Dead Butt Syndrome:ऑफिस में लंबे समय तक चेयर पर बैठना उसके बाद गाड़ी से बैठकर ही घर आना और फिर घर में सोफे पर भी बैठ जाना, ये सारे काम ऐसे हैं जिनमें अधिकांश समय लोगों का बैठने में बीत जाता है. लेकिन यदि आप रेगुलर ऐसा करते हैं तो इससे आप ग्लूटियल एमनेसिया की स्थिति में आ जाएंगे. इसे डेड बट सिंड्रोम भी कहा जाता है. मशहूर गोल्फर टाइगर वूड इस बीमारी के शिकार हो चुके हैं. 

एक नहीं कई बीमारियों के शिकार
डॉ. जेन ने बताया कि ग्लूटियस हमारे शरीर की सबसे बड़ी मांसपेशी है और यह सबसे ज्यादा शॉक एब्जॉवर है. यानी शरीर के हर तरह के प्रेशर को सोख लेती है. इससे पहले की आप कंफ्यूज हो हम बता देते हैं कि ग्लूटियर मैक्सीमस मेडिकल टर्म है जो हिप यानी नितंब वाली मांसपेशिया है. उन्होंने कहा कि यदि यह सही से काम नहीं करेगी तो एक दिक्कत से कई तरह की दिक्कतें सामने आएगी. पहले हेमस्ट्रिंग मसल्स फटने लगेंगे. ये मसल्स हिप्स से ठीक नीचे होते हैं. इसके बाद साइटिका होने लगेगा फिर शीन स्प्लिंट में दिक्कत होगी यानी पैरों की नीचे की मांसपेशियां फटने लगेगी. इसके बाद घुटनों में अर्थराइटिस होने लगेगा. यानी एक बीमारी खत्म नहीं हुई कि दूसरी शुरू हो गई.

क्या होता है ग्लूटियल एमनेसिया

ग्लूटियल एमनेसिया तब होता है जब पीछे की मांसपेशियां बहुत कमजोर होने लगती है. जब पीछे की मांसपेशियों का इस्तेमाल कम होने लगता है तब कुछ समय के बाद यही मांसपेशियां भूल जाती है कि उसे काम क्या करना है. कहा भी जाता है कि जिस चीज का आप इस्तेमाल नहीं करेंगे वह खराब हो जाएगा. हिप्स की मांसपेशियां पैर और हाथ की मांसपेशियों से अलग होती है क्योंकि इसकी नसें अंदर दबी होती है. इसलिए अगर इसमें कुछ होता है तो इसमें चुभन बमुश्किल ही महसूस होती है. यही कारण है कि कुछ लोगों को बैठते समय हल्का दर्द महसूस हो सकता है, लेकिन ज्यादातर लोगों को तब तक कोई दर्द महसूस नहीं होता जब तक वे टहलने या लंबी पैदल यात्रा के लिए नहीं जाते. डॉ. जेन ने बताया कि अगर आपके हिप्स वास्तव में डेड हो गए तो इसके बाद बहुत मुश्किल होगा क्योंकि एक समय ऐसा आएगा जब आप खड़े भी नहीं हो पाएंगे.

कैसे बचें इससे

डॉ. जेन कोनिडिस ने बताया कि ग्लूटियस अपने आप खुद को सक्रिय करते रहता है लेकिन यदि आप लगातार बैठे रहेंगे तो यह अपना काम ही भूल जाएगा. ऐसे में हर 30 से 50 मिनट पर एक बार कुछ समय के लिए जरूर खड़ा हो जाएं. इसके साथ ही अपने हिप्स को थपथपाएं. इससे वहां की नसें सक्रिय होगी और दिमाग को यह संदेश पहुंचाएगी कि यह अंग भी आपका ही है.

Bharat Baani Bureau

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