03 सितम्बर 2024 : एसएमई क्षेत्र में जोड़तोड़ और धोखाधड़ी वाली गतिविधियों की चिंता के बीच बाजार नियामक सेबी के पूर्णकालिक सदस्य अश्वनी भाटिया ने कहा है कि जब छोटे व मझोले उद्यमों (एसएमई) की सूचीबद्धता का मामला हो तो एक्सचेंजों और बाजार तंत्र को ना कहना भी सीखना चाहिए।

उनकी टिप्पणी ऐसे समय आई है जब एसएमई कंपनियों का बाजार पूंजीकरण बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है और इस क्षेत्र के आईपीओ के दौरान शेयर पाने के लिए निवेशकों की भारी दीवानगी देखी जा रही है। भाटिया ने कहा कि अंकेक्षकों (auditors) और बाजार तंत्र की तरफ से जांच परख (ड्यू डिलिजेंस) के अभाव के कारण इन पर पर्याप्त नियंत्रण नहीं रह गया है।

मुंबई में सीआईआई के फाइनैंसिंग 3.0 समिट में उन्होंने कहा कि कोई भी एसएमई आईपीओ की सूचीबद्धता को मना नहीं कर रहा है, तब भी नहीं जब वे अपनी बैलेंस शीट को बढ़ा-चढ़ाकर दिखा रहे हैं। अंकेक्षकों को अच्छे चिकित्सक की तरह होना चाहिए। अंकेक्षक उनको स्टेरॉयड जैसी भारी दवा न दें जबकि वे पैरासिटामॉल से भी जीवित रह सकते हों।

भाटिया ने कहा कि एसएमई को सूचीबद्धता की संभावना से पहले वैकल्पिक फंडों के जरिये रकम जुटाने के अन्य मौकों को भी देखना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि सीधे सूचीबद्धता के लिए आने के बजाय बेहतर तरीका ऐंजल निवेशकों के पास जाने का है। कुछ समय तक वहां वृद्धि करिए और फिर उसके बाद एक्सचेंज आइए।

सेबी पंजीकृत ऑल्टरनेट इन्वेस्टमेंट फंड ने एसएमई फाइनैंसिंग के लिए मार्च तक 1,169 करोड़ रुपये जुटाए हैं और इसमें से 735 करोड़ रुपये पहले ही निवेश किए जा चुके हैं।

उसी सम्मेलन में एनएसई के एमडी व सीईओ आशिषकुमार चौहान ने कहा कि एक्सचेंजों ने एसएमई की सूचीबद्धता के मसले पर संज्ञान लिया है। चौहान ने कहा कि हम संतुलन बनाए रखेंगे और सख्त दिशानिर्देशों की उम्मीद है। सभी एसएमई अच्छा नहीं कर रहे हैं।

सेबी ने हाल में एसएमई की निगरानी को लेकर सख्त नजरिया अपनाया है और उन फर्मों के खिलाफ आदेश जारी किए हैं जो इसका इस्तेमाल रकम की हेराफेरी करने, फर्जी लेनदेन के जरिये कीमतें बढ़ाने आदि करने में पाई गई हैं।

Bharat Baani Bureau

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