फगवाड़ा 04 सितम्बर 2024 : केले स्वास्थय के लिए बेहद फायदेमंद फल हैं, जिनका सेवन रोजाना करने से मानव शरीर को भरपूर स्वास्थय लाभ प्राप्त होता है, लेकिन सावधान! कहीं आप भी तो नहीं अंदर से फफूंद लगे जहरीले केले खा रहे हैं, जो शहर व आसपास सरेआम बिक रहे हैं। दूसरी ओर जिला प्रशासन, सेहत अधिकारी, सरकार व डी.एच.ओ. नींद में हैं। यह हकीकत है कि फगवाड़ा में  बेहद घातक कैमिकल से पके हुए केले और आर्गेनिक खेती से तैयार हुए अंदर से जहरीली फफूंद लगे केले खुलेआम बिक रहे हैं, जिनका सेवन करने से कई प्रकार की बीमारियां हो सकती हैं। जानकारों की राय में – बरसात में ऐसे केले जाने अनजाने में – खाने के घातक परिणाम हो सकते हैं।

गंभीर पहलू यह है कि फगवाड़ा सहित आसपास के इलाकों में कई जगहों खासकर जहां पर केले की कच्ची फसल को स्टोर किया जाता है, जहां केले को जल्द से जल्द पकाने हेतु बेहद जहरीली और घातक दवाइयों, कैमिकल्स का प्रयोग हो रहा है, जिससे रातों रात कच्चे केले – का रंग कुछ घंटों में बाहर से देखने  में पीला और लुभावना हो जाता है। इसी तर्ज पर अन्य फलों को भी कुछ शातिर लोग रातों रात तैयार कर अपने मुनाफे के लिए बिक्री कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त स्टोरों में लंबे समय से रखे हुए फलों की बिक्री ताजा फल बताकर भोली-भाली जनता कोधड़ल्ले से की जा रही है, जिसका सेवन करना स्वास्थय लाभ के विपरीत मुसीबतों को दावत देने जैसा है। ये फल कब स्टोर हुए और क्या यह हकीकत में खाने लायक हैं अथवा इनकी एक्सपाइरी कब की है, यह सब जानकारी पूरी तरह से गायब है, लेकिन त्रासदी यह है कि फगवाड़ा सहित इलाके में खुलेआम अंदर से फफूंद लगे कैमिकल्स से तैयार किए गए केलों की बिक्री हो रही है और आम जनता जाने अंजाने में इसका सेवन भी किए जा रही है।

सभी जगहों पर नहीं बिक रहे ऐसे केले
सभी जगहों पर ऐसे केले नहीं बिक रहे है, लेकिन जहां पर यह  सारा खेल हो रहा है, उसकी जिला कपूरथला सहित फगवाड़ा प्रशासन को पूरी जानकारी होने पर भी डी.एच.ओ. जनहित में चैकिंग करना जरूरी समझ रहे हैं और न ही विभागीय स्तर पर जिला प्रशासन द्वारा लोकहित में ऐसी कोई पहल की जा रही है, जिससे फलों को स्टोर करने वाले गोदामों में नियमित जांच हो। यानी सरकारी अमला गहरी नींद में है और जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है।

कोई बड़ी त्रासदी घट जाए तो कौन लेगा जिम्मेदारी
ऐसे में यदि इलाके में कोई बड़ी त्रासदी घट जाए तो इसकी जिम्मेदारी कौन लेगा और ऐसा क्या रहस्यमय कारण है कि जिला प्रशासन द्वारा जनहित में खाद्य पदार्थों, फलों आदि की तय मापदंडों के अनुसार चैकिंग, सैंपलिंग नहीं की जा रही है। सूत्रों के अनुसार इसके पीछे सारा खेल सैटिंग का चल रहा है, जिससे हर कोई चुप्पी साधे हुए है। जानकारों के अनुसार बरसात के मौसम में जनहित में जिला प्रशासन, फगवाड़ा प्रशासन, डी.एच.ओ. और पंजाब सरकार को हर स्तर पर सुनिश्चित करना चाहिए कि लोगों को फल अथवा खाने-पीने का सारा सामान बाजार में पौष्टिक और कैमिकल्स से मुक्त मिले।

सिर्फ सरकारी फाइलों में चल रही चैकिंग, सैंपलिंग और जांच
त्रासदी यह है कि जिला कपूरथला सहित फगवाड़ा में ऐसा कुछ भी नहीं हो रहा है और सरकारी बाबू सिर्फ सरकारी फाइलों में चैंकिंग, सैंपलिंग और जांच को कागजी खानापूर्ति करने हेतु पूरा कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि क्या जिलाधीश कपूरथला, डी.एच.ओ. और पंजाब सरकार इस ओर जनहित में पहल कर मासूम जनता के स्वास्थ्य से हो रहे खिलवाड़ पर कड़ा अंकुश लगाएंगे।

Bharat Baani Bureau

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