19 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : तुर्की ने एक बार फिर ग्लोबल पॉलिटिक्स में हलचल बढ़ा दी है. रिपोर्ट्स के मुताबिक तुर्की रूस से खरीदे गए S-400 एयर डिफेंस सिस्टम को लौटाने पर विचार कर रहा है. इसके पीछे मकसद अमेरिका से F-35 फाइटर जेट खरीदने का रास्ता साफ करना बताया जा रहा है. इस खबर का सामने आना अब इजरायल की टेंशन बढ़ा रहा है. हाल ही में इजरायल ने पूरा दम लगा दिया है कि सऊदी और तुर्की को F-35 न मिले. S-400 की वापसी अगर की गई तो नाटो देशों, रूस और अमेरिका के बीच तुर्की की रणनीतिक स्थिति पूरी तरह बदल सकती है. ब्लूमबर्ग न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने यह मुद्दा हाल ही में तुर्कमेनिस्तान में हुए एक शिखर सम्मेलन के दौरान रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सामने उठाया. यह वही मीटिंग है, जिसमें पाकिस्तानी पीएम शहबाज शरीफ जबरन घुस गए थे.
सूत्रों का दावा है कि तुर्की S-400 सिस्टम वापस करने के साथ-साथ रूस से रिफंड की भी उम्मीद कर रहा है. वह मानकर चल रहा है कि रूस S-400 के बदले में सस्ता तेल या गैस आपूर्ति करेगा. हालांकि क्रेमलिन ने इस रिपोर्ट को सिरे से खारिज कर दिया है. रूस ने कहा है कि एर्दोगन और पुतिन की मुलाकात में S-400 की वापसी का मुद्दा एजेंडा में था ही नहीं. वहीं तुर्की सरकार ने भी इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी करने से इनकार किया है.
तुर्की S-400 क्यों लौटाना चाहता है?
नाटो मेंबर तुर्की लंबे समय से अमेरिका से F-35 सटील्थ फाइटर जेट खरीदना चाहता है. लेकिन साल 2017 में रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने के बाद अमेरिका ने तुर्की को F-35 प्रोग्राम से बाहर कर दिया था. अमेरिका को डर था कि S-400 सिस्टम के जरिए F-35 की तकनीकी जानकारी रूस तक पहुंच सकती है. हाल ही में तुर्की में अमेरिका के राजदूत टॉम बैरक ने कहा था कि दोनों देशों के बीच F-35 को लेकर बातचीत सकारात्मक दिशा में बढ़ रही है. उन्होंने साफ कहा कि अमेरिकी कानून के तहत तुर्की को F-35 प्रोग्राम में लौटने के लिए जरूरी है कि वह S-400 सिस्टम त्याग दे.
बैरक के मुताबिक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और राष्ट्रपति एर्दोगन के बीच बेहतर रिश्तों से दोनों देशों के बीच सहयोग का नया माहौल बना है. उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले महीनों में इस मुद्दे पर कोई बड़ा ब्रेकथ्रू हो सकता है.
इजरायल की क्यों बढ़ी टेंशन?
तुर्की इस समय अपने पुराने हो चुके लड़ाकू विमान बेड़े को मजबूत करने की कोशिश में है. नाटो का दूसरा सबसे बड़ा सैन्य बल रखने वाला तुर्की पहले ही 40 यूरोफाइटर टाइफून खरीदने की योजना पर काम कर रहा है. ब्रिटेन ने अक्टूबर में 20 नए यूरोफाइटर बेचने का ऐलान किया था. इसके अलावा तुर्की कतर और ओमान से भी अस्थायी तौर पर विमान ले रहा है. इस पूरे घटनाक्रम पर इजरायल भी नजर बनाए हुए है. इजरायल पहले से तुर्की को F-35 देने को लेकर चिंता जताता रहा है. फिलहाल मिडिल ईस्ट में इजरायल ही एकमात्र देश है, जिसके पास F-35 फाइटर जेट हैं. हालांकि हाल में ट्रंप ने सऊदी अरब को भी F-35 बेचने का ऐलान किया है, जिससे इजरायल की चिंता और बढ़ गई है.
