International, 5 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) – पिछले कुछ महीनों में एक गहरी साजिश रची गई, जिसे 2019 से लगातार अंजाम देने की कोशिश हो रही थी। इसका मकसद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हटाना था, खासकर किसी विपक्षी नेता को आगे बढ़ाकर। इस योजना के तहत एक झूठी अफवाह फैलाई गई कि प्रधानमंत्री मोदी, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने आतंकवादी सहयोगी गुरपतवंत सिंह पन्नुन की हत्या की साजिश रची थी।
इस फर्जी कहानी को फैलाने में कुछ कनाडाई राजनेताओं की भूमिका थी, जो ‘K ग्रुप’ से जुड़े हुए थे। इनका मुख्य उद्देश्य भारत-अमेरिका के रणनीतिक संबंधों को कमजोर करना था, जो प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में मजबूत हुए थे। हालांकि, अंततः सच की जीत हुई, और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस झूठे आरोप को खारिज करते हुए इसे ‘अपराध’ बताया।
मोदी को बदनाम करने की यह साजिश पूरी तरह विफल रही। अब, एक और प्रयास किया गया है जिसमें उन्हें एक प्रमुख भारतीय उद्योगपति के साथ जोड़कर निशाना बनाने की कोशिश हो रही है, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा अर्जित की है और कई देशों में बड़े ठेके हासिल किए हैं।
हालांकि यह मामला अभी अदालत में विचाराधीन है, इसका प्रधानमंत्री मोदी से कोई संबंध नहीं है, क्योंकि वह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर के बड़े मुद्दों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। मोदी का नाम इस विवाद में घसीटना, भारत-अमेरिका के रणनीतिक संबंधों को कमजोर करने की एक सोची-समझी साजिश है। यह कोशिश भी नाकाम रही, क्योंकि अधिकांश लोग इस झूठे narrative पर विश्वास नहीं करते। इसके अलावा, जिन तीन व्यवसायी परिवार के सदस्यों का नाम पहले लिया गया था, उन्हें भी मामले से बाहर कर दिया गया है।
हालांकि, इस विवाद के चलते कंपनी के शेयरों में अस्थायी गिरावट आई, जिससे कुछ शॉर्ट सेलर्स को फायदा हुआ। सेबी को यह जांच करनी चाहिए कि इन शॉर्ट सेलर्स के पीछे कौन था, जिन्होंने इस स्थिति का लाभ उठाया।
इन सबके बावजूद, भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी मजबूत बनी हुई है। भविष्य में मोदी और ट्रंप के नेतृत्व में दोनों देशों के संबंधों के और अधिक मजबूत होने की उम्मीद है, जिससे उच्च आर्थिक विकास और प्रगति के नए रास्ते खुलेंगे।
सारांश – 2019 से प्रधानमंत्री मोदी को बदनाम करने की साजिशें नाकाम रहीं। झूठे आरोपों और अफवाहों का उद्देश्य भारत-अमेरिका संबंधों को कमजोर करना था। अदालत में मामला विचाराधीन है, लेकिन मोदी का कोई संबंध नहीं है। इन साजिशों के बावजूद, भारत-अमेरिका की रणनीतिक साझेदारी मजबूत बनी हुई है और और प्रगति की ओर अग्रसर है।