Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the post-title-marquee-scroll domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/bharatbaani/htdocs/bharatbaani.com/wp-includes/functions.php on line 6114

Notice: Function _load_textdomain_just_in_time was called incorrectly. Translation loading for the wordpress-seo domain was triggered too early. This is usually an indicator for some code in the plugin or theme running too early. Translations should be loaded at the init action or later. Please see Debugging in WordPress for more information. (This message was added in version 6.7.0.) in /home/bharatbaani/htdocs/bharatbaani.com/wp-includes/functions.php on line 6114
बेंगलुरु पर पेयजल किल्लत की भयंकर मार, देश के तीसरे बड़े शहर से पलायन को मजबूर होते लोग

बेंगलुरु , 13 मार्च (भारत बानी) : जल ही जीवन है या पानी बचाओ, भविष्य बनाओ जैसे अनगिनत स्लोगन हैं जिनके प्रति देश के उन शहरों के लोग कतई गंभीर नहीं हैं, जिन्हें सुबह शाम जरूरत से ज्यादा या पर्याप्त मात्रा में पानी मयस्सर हो रहा है। दरअसल हम यहां बात करने जा रहे हैं कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु की जहां लोग भयंकर पेयजल किल्लत की मार झेल रहे हैं और उन्हें शायद पानी बचाने के उक्त स्लोगन अब अच्छी तरह से समझ आने लगे हैं। बेंगलुरु भारत का तीसरा सबसे बड़ा शहर है। करीब 84 लाख आबादी वाले शहर में पेयजल संकट इतना गहरा गया है कि यहां के बाशिंदे अब शहर छोड़ कर कहीं ओर बसने पर विचार करने लगे हैं। यही नहीं बल्कि भविष्य में भी पानी की आपूर्ति की चिंता में अब बेंगलुरु की रियल एस्टेट मार्केट में निवेश करने के बारे में पुनर्विचार करने को मजबूर हो चले हैं।  

शौचालयों के लिए पर्याप्त पानी नहीं
बेंगलुरु में सबसे ज्यादा वे लोग परेशान है जो किराए के मकानों या अपार्टमेंट्स में किराएदार हैं। यह वह आबादी है जो जिनके पास शहर छोड़ने का भी विकल्प नहीं है। पेयजल संकट के कारण इनकी हालत ऐसी हो चली है कि वे पानी से जुड़ी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने में भी असमर्थ हैं। घर की किराए की मोटी रकम अदा करने के बावजूद लोगों शौचालय के लिए पर्याप्त पानी तक नहीं मिल रहा है। दक्षिणी बेंगलुरु के उत्तरहल्ली के एक निवासी के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि वह पहले बेंगलुरु में संपत्ति खरीदने पर विचार कर रहा था, लेकिन पानी की कमी को देखते हुए उसने अब अपना इरादा ही बदल दिया है।

शहर छोड़ने के लिए “वर्क फॉर्म होम” एक विकल्प
बताया जा रहा है कि शहर के करीब 15 साल ज्यादातर बोरवेल सूख चुके हैं। पानी हासिल करने के लिए टैंकरों पर उमड़ती भीड़ सामुदायिक तनाव को बढ़ावा दे रही हैं। इस स्थिति से निपटने के लिए दूसरे शहर या राज्य से आए तकनीकी पेशेवर अब अपने संस्थानों से “वर्क फॉर्म होम” (डब्ल्यू.एफ.एच.) की मांग करने लगे हैं। उनका मानना है कि यह व्यवस्था जल संरक्षण प्रयासों में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। तकनीकी विशेषज्ञों का तर्क है कि डब्ल्यू.एफ.एच. की व्यवस्था कर्मचारियों को अपने गृहनगर में स्थानांतरित होने की अनुमति देगी, जिससे शहर के जल संसाधनों पर दबाव कम होगा।

1,500 रुपये में मिल रहा है 6 हजार लीटर पानी
पेयजल किल्लत के कारण बेंगलुरु में पानी का कारोबार तेज हो गया है। कई बार तो लोगों को पानी की मजबूरन भारी भरकम कीमत चुकानी पड़ रही है। बेंगलुरु के पूर्वी उपनगर मराठाहल्ली में एक बहुराष्ट्रीय निगम (एमएनसी) के लिए काम करने वाले एक अन्य तकनीकी विशेषज्ञ दीपक राघव के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्हें हर हफ्ते 6,000 लीटर पानी के लिए 1,500 रुपये का भारी भुगतान करना पड़ता है क्योंकि उनके किराए के घर में ट्यूबवेल सूख गया है।

याद आने लगे पानी बचाओ के नारे
इस बीच बेंगलुरु-होसुर रोड पर बेगुर में नोबल रेजीडेंसी के निवासियों ने हाल ही “पानी का दुरुपयोग बंद करो, भावी पीढ़ियों के लिए  पानी बचाओ” नारे के साथ एक ‘वॉकथॉन’ का आयोजन किया। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हें भविष्य में भी पानी की किल्लत का अहसास हो चला है। इस दौरान ब्यूटीफुल बेगुर एसोसिएशन के नेता प्रकाश ने पानी की कमी को दूर करने के लिए बोरवेल पर सरकार की निर्भरता के बारे में संदेह व्यक्त किया।

क्या कहते हैं राज्य के उपमुख्यमंत्री
कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी. के. शिव कुमार ने पेयजल किल्लत के बीच दावा किया कि शहर में पानी के व्यापार को रोक दिया गया है। उन्होंने कहा कि शहर में 16,000 बोरवेलों में से 7,000 गैर-कार्यात्मक हैं। इस संकट से निपटने और सभी निवासियों के लिए पानी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड, ब्रुहट बेंगलुरु महानगर पालिका और नोडल अधिकारियों सहित विभिन्न प्राधिकरणों की ओर से ठोस प्रयास चल रहे हैं। इसके अलावा स्लम क्षेत्रों में मुफ्त पानी उपलब्ध कराने के प्रयास किए जा रहे हैं।

Bharat Baani Bureau

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *