19 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) बिहार विधानसभा चुनावों में मिली ऐतिहासिक जीत के बाद पीएम नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि गंगा बिहार से होकर बंगाल तक पहुंचती है. बिहार ने बंगाल में बीजेपी की जीत का मार्ग प्रशस्त किया है. पीएम मोदी ने बंगाल के भाईयों और बहनों को बधाई देते हुए कहा कि अब उनके साथ मिल कर बीजेपी बंगाल से जंगलराज को उखाड़ फेंकेगी. बीजेपी अगले साल होने वाले बंगाल के चुनावों के लिए कितनी गंभीर है ये बात पीएम मोदी के संबोधन से साफ हो गयी. बिहार चुनाव के बीच ही बंगाल में एसआईआर के तहत मतदाता सूची का संशोधन शुरू हो गया और इसके साथ ही शुरू हो गया चुनाव आयोग और ममता सरकार के बीच टकराव भी.

जाहिर है पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी के गढ़ को जीतने के लिए बीजेपी रणनीति बनाने में जुट गयी है. ये इसी बात से साबित हो जाता है कि 25 सितंबर को बिहार विधानसभा चुनावों के लिए प्रभारी नियुक्त किए गए, उसी दिन बिहार की लिस्ट के साथ साथ बीजेपी आलाकमान ने बंगाल के लिए भी चुनाव प्रभारियो की नियुक्ति कर दी. केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव को चुनाव प्रभारी और त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सांसद विप्लब देव को चुनावों का सह प्रभारी बनाया गया. संदेश साफ था कि बिहार के बाद बंगाल में पूरी ताकत झोंकने की तैयारी शुरू हो चुकी है.

बंगाल में संगठन मजबूत करने पर जोर
बीजेपी आलाकमान ने सर्वोच्च प्राथमिकता दी है संगठन को मज़बूत करने पर. जोर इस बात पर नहीं होगा कि चेहरा किसका होगा लेकिन आलाकमान काम इस बात पर कर रहा है कि सामुहिक नेतृत्व में चुनाव में कूदा जाए. बीजेपी नेतृत्व राज्य में अलग-अलग धड़ों में बंटी पार्टी को एकजुट करने पर जोर दे रही है. राज्य के सभी नेताओं को आपस में मिलकर काम करने को कहा गया है. बीजेपी सूत्रों के मुताबिक राज्य के 91 हज़ार बूथों में से पार्टी ने क़रीब सत्तर हज़ार बूथों पर समितियों का गठन कर लिया है.अब मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण अभियान यानी SIR के पूरा होने का इंतज़ार किया जा रहा है. इसके बाद बनने वाली मतदाता सूची के आधार पर बूथ कमेटियों का काम आगे बढ़ाया जाएगा.

पूरे बंगाल में बीजेपी निकालेगी यात्राएं
सूत्रों के मुताबिक पूरे पश्चिम बंगाल में यात्रा निकालने का खाका तैयार किया जा रहा है. ये यात्रा बंगाल के अलग-अलग कोने से निकलेगी जिसका समापन कोलकाता में होगा. इस यात्रा के जरिए बीजेपी एक तरफ बूथ से लेकर जिला स्तर तक के संगठन को मजबूत कर के संगठन को चुनावे के लिए तैयार रखना चाहती है तो दो दूसरा मकसद बीजेपी के कार्यकर्ताओं के मन से टीएमसी की हिंसा का डर भी निकालना है. बीजेपी कार्यकर्ताओं और जिला स्तर के नेताओं को शिकायत रहती है कि टीएमसी के कार्यकर्ता उनको जनता के बीच जाकर काम करने नहीं देते, मारपीट और हिंसा भी करते हैं और साथ ही बीजेपी के समर्थकों को डराते धमकाते भी हैं.

शीर्ष नेतृत्व का मानना है कि इस यात्रा की तैयारियों से बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं से न सिर्फ संवाद बढ़ेगा, बल्कि बड़े नेताओं की उपस्थिति से कार्यकर्ताओं और समर्थकों के बीच टीएमसी का डर भी कम होगा. पिछले कुछ चुनावों में बीजेपी ने 121 विधानसभा सीटें किसी न किसी रूप में जीती हैं. ये जीत बताती है कि इन सीटों पर बीजेपी मज़बूत स्थिति में है. पार्टी का लक्ष्य यहां पर पूरी ताक़त झोंकना है. साथ ही इनके अलावा अन्य चालीस से पचास सीटों पर ताक़त लगाई जाएगी.

कानून व्यवस्था और वंशवाद के मुद्दों से टीएमसी को घेरेगी बीजेपी
बीजेपी नेताओं के अनुसार महिला सुरक्षा राज्य में सबसे बड़ा मुद्दा. ध्वस्त क़ानून व्यवस्था को बड़ा मुद्दा बनाया जाएगा. जनता से कहेगी बीजेपी – जीना है तो बीजेपी को वोट दो, सम्मान से रहना है तो बीजेपी को वोट दो. महिला सुरक्षा के बाद रोज़गार भी एक बड़ा मुद्दा रहेगा राज्य में औद्योगिककरण का अभाव, पलायन और ख़स्ता अर्थव्यवस्था भी बड़े मुद्दे होंगे. बीजेपी टीएमसी में अभिषेक बनर्जी के वर्चस्व को वंशवाद से जोडेगी. बीजेपी सूत्रों का मानना है कि अभिषेक बनर्जी की कार्यशैली से अधिकांश टीएमसी नेता ख़ुश नहीं हैं और साथ ही अभिषेक बनर्जी के साथ टीएमसी के पुराने नेताओं की वैसी वफादारी नहीं जैसी ममता बनर्जी के साथ है. बीजेपी इसे वंशवाद से जोड़ेगी और जनता को यह बताएगी कि पश्चिम बंगाल की राजनीति में वंशवाद की जगह नहीं है. जिस तरह ओडिशा में पांडियन को लेकर मुद्दा बना था वैसा ही मुद्दा पश्चिम बंगाल में अभिषेक बनर्जी के साथ संभव हो सकता है.

जातिगत समीकरण और ध्रुवीकरण
बीजेपी नेताओं के अनुसार पश्चिम बंगाल में जातीय राजनीति नहीं चलती. अन्य राज्यों की तरह बंगाल में जातीय ध्रुवीकरण अधिक व्यापक नहीं, इसलिए बीजेपी जातिगत समीकरणों पर अधिक ध्यान नहीं देने के बजाए क्षेत्रीय समीकरणों के हिसाब से संतुलन साधने की कोशिश करेगी. सूत्रों के मुताबिक ध्रुवीकरण की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. बीजेपी के मुताबिक मुस्लिम वोट तीस से चालीस विधानसभा सीटों पर ही प्रभावी हैं. इन सीटों पर तीस फीसदी से अधिक मुस्लिम वोट हैं. लेकिन साफ ये भी है कि ऐसे इलाकों मे हिंदू वोटों का भी ध्रुवीकरण हो सकता है. इसलिए हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को जोर शोर से उठाने की जरूरत नजर नहीं आ रही क्योंकि बीजेपी की पहचान पहले से ही हिंदुत्व की पार्टी के रुप में हैं. इस स्थिति में फायदा बीजेपी को मिल सकता है.

पिछले विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. गृहमंत्री अमित शाह ने खुद बंगाल में बैठ कर पूरी बीजेपी ने 77 सीटें जीतीं थी और ममता बनर्जी अपनी सीट हार गयीं थीं. लेकिन जब ग्रेटर कोलकाता इलाके की सौ से ज्यादा सीटों पर तीन चरणों में मतदान बाकी था, तब कोरोना महामारी के फेर में अपना पूरी कैंपेन वापस लेना पड़ा था. आलम ये था कि इन आखिरी तीन चरणों में 100 से ज्यादा विधानसभा सीटें टीएमसी के खाते मे गयीं थीं और उनकी सरकार बनी थी. ये दर्द बीजेपी आलाकमान को है इसलिए इस बार आखिरी दम तक चुनावों में बीजेपी टीएमसी से दो-दो हाथ करने का मन बना चुकी है.

सारांश:
बंगाल विधानसभा चुनावों की तैयारी में बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी पूरे राज्य में व्यापक यात्रा निकालकर जनता से सीधे संपर्क करेगी। इस अभियान के जरिए बीजेपी संगठन को मजबूत करने और चुनावी माहौल बनाने की रणनीति पर काम कर रही

Bharat Baani Bureau

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