगढ़ पहुंचती है, जहां आयशा अपनी भाभी की डिलीवरी के बहाने घर लौटती है ताकि शादी की खुशखबरी के बीच माता-पिता को झटका कम लगे. लेकिन स्क्रिप्ट इतनी कमजोर है कि न उम्र का मुद्दा गहराई से उठता है, न परिवार का ड्रामा दिल को छूता है.

अजय देवगन ने कोशिश तो की, लेकिन उनका किरदार दोहराव भरा लगता है. रकुल प्रीत सिंह खूबसूरत हैं लेकिन उनकी परफॉर्मेंस में नयापन नहीं. असली सरप्राइज है आर. माधवन … चाहे वो आयशा के पिता हों या ससुर, उनके हर डायलॉग और एक्सप्रेशन ने हंसी और तालियां बटोरीं. जावेद जाफरी तो फिल्म के ‘सेवियर’ बने, हर बार स्क्रीन पर आते ही माहौल बदल देते हैं.

फिल्म में सहायक कलाकार गौतमी, इशिता और सुहासिनी मुले फिल्म में गहराई लेकर आती हैं. उनका अभिनय इस शानदार फिल्म को बेहद खूबसूरती से पूरा करता है. निर्देशक अंशुल शर्मा ने ‘दे दे प्यार दे 2’ में प्यार, ह्यूमर और सहज कहानी कहने की कला को बखूबी पिरोया है.

दमदार कास्ट को एक साथ बुनते हुए और उन्होंने हर कलाकार को अपनी छाप छोड़ने का भरपूर मौका दिया है. वह फिल्म के इमोशनल बीट्स और कॉमिक टाइमिंग को जिस नजाकत से संतुलित करते हैं, वह काबिल-ए-तारीफ है. सिर्फ फ्रेंचाइजी के नाम पर पैसा कमाने के लिए बने कई सीक्वेल के उलट, ‘दे दे प्यार दे 2’ फिल्म के पहले हिस्से की बिल्कुल स्वाभाविक, ऑर्गेनिक अगली कड़ी लगती है.

जब आपको लगता है कि फिल्म में अब सब देख लिया, तभी आखिरी 20–30 मिनट आपको एक इतना संतोषजनक, भावनात्मक और दिल छू लेने वाला क्लाइमैक्स देते हैं कि हाल के समय में इसकी मिसाल बेहद कम ही मिलेगी. यह भावनाओं का एक ऐसा रोलरकोस्टर है, जो आपको एक बड़ी मुस्कान के साथ सिनेमाहॉल से बाहर निकलने पर मजबूर कर देगा.

कुल मिलाकर, दे दे प्यार दे 2 एक ‘टॉलरेबल’ फैमिली एंटरटेनर है, जो सिर्फ माधवन और जावेद की वजह से देखी जा सकती है.

सारांश:
De De Pyaar De 2 में पहली फिल्म वाली ताज़गी और मज़ेदार केमिस्ट्री इस बार कमज़ोर दिखती है। अजय देवगन और रकुल प्रीत का ट्रैक उतना प्रभाव नहीं छोड़ता, लेकिन कहानी को संभालने का काम आर. माधवन ने बखूबी किया है। उनका प्रदर्शन फिल्म को बचाता है और इमोशनल हिस्सों में जान डालता है। कुल मिलाकर, सीक्वल मनोरंजन तो देता है लेकिन पहली फिल्म जैसा जादू नहीं जगा पाता।

Bharat Baani Bureau

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