10 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान पूर्णिया से निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने एसआईआर पर सवाल उठाया. उन्‍होंने दावा किया कि बिहार में एक बड़ी साजिश के तहत 69 लाख वोट काटे गए हैं. पप्‍पू यादव ने कहा कि बिहार में 69 लाख वोट कटे. इनमें 99 फीसदी दल‍ित, ईबीसी, ओबीसी, माइनॉर‍िटी, आद‍िवासी हैं. मैं पहला सवाल सरकार से पूछना चाहता हूं क‍ि क्‍या जो लोग बाहर थे, क‍िस आधार पर इन लोगों का नाम काटा गया? तकनीकी कारण क्‍या था? आधार का ल‍िंक आपने मान ल‍िया, ज‍िसमें थोड़ी गड़बड़ी थी, उसे भी आपने मान ल‍िया, फ‍िर कटा क्‍यों?

पप्पू यादव ने कहा, बिहार में 69 लाख वोट कटे, ज‍िसमें पूर्णिया विधानसभा सीट पर 69000 वोट कटे. यह खेल सिर्फ एक जगह नहीं हुआ, बल्कि 172 सीटों पर 69000 से लेकर 19000 तक वोट काटे गए. एक विधानसभा सीट पर इतने बड़े पैमाने पर वोटों का कटना कोई साधारण बात नहीं है. उन्होंने जोर देकर कहा कि 172 सीटों पर हजारों की संख्या में वोट गायब होना चुनावी नतीजों को पूरी तरह से बदलने की क्षमता रखता है.

99 फीसदी दलित, ईबीसी, ओबीसी और माइनॉरिटी

वोट काटने की इस प्रक्रिया में पप्पू यादव ने जातिगत समीकरणों का हवाला दिया. उन्होंने दावा किया कि जिन लोगों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए, वे एक खास सामाजिक पृष्ठभूमि से आते हैं. उन्होंने कहा, ये जो वोट कटे हैं, इनमें 99 फीसदी दल‍ित, ईबीसी, ओबीसी, माइनॉर‍िटी और आद‍िवासी हैं. सांसद का कहना था कि यह संयोग नहीं हो सकता कि कटने वाले वोटों में लगभग पूरा प्रतिशत उन्हीं वर्गों का है जो समाज के वंचित तबके से आते हैं. उन्होंने सरकार के सामने यह आंकड़ा रखते हुए पूछा कि आखिर इन्ही वर्गों को निशाना क्यों बनाया गया.
तकनीकी कारण क्या था?

पप्पू यादव ने सरकार से जवाब मांगते हुए पूछा कि आखिर किन कारणों से लोगों को मताधिकार से वंचित किया गया. उन्होंने सवाल उठाया, मैं पहला सवाल सरकार से पूछना चाहता हूं क‍ि क्‍या जो लोग बाहर थे, क‍िस आधार पर इन लोगों का नाम काटा गया? तकनीकी कारण क्‍या था? उन्‍होंने कहा- आधार का ल‍िंक आपने मान ल‍िया, ज‍िसमें थोड़ी गड़बड़ी थी, उसे भी आपने मान ल‍िया, फ‍िर कटा क्‍यों? उनका कहना था कि अगर कोई तकनीकी खामी थी भी, तो उसे सुधारा जा सकता था, लेकिन सीधे नाम काट देना समझ से परे है.

आयोग पर मिलीभगत का आरोप

पप्पू यादव ने सदन में यह आशंका जताई कि सरकार के लोगों ने चुनाव आयोग के साथ मिलकर वोटों की हेराफेरी की है. उन्होंने कहा, मुझे लगता है क‍ि इनके पदाध‍िकार‍ियों ने चुनाव आयोग के साथ मिलकर उतना ही वोट काटा ज‍ितने वोट से ये हर बार चुनाव में हार जाते थे. सांसद ने आरोप लगाया कि जीत और हार के बीच का जो अंतर होता है, उसे खत्म करने के लिए विरोधी पक्ष के वोटों को ही लिस्ट से गायब कर दिया गया ताकि जीत सुनिश्चित की जा सके.

बैलेट पेपर बनाम ईवीएम

ईवीएम की विश्वसनीयता पर सवाल उठाते हुए पप्पू यादव ने अपने चुनाव और वोट प्रतिशत का जिक्र किया. उन्होंने कहा, 83.4 वोट प्रत‍िशत इन्‍हें पहले से हमसे वोट कम है, यानी वोट है. वैलेट में हम चुनाव जीत जाते हैं और ईवीएम में ये जीत जाते हैं. उन्होंने सदन में यह बात रखी कि बैलेट पेपर से वोटिंग के रुझान और ईवीएम के नतीजों में विरोधाभास देखने को मिलता है.

40 फीसदी परिवारों के नाम साफ

बिहार के कोसी और सीमांचल क्षेत्र की स्थिति बयां करते हुए पप्पू यादव ने कहा कि वहां हालात और भी खराब थे. उन्होंने कहा, जो लोग बाहर थे, उनका नाम क‍िस आधार पर काटा? पूर्णिया, सहरसा, सुपौल और मधेपुरा में 40 फीसदी प‍र‍िवार का नाम काट द‍िया. उन्होंने वोटर लिस्ट में हुई भारी गड़बड़ियों का जिक्र करते हुए बताया, कहीं मह‍िलाओं का नाम था तो पुरुषों का काट द‍िया, कहीं पुरुषों का रखा तो मह‍िलाओं का काट द‍िया. क‍िसी का नाम दूसरे पंचायत में डाल दिया गया.” सांसद ने बताया कि एक ही परिवार के आधे सदस्यों का नाम रखना और आधे का काट देना या दूसरे क्षेत्र में भेज देना मतदाताओं को परेशान करने का तरीका था.

बूथ पर क्या हुआ?

मतदान के दिन की स्थिति साझा करते हुए पप्पू यादव ने कहा, “हम बूथ पर गए तो कहा क‍ि वोट कट गया, कोई गया तो कहा आपका वोट डल गया. किस कारण से नाम काटे, ये नहीं बताया.” उन्होंने कहा कि मतदाता बूथ पर पहुंचकर ठगा सा महसूस कर रहा था क्योंकि उसे कारण बताए बिना लिस्ट से बाहर कर दिया गया था.

डर से 27 लाख वोट जोड़े, लेकिन अपने

पप्पू यादव ने यह भी दावा किया कि जब इस मुद्दे पर शोर मचा तो कुछ वोट वापस जोड़े गए, लेकिन उसमें भी खेल किया गया. उन्होंने कहा, डर से 27 लाख वोट आपने जोड़ा, वो भी सिर्फ दल‍ित आद‍िवासी का जोड़ा. आपने वो वोट जोड़ा जो आपके थे, हमारे वोट काटे गए, इनके वोट जोड़े गए. सांसद ने आरोप लगाया कि सुधार की प्रक्रिया में भी पक्षपात किया गया और केवल सत्ता पक्ष के समर्थक माने जाने वाले मतदाताओं के नाम ही वापस लिस्ट में शामिल किए गए, जबकि विपक्ष के वोटरों को बाहर ही रखा गया.

सुप्रीम कोर्ट के जज करें फैसला

  • चुनाव आयोग की निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए पप्पू यादव ने मांग की कि आयोग में नियुक्तियां सरकार की मर्जी से नहीं होनी चाहिए. उन्होंने सुझाव दिया, चुनाव आयोग में जब भी कोई मनोनीत हो तो सुप्रीम कोर्ट के जज फैसला करें.
  • केंद्र सरकार की ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की नीति का कड़ा विरोध करते हुए पप्पू यादव ने इसे दलित विरोधी बताया. उन्होंने कहा, “वन नेशन वन इलेक्‍शन करना चाहते हैं, ये दल‍ित विरोधी हैं.
  • अपने भाषण के अंत में उन्होंने वोटर लिस्ट बनाने की पूरी प्रक्रिया को ही संदेहास्पद बताया. उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया कंप्‍लीट कंफ्यूजि‍ंग और डेंजरस थी. उन्होंने सवाल किया, छह महीने पहले वोटर ल‍िस्‍ट बना था तो नया बनाने की जरूरत क्‍या थी?

सारांश

पप्पू यादव ने SIR रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि इस बार 69 लाख वोट काटे गए, जिनमें से 99% दलित, ओबीसी और माइनॉरिटी समुदायों के थे। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया में गंभीर गड़बड़ी बताते हुए जांच और जवाबदेही की मांग की। यह बयान राजनीतिक हलकों में बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है।

Bharat Baani Bureau

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