गुरदासपुर 24 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) इस साल सर्दी की शुरुआत से अब तक एक बार भी बारिश न होने की वजह से क्षेत्र में पड़ रही सूखी ठंड ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। बिना बारिश के जारी तापमान में उतार–चढ़ाव, बढ़ते प्रदूषण और नमी की कमी के कारण लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। खासकर बच्चे, बुजुर्ग और पहले से बीमार लोग सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। इस समय पड़ रही सूखी ठंड सबसे बड़ी परेशानी बनी हुई है। हवा में धूल–मिट्टी और अन्य प्रदूषित कणों के मिल जाने से वायु गुणवत्ता सूचकांक 128 तक पहुंच गया है।

दिन–रात के तापमान में बड़ा अंतर, नमी घटी

मौसम विभाग के अनुसार इस समय क्षेत्र में दिन का तापमान 24 डिग्री सैल्सियस और रात का तापमान 8 डिग्री सैल्सियस है। नमी की मात्रा करीब 29 प्रतिशत दर्ज की गई है। तापमान में बड़े फर्क और नमी की कमी के कारण हवा और अधिक सूखी हो रही है, जिससे गला खराब होना, खांसी, जुकाम और वायरल बुखार के मामलों में तेजी आई है।

डॉक्टरों का कहना है कि इस सूखी ठंड के मौसम में दमा, एलर्जी, साइनस, आंखों की सूखापन और त्वचा संबंधी समस्याओं के मामले भी बढ़ने की आशंका रहती है। लोग वायरल बुखार और गले की खराबी से ज्यादा पीड़ित हो रहे हैं। डॉक्टरों ने सलाह दी है कि घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें। ठंडा पानी न पीकर गुनगुना पानी पिएं। धूल–मिट्टी से बचें। बच्चों और बुजुर्गों को सुबह की ठंड से बचाकर रखें। दमा और एलर्जी वाले मरीज अपनी दवाइयां साथ रखें तथा घर में नमी बनाए रखने के लिए स्टीमर या ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करें।

खतरनाक स्तर की ओर बढ़ रहा प्रदूषण

बारिश न होने के कारण हवा में धूल, धुआं और प्रदूषक कण लगातार बढ़ रहे हैं। आम तौर पर बारिश इन कणों को जमीन पर बैठा देती है, लेकिन इस बार लंबे समय तक मौसम सूखा रहने से प्रदूषण और गंभीर हो गया है। क्षेत्र का वायु गुणवत्ता सूचकांक 128 दर्ज किया गया है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक श्रेणी में आता है। यह खासकर बच्चों, बुजुर्गों और दिल–फेफड़ों के मरीजों के लिए खतरनाक है।

विशेषज्ञों के अनुसार 0–50 पूरी तरह सुरक्षित, 51–100 संवेदनशील लोगों के लिए मामूली समस्या, 101–150 – बच्चे, बुजुर्ग और दमा मरीज अधिक प्रभावित, 151–200 आम लोगों को भी सांस लेने में परेशानी, 201–300 गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं, 300 बेहद खतरनाक, बाहर निकलना भी जोखिम भरा है।

अस्पतालों में बढ़े मरीज

सरकारी और निजी अस्पतालों में बुखार और गले की समस्या वाले मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पिछले 10–15 दिनों में खांसी और जुकाम के मामलों में बड़ी वृद्धि हुई है। डॉक्टरों का कहना है कि खराब वायु गुणवत्ता के कारण ये मरीज तेजी से अधिक प्रभावित हो रहे हैं। मौसम विभाग के मुताबिक अगले कुछ दिनों तक भी बड़ी बारिश की संभावना नहीं है। पहाड़ों से बर्फीली हवाएं आने से तापमान और 2–3 डिग्री तक घट सकता है, जिससे सूखी ठंड और बढ़ सकती है।

सारांश:
उत्तर भारत में पड़ रही सूखी ठंड ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। हवा में प्रदूषण के खतरनाक स्तर तक बढ़ने से स्मॉग छाया हुआ है और सांस लेने में दिक्कतों जैसी स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि ठंड और प्रदूषण का यह मिश्रण बेहद नुकसानदेह है, खासकर बुजुर्गों, बच्चों और मरीजों के लिए।

Bharat Baani Bureau

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