नई दिल्ली 26 नवंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) . सुबह 10:05 बजे साइमन हार्मर की लूप करती ऑफ-स्पिन ऋषभ पंत के बल्ले के ऊपरी हिस्से पर लगी और धीमे से उछलकर ऐडन मार्करम के हाथों में समा गई भारत का स्कोर 58/5 था, और साफ दिख रहा था कि एक और शर्मनाक पतन होने वाला है.  सच्चाई यही है कि ये बल्लेबाज़ स्पिन खेल नहीं पा रहे और यही इस सीरीज का सार  है. लगभग हर गेंद खतरनाक लग रही थी और हर बल्लेबाज़ डरा-डरा, अनिश्चित और असहाय दिख रहा था.और एक भी बल्लेबाज़ में जमकर खेलने की क्षमता दिखी नहीं.

टेस्ट क्रिकेट में लचर प्रदर्शन  व्हाइट-बॉल सीरीज़ के दौरान हो सकता है फैंस भूल जाए जिसमें  रोहित शर्मा व विराट कोहली खेलेंगे, लेकिन इससे इस हार को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता. रेड-बॉल क्रिकेट की सेहत अच्छी नहीं है, और यह बात खुलकर कहनी होगी.  सुधार अनिवार्य हैं और वो भी तुरंत. अगले कुछ महीनों में कोई टेस्ट सीरीज़ नहीं है, इसलिए यही समय है कि एक नया खाका तैयार किया जाए. घरेलू पिचें ऐसी बनाई जाएँ जो स्पिनरों को मदद दें और बल्लेबाज़ों को मुश्किल, टर्निंग ट्रैकों पर खेलने की मजबूरी पैदा करें.  जब तक अभ्यास कठोर अभ्यास नहीं होगा, समाधान नहीं मिलेगा, और घरेलू टेस्ट हार सामान्य होती जाएँगी.

टी-20 से टेस्ट टीम मत बनाओं 

सबसे ज़रूरी ये है कि हम उन खिलाड़ियों की पहचान करें जो सच में रेड-बॉल क्रिकेट के लिए तैयार हैं.  क्या साई सुदर्शन और  नितीश रेड्डी को मौका देते रहना चाहिए, ध्रुव जुरेल क्या उनमें इस फ़ॉर्मेट का दम है,के राहुल कब मैच बचाएंगे या जिताएंगे ,  उससे भी ज़्यादा, हमें उनकी आउट होने की शैली पर ध्यान देना होगा.  यह एक परेशान करने वाला पैटर्न बनता जा रहा है, और जब तक सुधारात्मक कदम नहीं उठाए जाएँगे, कुछ नहीं बदलेगा.  वेस्ट इंडीज जैसी टीमें शायद हमें ढीलापन दे सकती हैं, लेकिन फिर किसी मजबूत विपक्ष के सामने वही कमज़ोरियाँ खुलकर सामने आ जाएँगी.  भारतीय क्रिकेट के आगे कुछ कठिन दिन और रातें हैं ऐसे दिन-रात जो व्हाइट-बॉल क्रिकेट की चमक-दमक से बिल्कुल अलग होंगे. ऐसे घंटे जिनमें खिलाड़ी खुद को अकेला और चिंतित महसूस करेंगे. मीडिया की आलोचना भी लगातार होगी. लेकिन हर सुरंग के अंत में एक रोशनी होती है अगर खिलाड़ी उसे देखना चाहें.

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप से बाहर !

यह सीरीज़ अब इतिहास है जिसमें  भारत ने आत्मसमर्पण कर दिया। लेकिन अब रास्ता क्या है? क्या इस गड्ढे से बाहर निकलना मुमकिन है या हमें इस WTC चक्र को अलविदा कहना होगा, यह बल्लेबाज़ी, जो पहले से कहीं ज़्यादा भंगुर दिख रही है, क्या अपनी समस्याओं का हल ढूंढ पाएगी, यह कौशल के साथ-साथ मानसिक दृढ़ता का भी खेल है। इस रट से बाहर निकलने के लिए बहुत कौशल और बहुत हिम्मत चाहिए होगीऔर टीम से जुड़ा हर व्यक्ति अब परीक्षा से गुज़रेगा.

इस हार की सुबह नहीं 

शुभमन गिल वापसी करेंगे लेकिन यह सीरीज़ हार सिर्फ उन्हीं के बारे में नहीं है.  ईडन गार्डन्स में भारत को सिर्फ 124 रन का पीछा करना था एक काउंटर-अटैकिंग पारी काम कर देती लेकिन भारत डरा हुआ खेला. गुवाहाटी में, बेहतर विकेट पर, हालात और खराब थे.  दक्षिण अफ्रीका ने लगभग 500 रन ठोक दिए और मैच पर पकड़ बना ली.  गेंदबाज़ी, बल्लेबाज़ी,और फ़ील्डिंग, सब कुछ खराब रहा,  आत्ममंथन ही आगे का रास्ता है, गलतियाँ मानें और फिर उन्हें ठीक करें. और यह सब अभी करें, चाहे व्हाइट-बॉल क्रिकेट में कैसी भी सफलता क्यों न मिल रही हो.

सारांश:
भारतीय क्रिकेट टीम का हालिया प्रदर्शन चिंता का विषय बना हुआ है। टीम ने कुल 19 मैचों में 9 हारें सहे हैं, जबकि अपने घर में खेले गए 5 मैचों में भी टीम पस्त रही। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर टी-20 खिलाड़ियों को टेस्ट टीम में शामिल किया गया तो इसी तरह की हारों का सिलसिला जारी रह सकता है। टीम के चयन और रणनीति पर सवाल उठने लगे हैं, और फैंस में निराशा देखने को मिल रही है।

Bharat Baani Bureau

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *