चंडीगढ़, 1 अप्रैल (भारत बानी) : हिसार स्थित चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा किसानों को कपास का उत्पादन बढ़ाने, उन्नत किस्म के बीजों एवं तकनीकी जानकारी देने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए। प्रशिक्षण शिविर में अनुसंधान निदेशक डॉ. जीतराम शर्मा ने किसानों को बताया कि गुलाबी सुंडी का प्रकोप खेतों में रखी हुई लकड़ियों और बनछटियों के कारण फैलता है। इनका उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए। सायना नेहवाल कृषि प्रौद्योगिकी प्रशिक्षण एवं शिक्षा संस्थान के सह-निदेशक प्रशिक्षण डॉ. अशोक गोदारा ने बताया कि संस्थान द्वारा समय-समय पर विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। कपास अनुभाग के प्रभारी डॉ. करमल सिंह ने बताया कि बीटी नरमा के लिए शुद्ध नाइट्रोजन, शुद्ध फास्फोरस, शुद्ध पोटाश व जिंक सल्फेट क्रमशः 70:24 24:10 किलोग्राम प्रति एकड़ की सिफारिश की जाती है। उर्वरक की मात्रा मिट्टी की जांच के आधार पर तय की जानी चाहिए। पांच-छह साल में एक बार गोबर की खाद डालनी चाहिए। शिविर में किसानों को विश्वविद्यालय की तरफ से उत्पादक सामग्री भी प्रदान की गई।