नई दिल्ली 17 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ).  यह  कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि आईपीएल मिनी-नीलामी में कई अनकैप्ड खिलाड़ियों पर भारी रकम लगी. वास्तव में, यह अब आईपीएल की सामान्य प्रवृत्ति बन चुकी है. इन सभी खिलाड़ियों में प्रतिभा है, और अब जब स्काउटिंग अत्यंत पेशेवर, सुव्यवस्थित और गहन शोध पर आधारित हो चुकी है, तो हर टीम अनकैप्ड खिलाड़ियों की ताकत और कमजोरियों से भली-भांति परिचित होती है. मैं यहां तक कहूंगा कि राज्य चयनकर्ताओं की भूमिका अब आईपीएल स्काउट्स ने काफी हद तक संभाल ली है जो बेहतर वेतन पाते हैं और कहीं अधिक जागरूक होते हैं.

आईपीएल कहीं अधिक लाभकारी बिजनेस है, और स्काउटिंग अब एक अच्छी तनख्वाह वाला पेशा बन चुका है. राज्य चयन समिति के सदस्यों के विपरीत जो प्रायः पूर्व क्रिकेटर होते हैं और सम्मानस्वरूप नियुक्त किए जाते हैं आईपीएल स्काउट्स पेशेवर करियर विशेषज्ञ होते हैं, जो पूरी गंभीरता और सूक्ष्मता से अपनी जांच-पड़ताल करते हैं.

स्काउट का रोल रहा अहम 

कल रात की नीलामी की कहानी उतनी ही कार्तिक शर्मा के बारे में है, जितनी कैमरन ग्रीन के बारे में जहां यह पहले से तय माना जा रहा था कि ग्रीन पर रिकॉर्ड बोली लगेगी, वहीं कार्तिक के लिए लगी बोली ने कई लोगों को चौंका दिया होगा. वास्तव में, मुझे पूरा विश्वास था कि कार्तिक पर कई करोड़ रुपये लगेंगे, और वही हुआ. इसका कारण यह था कि कार्तिक पर पहले से ही व्यापक शोध किया जा चुका था. यदि आपने अपना होमवर्क ठीक से किया होता, तो आपको पता होता कि यह एक ऐसा सौदा है जो बेहद सफल साबित हो सकता है एक सार्थक जोखिम और ठीक यही फ्रेंचाइज़ियों ने अबू धाबी में किया.

ग्रीन पर बड़ी बोली क्यों 

एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि मिनी-नीलामी में हमेशा कुछ खिलाड़ी ऐसे होते हैं जिन पर उनकी वास्तविक काबिलियत से अधिक पैसे लग जाते हैं. मिनी-नीलामी का स्वभाव ही ऐसा होता है. उदाहरण के लिए, ग्रीन शायद 25 करोड़ रुपये के हकदार नहीं हैं फिर भी उनकी बोली उस स्तर तक पहुंचना कोई आश्चर्य की बात नहीं थी. यह पूरी तरह से बाजार की गतिशीलता का मामला है. मांग आपूर्ति से कहीं अधिक थी, और इसलिए कीमत बढ़ गई.

स्टार्ट अप पर पैसे लगाने जैसा

मिनी-नीलामी फ्रेंचाइज़ियों को ऐसे खिलाड़ियों को चुनने का अवसर भी देती है, जिन्हें वे भविष्य के सितारे मानती हैं. यह उन्हें अपनी टीम को मजबूत करने का मौका देती है. यदि आपने शोध सही ढंग से किया है, तो आप मिनी-नीलामी में अनकैप्ड खिलाड़ियों में निवेश करते हैं, उन्हें कुछ वर्षों तक अपने साथ रखते हैं और देखते हैं कि क्या वे उम्मीद के मुताबिक परिपक्व होते हैं. यदि वे सफल होते हैं, तो आपने अपनी काबिलियत साबित कर दी. यदि नहीं भी होते, तब भी यह जोखिम उठाने लायक होता है. यह बिल्कुल शेयर बाजार जैसा है जहां  आप स्टार्ट-अप्स में निवेश करते हैं, इस उम्मीद में कि उनमें से कोई एक सफल होगा और करोड़ों का निवेश बन जाएगा.  अनकैप्ड खिलाड़ियों के साथ भी यही होता है, और यही कारण है कि उनमें से इतने सारे खिलाड़ी खरीदे गए.

आईपीएल का बाजार 

कुल मिलाकर, आईपीएल अब एक परिपक्व बाजार बन चुका है स्काउटिंग अत्यंत  प्लान तरीके से होती  है, और शोध गहन व सूचनात्मक है. यही वजह है कि फ्रेंचाइज़ियां सोच-समझकर निवेश करती नजर आती हैं. आरसीबी द्वारा वेंकटेश अय्यर को सात करोड़ रुपये में खरीदना इसका एक और उदाहरण है. वे बोली में टिके रहे और विवेकपूर्ण निर्णय लिया. हर फ्रेंचाइज़ी को लगेगा कि उसने सबसे अच्छी नीलामी की है और फिलहाल संतुष्ट महसूस करेगी.  वास्तव में किसने सबसे अच्छी नीलामी की, इसका पता मई 2026 में ही चलेगा तब तक, सभी टीम मालिक खुद को सही ठहराने का कारण पाएंगे.

सारांश:
आईपीएल में टीमों के लिए युवा और अनकैप्ड खिलाड़ियों की खोज उतनी ही महत्वपूर्ण है जितना स्टार्टअप में निवेश करना। स्काउट्स नए टैलेंट को खोजने और आंकलन करने में प्रमुख भूमिका निभाते हैं। वे घरेलू मैचों, अभ्यास सत्रों और छोटे टूर्नामेंटों में खिलाड़ियों का प्रदर्शन, तकनीक, मानसिक मजबूती और फिटनेस का मूल्यांकन करते हैं। सही खिलाड़ी चुनकर टीम अपने भविष्य के लिए मजबूत आधार तैयार करती है और युवा खिलाड़ियों को बड़ा मंच मिलता है।

Bharat Baani Bureau

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