16 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन के विदेश दौरे के पहले चरण में जॉर्डन पहुंचे. यहां पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया और खुद जॉर्डन के किंग के महल में उन्हें द्विपक्षीय वार्ता का न्यौता दिया गया. आपक बा दें कि किंग अब्दुल्ला द्वितीय के शाही महल के पास एक ऐसी जगह भी है, जो इस्लाम धर्म के लिए बहुत पवित्र मानी जाती है. यहां पैगंबर मोहम्मद की दाढ़ी का वो बाल रखा हुआ है, जिसे इस्लाम धर्म मानने वाले पाक मानते हैं. पीएम मोदी इसी इलाके में पहुंचे और प्रतिनिधिमंडल के साथ वार्ता की.
आपको बता दें कि जॉर्डन की राजधानी अम्मान में स्थित प्रोफेट मोहम्मद म्यूजियम इस्लामी इतिहास और आस्था से जुड़ा एक बेहद महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है. यह किंग के महल से 28 मिनट की दूरी पर मौजूद है. यही वह म्यूजियम है, जहां पैगंबर मोहम्मद साहब की दाढ़ी का एक बाल सुरक्षित रखा गया है. यह पैगंबर मोहम्मद साहब के अवशेषों में से बहुत पाक माना जाता है. इसे पीढ़ियों से यहां सहेजकर रखा गया है.
क्यों इस्लाम धर्म में पवित्र मानते हैं ये जगह?
इस म्यूज़ियम की नींव जॉर्डन के शाही परिवार और खास तौर पर किंग अब्दुल्ला द्वितीय के संरक्षण में रखी गई. जॉर्डन लंबे समय से खुद को इस्लामी विरासत और पवित्र स्थलों का संरक्षक मानता रहा है. प्रोफेट मोहम्मद म्यूजियम, रॉयल आल अल-बैत इंस्टीट्यूट फॉर इस्लामिक थॉट के अंतर्गत आता है और इसे इस उद्देश्य से बनाया गया है कि इस्लाम के पैगंबर से जुड़ी विरासत, संदेश और ऐतिहासिक धरोहरों को दुनिया के सामने सम्मान के साथ प्रस्तुत किया जा सके. म्यूजियम को आधुनिक तकनीक और पारंपरिक इस्लामी वास्तुकला के मेल से तैयार किया गया है, ताकि यहां आने वाले लोग इतिहास को न सिर्फ पढ़ें, बल्कि उसे महसूस भी कर सकें. म्यूजियम में रखे गए पैगंबर मोहम्मद के पवित्र अवशेष को मुस्लिम समुदाय में पैगंबर से जुड़ी किसी भी निशानी को गहरी श्रद्धा और भावनात्मक जुड़ाव के साथ देखा जाता है. इसी वजह से यह म्यूजियम सिर्फ देखने की जगह नहीं बल्कि आस्था और इतिहास का संगम भी है.
पैगंबर मोहम्मद साहब की आत्मा से जुड़ी जगह
इस म्यूजियम में केवल अवशेष ही नहीं, बल्कि पैगंबर मोहम्मद साहब के जीवन, उनके संदेश, इस्लाम के मूल सिद्धांतों, शांति, इंसाफ और मानवता के सबक को भी दिखाया गया है. यहां ऐतिहासिक दस्तावेज, नक्शे और डिजिटल डिस्प्ले के जरिए इस्लाम के शुरुआती दौर की कहानी बताई जाती है. किंग अब्दुल्ला द्वितीय के शाही महल के पास स्थित होने के कारण यह म्यूजियम, जॉर्डन की धार्मिक और राजनीतिक विरासत दोनों का प्रतीक बन गया है. यही वजह है कि विदेशी मेहमानों और राष्ट्राध्यक्षों के दौरों के दौरान इस इलाके को खास महत्व दिया जाता है.
पीएम मोदी का यहां पहुंचना क्यों महत्वपूर्ण?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इस क्षेत्र में पहुंचना भारत-जॉर्डन संबंधों के साथ-साथ सभ्यताओं के संवाद और आपसी सम्मान का भी संकेत माना जा रहा है. प्रोफेट मोहम्मद म्यूजियम आज न सिर्फ जॉर्डन बल्कि पूरी दुनिया के लिए इस्लाम के इतिहास को समझने का अहम केंद्र माना जाता है. चूंकि भारत में पर इस्लाम धर्म को मानने वाले लोगों की भी अच्छी खासी संख्या है, ऐसे में उनका ये दौरा धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के मुखिया के तौर पर बहुत मायने रखता है.
सारांश:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जॉर्डन दौरे के दौरान जिस शाही महल में पहुंचे, उसके पास ही एक ऐतिहासिक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण स्थल स्थित है। बताया जाता है कि यह जगह महल से लगभग 28 मिनट की दूरी पर है, जहां पैगंबर मोहम्मद की दाढ़ी का एक पवित्र बाल सुरक्षित रखा गया है। यह स्थल इस्लाम धर्म में गहरी आस्था और ऐतिहासिक विरासत का प्रतीक माना जाता है, जिस कारण यह दुनियाभर के श्रद्धालुओं के लिए खास महत्व रखता है।
