22 मई (मुंबई) : दवा निर्माता सिप्ला ने बुधवार को घोषणा की कि अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) ने लैनरेओटाइड इंजेक्शन के लिए उसे अंतिम मंजूरी दे दी है, जिसका इस्तेमाल एक्रोमेगाली और गैस्ट्रोएंटेरोपैनक्रिएटिक न्यूरोएंडोक्राइन ट्यूमर (जीईपी-एनईटी) के इलाज के लिए किया जाता है।
एक्रोमेगाली एक हार्मोनल विकार है, जबकि जीईपी-एनईटी एक दुर्लभ प्रकार का ट्यूमर है जो अग्न्याशय या पेट, छोटी आंत, बृहदान्त्र, मलाशय और अपेंडिक्स सहित जठरांत्र संबंधी मार्ग के अन्य भागों में बन सकता है।
कंपनी ने कहा कि उसे 120 मिलीग्राम/0.5 एमएल, 90 मिलीग्राम/0.3 एमएल और 60 मिलीग्राम/0.2 एमएल खुराक में लैनरेओटाइड इंजेक्शन के लिए अंतिम मंजूरी मिल गई है।
इसमें कहा गया है कि यूएसएफडीए की मंजूरी संक्षिप्त नई दवा आवेदन (एनडीए) पर आधारित है।
सिप्ला का लैनरेओटाइड इंजेक्शन सोमाटुलिन डिपो (लैनरेओटाइड) इंजेक्शन का एपी-रेटेड चिकित्सीय समकक्ष जेनेरिक संस्करण है।
लैनरियोटाइड इंजेक्शन की आपूर्ति 120 मिलीग्राम/0.5 एमएल, 90 मिलीग्राम/0.3 एमएल, और 60 मिलीग्राम/0.2 एमएल एकल-खुराक, पहले से भरी हुई और इंजेक्शन के लिए तैयार सिरिंज के रूप में की जाती है।
IQVIA (IMS हेल्थ) के अनुसार, Somatuline Depot (Lanreotide) की पिछले साल यानी मार्च 2024 तक अमेरिका में बिक्री लगभग 898 मिलियन डॉलर थी।