16 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : केंद्र सरकार ने मंगलवार को लोकसभा में विकसित भारत जी राम जी विधेयक पेश कर दिया. केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह विधेयक पेश किया. विधेयक पेश किए जाने के वक्त सदन में संक्षिप्त चर्चा हुई. इस दौरान कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने इस विधेयक विरोध किया. उन्होंने कहा कि हर योजना का नाम बदलने की सनक से देश पर खर्च बढ़ रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि इस विधेयक में कई ऐसे प्रावधान है जिस पर विपक्ष को आपत्ति है. इसमें सबसे बड़ी चिंता इस योजना को लागू करने के खर्च में केंद्र की भागीदारी को घटना है. मनरेगा योजना में केंद्र की भागीदार 90 फीसदी है जबकि इस प्रस्ताविक कानून में उसकी भागीदारी घटकर 60 फीसदी हो जाएगी. इस विधेयक का तमाम विपक्षी सदस्यों ने विरोध किया. इसी क्रम में कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी बात रखी.

राम का नाम बदनाम न करो

शशि थरूर ने इस योजना का नाम बदलने का विरोध करते हुए कहा कि मेरे बचपन में गाते थे. देखो ऐ दीवानों ये काम न करो, राम का नाम बदनाम न करो. इस गाने के जरिए शशि थरूर ने विधेयक का नाम बदलने का विरोध किया. इस दौरान उन्होंने इस प्रस्ताविक विधेयक में केंद्र सरकार की ओर से खर्च में कटौती का भी विरोध किया. इस विधेयक में केंद्र सरकार की भागीदारी 60 फीसदी और राज्यों भी भागीदारी 40 फीसदी तय की गई है. उन्होंने कहा कि इस योजना के नाम में दो भाषाओं के शब्दों का इस्तेमाल किया गया है. यह संविधान के आर्टिकल 340 का उल्लंघन है. उन्होंने इसके साथ ही कहा कि यह महात्मा गांधी की विरासत के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी का नाम हटाना केवल एक नाम हटाना नहीं बल्कि इस योजना की आत्मा को खत्म करना है. यह योजना करोड़ों वंचितों के जीवन दशा को सुधारने के लिए लाया गया था.

सपा सांसद ने किया विरोध

लोकसभा में विधेयक पेश होने के बाद कई अन्य सदस्यों ने इसका विरोध किया. समाजवादी पार्टी के सांसद रामजी लाल सुमन ने कहा कि महात्मा गांधी से महान कोई व्यक्ति विश्व में कभी जन्मा ही नहीं. महात्मा गांधी के निधन के बाद सोवियत रूस के झंडे को छोड़कर दुनिया में शायद ही कोई ऐसा झंडा रहा हो जो उनके सम्मान में न झुका हो. लेकिन ये लोग (भाजपा) गांधी का नाम सुनते ही उत्तेजित हो जाते हैं… ये सब क्यों कर रहे हैं? अगर इसका नाम गोडसे योजना रख दिया होता तो बेहतर होता. समीक्षा में इस बात पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए था कि यह योजना कितनी प्रभावी रही है. राज्यों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और उन पर और बोझ डालना उचित नहीं है. कई अन्य सदस्यों ने इस विधेयक का विरोध किया और कहा कि यह राष्ट्रपिता का अपमान है.

सारांश:
लोकसभा में शशि थरूर ने कांग्रेस का मजबूती से पक्ष रखा और प्रियंका गांधी की लाइन का समर्थन किया। दोनों नेताओं ने सरकार की नीतियों और फैसलों पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस की रणनीति को आगे बढ़ाया। इसे पार्टी के भीतर एकजुटता और विपक्ष की साझा आवाज के तौर पर देखा जा रहा है, जिससे सियासी हलकों में चर्चा तेज हो गई है।

Bharat Baani Bureau

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