विश्व व्यापार संगठन (WTO) ने गुरुवार को विश्व में वस्तु व्यापार में वृद्धि के अनुमान को घटाया है। डब्ल्यूटीओ ने 2025 में विश्व वस्तु व्यापार के अनुमान को संशोधित कर 3 प्रतिशत किया जबकि पहले 3.3 प्रतिशत का अनुमान जताया था।

डब्ल्यूटीओ ने 2024 के वस्तु व्यापार के वृद्धि के अनुमान को मामूली रूप से बढ़ाकर 2.7 प्रतिशत किया था जबकि पहले 2.6 प्रतिशत का अनुमान जताया गया था। इस बहुआयामी व्यापार निकाय ने अपने हालिया द्विवार्षिक कारोबार नजरिये ‘वैश्विक व्यापार का नजरिया और सांख्यिकी’ में बताया कि क्षेत्रीय संघर्षों, भूराजनीतिक तनावों और नीति की अनिश्चितता के कारण पूर्वानुमान के जोखिम दृढ़ता से नीचे की ओर हैं।

पश्चिम एशिया में संघर्ष बढ़ने के कारण अन्य क्षेत्रों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इनमें उच्च जोखिम के कारण पानी के जहाजों की आवाजाही और ऊर्जा के दाम पर असर पड़ने की आशंका है। इसमें कहा गया कि हालांकि लाल सागर संकट के विघटनकारी प्रभाव को आज की तारीख तक नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन संघर्ष बढ़ने पर अन्य मार्गों पर भी प्रभाव पड़ सकता है। इस क्षेत्र की पेट्रोलियम उत्पादन में प्रमुख भू्मिका होने के कारण ऊर्जा आपूर्ति में बाधा का उच्च जोखिम भी बढ़ सकता है।

इससे तेल आयात करने वाली अर्थव्यवस्थाओं में ऊर्जा का उच्च मूल्य होने से आर्थिक विकास भी प्रभावित हो सकता है और इसका व्यापार पर अप्रत्यक्ष प्रभाव भी पड़ सकता है। वर्ष 2024 की पहली छमाही में सालाना आधार पर 2.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज हुई। यह उछाल 2023 की -1.1 प्रतिशत की गिरावट के बाद आया है। वर्ष 2023 में अधिक महंगाई और बढ़ती ब्याज दरों के कारण गिरावट दर्ज हुई थी।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि वर्ष 2024 में वैश्विक वस्तु व्यापार में यूरोप का दबदबा कायम रहा है। यूरोप का आयात और निर्यात दोनों के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन हुआ है। यूरोप के निर्यात के प्रदर्शन को गिराने वाला मुख्य क्षेत्र रसायन है। इसका कारण यह है महामारी के दौर में रसायन का निर्यात बढ़ गया था लेकिन फिर इसके रुझान में बदलाव आया।

रिपोर्ट के अनुसार, ‘वाहन क्षेत्र में गिरावट होने से अन्य मूल्य श्रृंखलाओं पर असर पड़ने की चिंताएं हैं। यूरोप को होने वाले आयात में सबसे ज्यादा गिरावट मशीनरी में हुई और इस दौरान आयात में चीन से भेजे जाने वाले सामान में पर्याप्त गिरावट आई। यह कमी केवल विखंडन का परिणाम नहीं है। दरअसल, भूराजनीतिक रूप से समतुल्य अर्थव्यवस्थाओं जैसे अमेरिका, कोरिया गणराज्य और जापान में गिरावट आई। इसके विपरीत भारत और वियतनाम से भेजे जाने वाला आयात बढ़ रहा है और यह इनकी उभरती भूमिका बतौर ‘जोड़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं’ को दर्शाती है।’

Bharat Baani Bureau

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