03 अक्टूबर 2024 : सार्वजनिक क्षेत्र के कुछ बैंक वोडाफोन आइडिया (वी) के सरकारी बकाये के एक हिस्से को इक्विटी में बदलने के लिए सरकार से आश्वासन मांगने की योजना बना रहे हैं। इस मामले से जुड़े कई सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि टेलीकॉम कंपनी को ऋण देने में बैंकों की अनिच्छा के बीच ऐसा किया जा रहा है।

एक सूत्र ने कहा, ‘वोडाफोन आइडिया (वी) को धन मुहैया कराने को लेकर बैंक अभी भी हिचकिचा रहे हैं, लेकिन कंपनी उनसे संपर्क बनाए हुए है। आगे का कदम उठाने के लिए बैंक जल्द ही सरकार से संपर्क की योजना बना रहे हैं और वे सरकारी बकाये को इक्विटी में बदलने की प्रतिबद्धता की मांग करेंगे।’

वी इस समय 35,000 करोड़ रुपये का कर्ज चाहती है। बहरहाल प्रमुख बैंक कर्ज देने को लेकर सावधानी बरत रहे हैं, क्योंकि वी अन्य स्रोतों से धन जुटाने में अक्षम रही है। सूत्र ने कहा कि वी अभी सरकार के बकाये को लंबित रखे हुए है। बैंकिंग के एक सूत्र ने कहा, ‘अगर सरकार इस पर अपना रुख कुछ साफ कर देती है तो हम कर्ज देने पर विचार कर सकते हैं।’

खबर छपने तक इस सिलसिले में वी को भेजे गए ई-मेल का जवाब नहीं मिल सका। बैंकों और वित्तीय संस्थानों का पहली तिमाही में वी पर कर्ज लेनदारी घटकर करीब 4,800 करोड़ रुपये हो गई, जो एक साल पहले 9,200 करोड़ रुपये थी। बहरहाल कंपनी को अक्टूबर 2025 से मार्च 2026 के बीच करीब 12,000 करोड़ रुपये भुगतान करना है और उसके बाद वित्त वर्ष 2027 से लेकर 2031 तक हर साल लगभग 43,000 करोड़ रुपये का भुगतान करना है।

सरकार वी की सबसे बड़ी कर्जदाता है, जिसके पास कंपनी के लगभग 16,000 करोड़ रुपये के ब्याज बकाये के रूपांतरण के बाद 33.4 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी है। यह ब्याज इसके स्थगित समायोजित सकल राजस्व और स्पेक्ट्रम किस्तों के कारण इकट्ठा हुआ है।

वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के अंत में वी पर कुल कर्ज 2.09 लाख करोड़ रुपये है। इसमें स्पेक्ट्रम के टाले गए भुगतान की 1.39 लाख करोड़ देयता और समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) की 70,320 करोड़ रुपये की देनदारी शामिल है।

पिछले महीने कंपनी के सीईओ अक्षय मुंद्रा ने विश्लेषकों से कहा था कि वी केंद्र सरकार के साथ नए सिरे से बात करेगी, जिससे समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) बकाये का मामला सुलझ सके। उन्होंने दीर्घावधि कारोबारी योजना और पुनरुत्थान की रणनीति का खुलासा करते हुए कहा था कि उपचारात्मक याचिका के परिणामों का कंपनी पर असर नहीं पड़ेगा।

उन्होंने यह भी कहा था कि कंपनी उम्मीद कर रही है कि कर्ज जुटाने के लिए उसकी चल रही कवायदें अगले 2 महीने में पूरी हो जाएंगी, जिसके लिए एक स्वतंत्र थर्ड पार्टी तकनीकी आर्थिक मूल्यांकन कर रही है। हालांकि कर्ज देने को लेकर बैंक सतर्क बने हुए हैं और स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। बैंकिंग के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘कंपनी के रूप में वे आत्मविश्वास से भरपूर दिख सकते हैं, लेकिन कर्ज देने पर विचार करने के लिए अभी कुछ वक्त की जरूरत है।’

Bharat Baani Bureau

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *