International, 4 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) – अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने कैबिनेट में ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया है जिनका अनुभव सीमित है, लेकिन उनकी वफादारी पर कोई संदेह नहीं। सबसे चर्चित नाम तुलसी गबार्ड का है, जिन्हें राष्ट्रीय खुफिया निदेशक (DNI) नियुक्त किया गया है। यह पद 18 अमेरिकी खुफिया एजेंसियों की निगरानी करता है। तुलसी के पास खुफिया संचालन का सीधा अनुभव नहीं है, लेकिन वह 2004-2005 में इराक युद्ध के दौरान हवाई नेशनल गार्ड में मेजर थीं और फिलहाल अमेरिकी सेना के रिजर्व में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर कार्यरत हैं।
बांग्लादेश में हिंदुओं की सुरक्षा की आवाज
तुलसी गबार्ड, अमेरिकी कांग्रेस की पहली हिंदू महिला सदस्य, अपने स्पष्ट विचारों और सशक्त रुख के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने हमेशा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा की वकालत की है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों और पाकिस्तान की भूमिका को लेकर तुलसी खुलकर बोलती रही हैं। एक पुराना वीडियो, जो 2021 का है और अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, इसमें तुलसी ने बांग्लादेश में हिंदुओं और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की निंदा की है। उन्होंने कहा कि 1971 से ही पाकिस्तानी सेना द्वारा धर्म और जातीयता के आधार पर लाखों बंगाली हिंदुओं की हत्या, बलात्कार और जबरन विस्थापन जैसी घटनाएं हो रही हैं।
तुलसी गबार्ड: अल्पसंख्यकों के अधिकारों की सशक्त आवाज
तुलसी गबार्ड का मानना है कि धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों पर हो रही हिंसा को रोकने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कड़े कदम उठाना बेहद जरूरी है। उनकी पहलें न केवल हिंदुओं के लिए, बल्कि वैश्विक स्तर पर धार्मिक स्वतंत्रता के लिए एक प्रेरणा हैं। उन्होंने भारत में अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदू, सिख और अन्य धार्मिक समूहों के खिलाफ हिंसा पर भी चिंता जाहिर की है और इस मुद्दे को विभिन्न मंचों पर उठाने का संकल्प लिया है।
अल्पसंख्यकों के लिए संघर्ष और साहसिक कदम
- 2021 में गबार्ड ने अमेरिकी कांग्रेस में एक प्रस्ताव पेश कर बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचारों की कड़ी निंदा की थी।
- उनके इस कदम ने उन्हें हिंदू समुदाय और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रियता दिलाई।
- उन्होंने 1971 के नरसंहार में पाकिस्तानी सेना द्वारा मारे गए 30 लाख लोगों, विशेषकर हिंदुओं की दुर्दशा को उजागर किया।
- भारत और अन्य देशों में आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने अमेरिकी सैन्य सहायता में कटौती की मांग की और पाकिस्तान पर आतंकवादियों के समर्थन को रोकने का दबाव बनाने का आह्वान किया।
गबार्ड का जीवन और आस्था
तुलसी गबार्ड केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि एक सशक्त महिला नेता हैं, जो हमेशा अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आगे रही हैं। उनकी स्पष्टवादिता और साहस ने उन्हें खास पहचान दिलाई है। गबार्ड की मां अमेरिकी मूल की थीं, जिन्होंने हिंदू धर्म अपनाया। तुलसी का पालन-पोषण हिंदू परंपराओं के अनुसार हुआ। वे जन्म से शाकाहारी हैं और भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव रखती हैं। अमेरिकी कांग्रेस में प्रवेश के दौरान उन्होंने भगवद गीता पर शपथ लेकर अपनी आस्था को प्रकट किया, जो उनके गहरे धार्मिक विश्वास को दर्शाता है।
सारांश – डोनाल्ड ट्रंप ने तुलसी गबार्ड को राष्ट्रीय खुफिया निदेशक नियुक्त किया। गबार्ड, अमेरिकी कांग्रेस की पहली हिंदू महिला सदस्य, धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की मुखर समर्थक हैं। उन्होंने 1971 में बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचारों की निंदा की और पाकिस्तान को आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए अमेरिकी सैन्य सहायता में कटौती की मांग की।