ARMY TANK ZORAWAR 13 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) – : ज़ोरावर नाम सुनकर उस डोगरा साम्राज्य के महान सेनापति का नाम ज़ेहन में आ जाता है जिसने लद्दाख, तिब्बती और गिलगित बालटिस्तान को जीता था. एक बार फिर ज़ोरावर लौट आया है लद्दाख में इस बार टैंक की शक्ल में. हाई एल्टीट्यूड एरिया में स्वदेशी टैंक ज़ोरावर अपने आखिरी ट्रायल से गुजर रहा है. डीआरडीओ ने जोरावर के सफल फायरिंग की तस्वीरें और वीडियो जारी की. लाइट टैंक 14000 फिट में फायरिंग करता नजर आया. लद्दाख में ट्रायल 21 नवंबर से शुरू हुआ था जो जारी है. प्लेन एरिया और रेगिस्तान के इलाके में इसके सफल परीक्षण किए जा चुके हैं. सभी इंटर्नल ट्रायल पूरे होने के बाद सेना को यूज़र ट्रायल के लिए अगले साल तक दे दिया जाएगा. खास बात ये है कि ज़ोरावर LAC के पास तैनात चीनी ZTQ -15 ब्लैक पैंथर टैंकों को धूल चटाने के लिये ही तैयार किए गए है. DRDO और L&T मिलकर इस टैंक को डेवलप कर रहे है.
चीनी ब्लैक पैंथर बनाम जोरावर
भारतीय सेना को तकरीबन 350 थर्ड जेनेरेशन लाइट टैंक लेने हैं. हर टैंक का वजन 25 टन है. चीन ने अपने लाइट टैंक ZTQ -15 या कहें टाईप 15 टैंक को पूरे एलएसी पर तैनात कर रखा है. ये टैंक 33 टन वज़नी है और कम वजन के चलते से ये आसानी से हाई ऑलटेट्यूड के इलकों में उंचाई वाली जगह पर आसानी से चढ़ जाते हैं. वहीं भारतीय सेना के मौजूदा रूसी निर्मित टैंक T-72 और T-90 का वजन 40 टन से ज़्यादा है और ऊंची चढ़ाई पर भारतीय सेना के लिए उतना आसान नहीं होता. टाईप 15 चीन का तीसरी पीढ़ी का टैंक है. 2018 में चीनी सेना में 400 से ज़्यादा टैंक को शामिल किया गया और धीरे धीरे उसकी तैनाती पूरे एलएसी पर की गई.
जोरावर की खासियत
किसी भी टैंक की ताकत तीन चीज़ों पर निर्भर करती है फायर पावर, मोबेलिटी प्रोटेक्शन. जोरावार को इसी के हिसाब से डिज़ाइन किया है. टैंक की स्पीड अधिकतम रखी गई है, रिवर्स में भी. टैंक हर टेरेन में फ़र्स्ट राउंड हिट होगा यानी की एक राउंड में ही दुश्मन के टैंक और बख्तरबंद गाड़ियों को सटीक निशाना बनाएगा. रोड, रेल और एयर के ज़रिए आसानी से मूव कराए जा सकेंगे. इस टैंक में लगे सिस्टम हाई ऑलटेट्यूड के माइनस तापमान और रेगिस्तान के अधिकतम तापमान में भी बेहतर काम कर सकेंगे. यूएवी के एरियल अटैक और एंटी टैंक गाइडेड मिसाइलों के ख़तरे से भी बचाने के लिए ख़ास तैयारी की गई है. जोरावर हाई एंगल फ़ायर की खूबी से लेस है. टैंक में राउंड लोड भी ऑटोमैटिक है. एक्सप्लोसिव रियेक्टिव आर्मर, सॉफ़्ट किल, केमिकल, बायोलॉजिकल, न्यूक्लियर प्रोटेक्शन के साथ साथ फ़ायर डिटेक्शन एंड सप्रेसन सिस्टम से लैस है. जोरावर मॉर्डर्न एडवांसड मल्टी पर्पज स्मार्ट म्यूनेशन के साथ गन ट्यूब से लांच होने वाल एंटी टैंक गाइडेड मिसाइल से लैस है. आधुनिक टैंक में दिन रात दोनों समय में हाई रेजुल्यूशन साइट और रीयल टाईम सिचुएशनल अवेयरनेस उपकरण से लेस है.
लाइट टैंक की जरूरत 2020 के बाद महसूस हुई
साल 2020 में भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में कम समय में अपने भरकम टैंकों को भेज कर चीन को न सिर्फ़ चौंका दिया बल्कि उसके सारे प्लान पर पानी भी फेर दिया था. पैंगाग के दक्षिणी छोर पर चीन के टैंकों के सामने जब भारतीय T-72 और T-90 टैंकों ने मोर्चा संभाला तो चीन को उल्टे पैर अपने टैंकों को वापस ले जाना पड़ा. चूकी हर जंग या विवाद से बहुत कुछ सीखने को मिलता है भारतीय सेना ने भी हाई ऑलटेट्यूड एरिया में अपनी ताक़त को दोगुना करने के लिए सीख ली और बना लिया एक एसा प्लान जिसका नाम दिया गया है “प्रोजेक्ट जोरावर”. खास बात तो ये है कि महज 4 साल के अंदर ही इस टैंक का प्रोटोटाइप तैयार हो गया, और ये ट्रायल भी.