22 दिसंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : भारत ने न्यूजीलैंड के साथ हुए द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौते (FTA) के तहत डेयरी सेक्टर में किसी भी तरह की आयात शुल्क (ड्यूटी) में छूट नहीं दी है। दोनों देशों ने हाल ही में मुक्त व्यापार समझौते की बातचीत पूरी होने की घोषणा की है। इसमें साफ कहा गया है कि डेयरी सेक्टर भारत के लिए ‘रेड लाइन’ है और इस क्षेत्र में कोई समझौता नहीं किया गया है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने सोमवार को भारत-न्यूजीलैंड FTA की ब्योरा बताते हुए कहा कि भारत कभी भी अपना डेयरी सेक्टर नहीं खोलेगा।
एक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान, केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हम सभी सेक्टरों की सुरक्षा के लिए बहुत संवेदनशील रहे हैं, जैसे चावल, गेहूं, डेयरी, सोया और कई अन्य किसान उत्पादों, कृषि उत्पादों में किसानों के हितों की रक्षा करना, जिन्हें किसी भी तरह की पहुंच के लिए नहीं खोला गया है। हम यह सुनिश्चित करने के लिए भी बहुत सचेत रहे हैं कि हमारे MSMEs और हमारे स्टार्टअप इनोवेटर्स को न्यूजीलैंड में बड़े अवसर मिलें।”
सोमवार को, भारत और न्यूजीलैंड ने FTA को अंतिम रूप देने की घोषणा की। यह डील भारत को न्यूजीलैंड के बाजार में ड्यूटी-फ्री एक्सेस देती है, जबकि न्यूजीलैंड को 95% उत्पादों पर टैरिफ घटाने या हटाने का लाभ मिलेगा। हालांकि, यह डील भारत के राजनीतिक और आर्थिक रूप से संवेदनशील डेयरी सेक्टर और कुछ कृषि उत्पादों तक पहुंच को बाहर रखती है, जो इन क्षेत्रों पर भारत के कड़े रुख को दिखाता है।
डेयरी और कृषि भी लंबे समय से प्रतीक्षित भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में एक प्रमुख विवाद का विषय रहे हैं, जिसमें अमेरिका भारतीय बाजारों में अधिक पहुंच चाहता है। हालांकि, गोयल ने कहा कि इस बारे में बातचीत एडवांस स्टेज में है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और न्यूजीलैंड के व्यापार एवं निवेश मंत्री टॉड मैक्ले के बीच हुई बैठक के दौरान 16 मार्च 2025 को औपचारिक वार्ता शुरू हुई थी। 5 औपचारिक दौर की वार्ताओं के बाद यह समझौता फाइनल हुआ। सरकार का कहना है कि इस FTA के अंतर्गत रोजगार को बढ़ावा मिलेगा और स्किल डेवलपमेंट बेहतर होगा। व्यापार एवं निवेश आधारित विकास को रफ्तार मिलेगी। साथ ही कृषि उत्पादकता के लिए इनोवेशन को प्रोत्साहन मिलेगा। इसके अलावा लंबी अवधि के लिए आर्थिक स्थिरता को मजबूत करने के लिए लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा।
समझौते पर व्यापार एवं निवेश मंत्री पीयूष गोयल ने कहा, “यह मुक्त व्यापार समझौता व्यापार को बढ़ावा देने, हमारे किसानों, उद्यमियों, छात्रों, महिलाओं और नवप्रवर्तकों के लिए नए अवसरों के साथ उपज और किसानों की आय को बढ़ाते हुए आधुनिक कृषि उत्पादकता को गति देता है।
डेयरी प्रोडक्ट्स को नहीं मिलेगा एक्सेस
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, दोनों देशों के बीच हुए एफटीए के अंतर्गत सेब, कीवी और शहद के लिए उत्कृष्टता केंद्रों के जरिए कृषि उत्पादकता साझेदारी की गई, ताकि उत्पादकता और किसानों की आय को बढ़ावा दिया जा सके। उत्पादकता सहयोग को सेब, कीवी और शहद के लिए सीमित बाजार पहुंच के साथ जोड़ा गया। यह कोटा और न्यूनतम आयात कीमतों से जुड़ा है, जिससे कि घरेलू उत्पादकों के लिए सुरक्षा उपायों के साथ नॉलेज ट्रांसफर को संयोजित किया जा सके। किसानों और घरेलू उद्योगों को सुरक्षा देने के लिए बाजार पहुंच में डेयरी, कॉफी, दूध, क्रीम, पनीर, दही, व्हे, केसिन, प्याज, चीनी, मसाले, खाने के तेल, रबर शामिल नहीं किए गए हैं।
डेयरी आयात का विरोध करता रहा है भारत
पीटीआई ने अपनी रिपोर्ट बताया कि भारत पहले भी अपने व्यापार समझौतों में थोक डेयरी आयात को लेकर सख्त रुख अपनाता रहा है। डेयरी सेक्टर हमेशा से भारत के लिए सबसे संवेदनशील और राजनीतिक रूप से अहम मुद्दा रहा है। भारत में लाखों छोटे डेयरी किसान हैं, जिनकी आजीविका इसी क्षेत्र पर निर्भर करती है। ऐसे में सरकार इस सेक्टर को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने को प्राथमिकता देती रही है।
न्यूजीलैंड दुनिया के सबसे बड़े डेयरी निर्यातकों में शामिल है, जबकि भारत दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देशों में से एक है। इसके बावजूद दोनों देशों के बीच डेयरी व्यापार फिलहाल बहुत सीमित है। वित्त वर्ष 2024-25 में न्यूज़ीलैंड से भारत में डेयरी उत्पादों का कुल आयात करीब 1.07 मिलियन डॉलर रहा।
जिन उत्पादों का आयात हुआ, उनमें दूध और क्रीम का आयात करीब 0.40 मिलियन डॉलर, नेचुरल हनी 0.32 मिलियन डॉलर, मोजरेला चीज 0.18 मिलियन डॉलर, मक्खन 0.09 मिलियन डॉलर और स्किम्ड मिल्क 0.08 मिलियन डॉलर का रहा।
सारांश:
भारत और न्यूजीलैंड के बीच प्रस्तावित FTA को लेकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट कर दिया है कि डेयरी सेक्टर में किसी तरह की छूट नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि भारत अपने संवेदनशील डेयरी क्षेत्र को विदेशी कंपनियों के लिए कभी भी एक्सेस नहीं देगा। सरकार का रुख किसानों और घरेलू उद्योगों के हितों की सुरक्षा पर केंद्रित है।
