22 मई; लालच बुरी बला है बचपन से ये कहावत सुनते आए हैं लेकिन इरादा अगर नेक हो तो लालच करना भी फायदेमंद हो सकता है। ब्रिटेन सरकार की एक स्कीम सुनकर तो यही लगता है। उन्होनें मोटे लोगों को लालच दिया कि वज़न घटाओ और 397 पाउंड यानि करीब 42 हज़ार रुपये ले जाओ। बस फिर क्या जो काम जिम, डाइट नहीं कर सकी वो पैसों के लालच ने कर दिया। काश ऐसी स्कीम शुगर कंट्रोल करने के लिए अपने देश में भी होती तो हम दुनिया की डायबिटीज़ कैपिटल नहीं बनते। एक तो वैसे ही भारत में शुगर पेशेंट्स की कमी नहीं है उपर से मौसम अलग मरीज़ों की गिनती बढ़ा रहा है। बेशक गर्मी ने 20 मई को पिछले 11 साल का रिकॉर्ड तोड़ा है लेकिन बढ़ते तापमान से शुगर लेवल बिगड़ने का गणित क्या है। जैसे जैसे पारा चढ़ता है पसीना निकलने से शरीर में पानी की कमी होती है जिससे बॉडी में ग्लूकोज़ लेवल बढ़ जाता है इसके अलावा प्रदूषण भी डायबिटीज़ का रोगी बना रहा ह। 

बालों से भी 30 गुना पतले पीएम 2।5 के कण शरीर में जाने से भी मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। द लैंसेट की लेटेस्ट स्टडी के मुताबिक डायबिटीज़ के 20% मामले लगातार प्रदूषित हवा में रहने से होते हैं। ये तो वो factors हैं जिन्हें कंट्रोल करना मुश्किल है लेकिन जो चीज़े हाथ में है लोग उन्हें भी नज़रअंदाज़ करते हैं। जैसे खानपान- वक्त पर खाना खान, सुबह नाश्ते में मोटे मोटे पराठें, कचौड़ी की जगह हेल्दी ब्रेकफास्ट करना ये कहना हमारा नहीं बल्कि अमेरिका की वील कार्नेल मेडिसिन यूनिवर्सिटी का है सिर्फ नाश्ता ही नहीं वहां हुई रिसर्च बताती है कि लंच-डिनर में चावल रोटी खाने से 10 मिनट पहले अगर सलाद दाल-हरी सब्ज़ी खाते हैं तो शुगर लेवल 47% तक कम शूट करता है। दरअसल ऐसा करने से जो फाइबर पेट में जाता है वो जब चावल-रोटी के कार्ब्स खाते हैं तो पहले से मौजूद फाइबर शुगर को ब्लड में मिलने से रोकता है जिससे ग्लूकोज़ लेवल बैलेंस रहता है। इससे शुगर लेवल बढ़ेगा तो नहीं लेकिन जिनका ऑलरेडी हाई रहता है वो क्या करें इसका जवाब तो स्वामी रामदेव ही देंगे, जो हमारे साथ जुड़ गए हैं।

Bharat Baani Bureau

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