27मई: 77वें कान फिल्म महोत्सव में भारतीय फिल्म मेकर पायल कपाड़िया ने इतिहास रच दिया। प्रतिष्ठित फिल्म समारोह में उनकी फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन एज लाइट’ ने ग्रांड प्रिक्स जीता है। ग्रांड प्रिक्स, पाल्मे डी’ओर के बाद फिल्म महोत्सव का दूसरा सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार है। पायल की इस उपलब्धि पर पूरा देश गदगद है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम निर्माता-निर्देशकों ने उनकी पीठ थपथपाई है। इस बीच पायल के शैक्षिक संस्थान फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) ने भी खुशी जताई है। लेकिन, पता है कभी पायल की अपने इस संस्थान से जमकर तकरार रही थी। यहां तक कि उनकी स्कॉलरशिप तक रोक दी गई थी।
अवॉर्ड जीतने वाली पहली भारतीय
कान फिल्म फेस्टिवल में दूसरा सबसे बड़ा पुरस्कार जीतने पर पायल कपाड़ियों को भर-भरकर बधाईयां मिल रही हैं। इस बीच उनके अल्मा मेटर एफटीआईआई ने भी सबका ध्यान खींचा है, जिसने फिल्म निर्देशक की तारीफ की है। अपनी फिल्म के लिए ग्रांड प्रिक्स अवॉर्ड जीतने वाली पायल पहली भारतीय हैं। रविवार को भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि यह एफटीआईआई के लिए गर्व का क्षण है। उनकी पूर्व छात्र ने कान में इतिहास रचा है। इसी के साथ पायल को बधाई दी।
इस वजह से किया था विरोध प्रदर्शन
एफटीआईआई की तरफ से जारी हुए बधाई वाले पोस्ट के बाद लोगों को 2015 का वह वक्त याद आ गया, जब पायल कपाड़िया ने अपने संस्थान एफटीआईआई के खिलाफ प्रदर्शन किया था।पायल ने धारावाहिक “महाभारत” में युधिष्ठिर की भूमिका निभाने वाले एक्टर से नेता बने गजेंद्र चौहान को पुणे स्थित संस्थान के अध्यक्ष के रूप में नियुक्ति किए जाने के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था। 2015 में यह प्रदर्शन करीब 139 दिनों तक चला था।