देहरादून. आधुनिकता के दौर में इंसान का रहन-सहन तेजी से बदल रहा है. कई बीमारियां ऐसी हैं, जो उम्रदराज लोगों में देखने को मिलती थीं लेकिन बदलती दुनिया में ये बीमारियां अब बच्चों पर असर डालने लगी हैं. उन्हीं में से एक है- आर्थराइटिस. बच्चों में भी गठिया की शिकायत होने लगी है, जिसे जुवेनाइल आर्थराइटिस के नाम से जाना जाता है. इस बीमारी के कारणों को जानने के लिए लोकल 18 ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून स्थित मैक्स अस्पताल के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ गौरव गुप्ता से बातचीत की.

जुवेनाइल आर्थराइटिस बच्चों में होने वाला एक प्रकार का गठिया है, जो 16 वर्ष की आयु से पहले शुरू होता है. इसे जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस भी कहा जाता है. लोकल 18 से बातचीत के दौरान हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ गौरव गुप्ता ने बताया कि एक हजार बच्चों में एक या दो को यह बीमारी होती है. यह जुवेनाइल इडियोपैथिक आर्थराइटिस है, इसका मतलब इसके पीछे का कारण नहीं पता होता है. हालांकि ये शरीर की आंतरिक कमी के चलते होता है. यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर के स्वस्थ जोड़ों पर हमला करने लगती है, जिससे जोड़ों में सूजन, दर्द और कठोरता होती है.

जुवेनाइल आर्थराइटिस के शुरुआती लक्षण
जुवेनाइल आर्थराइटिस के लक्षणों पर बातचीत करते हुए डॉ गुप्ता ने बताया कि हल्के असर के साथ यह बीमारी सामने आना शुरु होती है. उदाहरणत: सुबह के समय जोड़ों में अकड़न या दर्द होना, हल्का बुखार आना, स्किन रैशेज होना इत्यादि. यह सिर्फ एक जोड़ पर भी असर कर सकती है और एक साथ कई जोड़ों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है. हल्के असर में कई बार आंखों में जलन की शिकायत भी मिलती है. अलग-अलग बच्चों में इसका अलग-अलग असर देखने को मिल सकता है.

योग, व्यायाम और स्ट्रेचिंग सबसे असरदार
इस बीमारी से छुटकारे पर चर्चा करते हुए डॉ गौरव गुप्ता ने कहा कि यह ऑटोइम्यून बीमारी है, तो बच्चे की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से शरीर के स्वस्थ ऊतकों पर हमला कर देती है. अगर किसी को इसके प्रभाव दिख रहे हैं, तो वह कुछ बातों का ध्यान रखकर इसे बढ़ने से रोक सकता है. सबसे पहले तो कम उम्र में ही इस बीमारी का पता लगाना होता है. फिर यह समझना होता है कि इसके पीछे का कारण क्या है. इसमें कोई शक नहीं है कि इसके पीछे पर्यावरणीय कारक भी हो सकते हैं. इसमें सबसे ज्यादा फिजिकल थेरेपी असरदार होती है. योग, व्यायाम, स्ट्रेचिंग से बच्चों के शरीर के जोड़ ठीक रह सकते हैं. ज्यादा दर्द होने पर कुछ दवाइयां भी मददगार हो सकती हैं, जो डॉक्टर से सलाह के बाद ही दी जानी चाहिए.

Bharat Baani Bureau

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