चंडीगढ़, 1 फरवरी (भारत बानी): पंजाब सरकार ने नवीनतम तकनीकों की मदद से राज्य में ग़ैर-कानूनी माइनिंग को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए हैं।
इस सम्बन्धी और ज्यादा जानकारी देते हुये खनन और भू-विज्ञान विभाग के सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि विभाग द्वारा माइनिंग गतिविधियां शुरू होने से पहले सभी खदानों की जीओ-टैगिंग और जीओ-फेंसिंग कर दी गई थी। बताने योग्य है कि पंजाब में स्थित खदानों की जीओ-टैगिंग या जीओ-फेंसिंग पहले ही पूरी हो चुकी है और यह विभाग के पोर्टल के द्वारा सार्वजनिक तौर पर भी उपलब्ध हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि विभाग द्वारा अब तक जितनी भी माइनिंग साईट्स अलॉट की गई हैं, उनका प्री सर्वे किया गया है ताकि ग़ैर-कानूनी माइनिंग रोकी जा सके।
माइनिंग पोर्टल (मिनरल सेल मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम) https://minesandgeology.punjab.gov.in में ऑनलाइन शिकायतों के लिए व्यवस्था भी की गई है। राज्य के किसी भी क्षेत्र में ग़ैर-कानूनी माइनिंग के बारे शिकायत ( तस्वीरें और अन्य जानकारी सहित) दर्ज करवाने के लिए गुग्गल प्ले स्टोर पर ‘एंड्रोईड एप्लीकेशन (पंजाब सैंड)’ उपलब्ध है, जिसको कोई भी व्यक्ति डाउनलोड कर सकता है।
ज़िक्रयोग्य है कि राज्य में 31 अक्तूबर, 2023 तक पुलिस विभाग की तरफ से ग़ैर-कानूनी माइनिंग के विरुद्ध कुल 5366 केस दर्ज किये गए हैं।
खनन और भू-विज्ञान विभाग द्वारा एन. जी. टी. के हुक्मों की पालना के अंतर्गत राज्य में ग़ैर-कानूनी माइनिंग को रोकने के लिए एक ‘ज़िला स्तरीय टास्क फोर्स’ का गठन भी किया है।
एन. जी. टी. के हुक्मों की पालना करते हुये रोपड़ जिले में कुल 110 एफ. आई. आर. दर्ज करने के इलावा 156 वाहन ज़ब्त किये गए हैं। इसके इलावा रोपड़ जिले में ग़ैर-कानूनी माइनिंग के चलते विभाग द्वारा 13 करशरों की रजिस्ट्रेशन भी रद्द की गई है।
उन्होंने आगे बताया कि खनन और भू-विज्ञान विभाग सैटेलाइट डाटा का प्रयोग करते हुये नदी के तटों और अन्य माइनिंग साईटों के टिकाऊ प्रबंधन और निगरानी के उद्देश्य के साथ आई. आई. टी. रोपड़ के साथ समझौता सहीबद्ध करने की प्रक्रिया में है।
विरोधी पक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा के भ्रामक बयान को सिरे से नकारते हुये खनन और भू-विज्ञान विभाग के प्रवक्ता ने स्पष्ट किया कि पंजाब में माइनिंग गतिविधियों सम्बन्धी लगाऐ गए दोष पूरी तरह गलत और बेबुनियाद होने के साथ-साथ विरोधी पक्ष के नेता के दावों से बिल्कुल उलट हैं क्योंकि वातावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा साल 2020 में माइनिंग साईटों के लिए जीओ-फेंसिंग और जीओ- टैगिंग के प्रयोग सम्बन्धी विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गए थे।
प्रवक्ता ने आगे कहा कि पंजाब सरकार ने जी. पी. एस. कोआर्डीनेटस का प्रयोग करते हुये सभी माइनिंग साईटों के लिए की-होल मार्कअप्प लैंगुएज ( के. एम. एल.) फाइलें तैयार करके इन दिशा-निर्देशों को सही अर्थों में लागू किया है। यह फाइलें जीओ-फेंसिंग और जीओ-टैगिंग के लिए एक मज़बूत और प्रभावी टूल के तौर पर काम करती हैं, जिससे कोई भी व्यक्ति गुग्गल अर्थ जैसे प्लेटफार्मों पर माइनिंग क्षेत्रों की आसानी से पहचान कर सकता है। ज़िक्रयोग्य है कि हरेक माइन योजना के साथ एक लाज़िमी के. एम. एल. फ़ाईल होती है और वातावरण सम्बन्धी मंज़ूरी के हरेक आवेदन में यह ज़रूरी दस्तावेज़ शामिल होते हैं।
उन्होंने कहा कि विभाग इस समय वातावरण सम्बन्धी 40 मंज़ूरियां प्राप्त करने के आखिरी पड़ाव पर है।
उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों के समय पर वातावरण सम्बन्धी ज़रूरी प्रवानगियों और अन्य मंज़रियों के बिना ही माइनिंग गतिविधियां होती थीं। इसके उलट मौजूदा सरकार के शासनकाल के दौरान कानूनी प्रोटोकोल की सख्ती से पालना करने के साथ-साथ यह यकीनी बनाया जा रहा है कि माइनिंग गतिविधियों की इजाज़त सिर्फ़ उन क्षेत्रों में ही दी जाये, जहाँ स्टेट इनवायरमैंट इम्पैक्ट असेसमेंट अथॉरिटी (एस. ई. आई. ए. ए.) से वातावरण सम्बन्धी मंज़ूरियां या अन्य ज़रूरी प्रवानगियां ली गई हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार कानून की मर्यादा का पालन करने के साथ-साथ वातावरण की सुरक्षा के लिए वचनबद्ध है।