Mahakumbh 2025 10 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) -: उत्तर प्रदेश का प्रयागराज विश्व के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन महाकुंभ के लिए तैयार है। 13 जनवरी से शुरू होने वाले इस आयोजन का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पक्ष तो समृद्ध है ही, लेकिन इस आयोजन का आर्थिक पक्ष भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। महाकुंभ 2025 में उम्मीद जताई जा रही है देश-दुनिया से लगभग 40 करोड़ लोग प्रयागराज की धरती पर आएंगे और इस पावन आयोजन का भागीदार बनेंगे। इसके चलते सरकार ने वहां बुनियादी सहित अन्य सुविधाओं पर भारी निवेश किया है। साथ ही लगभग 45 दिन चलने वाले इस कार्यक्रम का लाभ बिजनेस जगत भी उठाने के लिए तैयार है।
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव में से एक
13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलने वाले इस महाकुंभ को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। बीते दिसंबर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संगम नगरी में 5,500 करोड़ रुपए के कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और लोकार्पण किया। उत्तर प्रदेश सरकार के दावे के मुताबिक, महाकुंभ 2025 में 44 दिनों लगभग 40 करोड़ श्रद्धालु प्रयागराज आएंगे।
इस बड़ी संख्या को देखते हुए सरकार ने 4000 हेक्टेयर में मेले के आयोजन का फैसला लिया है जबकि 1800 हेक्टेयर में पार्किंग की व्यवस्था की है। मेला क्षेत्र को 25 अलग-अलग सेक्टर में बांटा गया है और श्रद्धालुओं के निवास के लिए 1.6 लाख टेंट बनाए गए हैं। इसके अलावा संगम में अलग-अलग जगहों पर 30 पीपा पुल का निर्माण किया गया है। प्रयागराज और कुंभ मेले के आसपास के क्षेत्रों में लगभग 400 किलोमीटर अस्थायी सड़कें बनाई गई है और 67,000 से अधिक स्ट्रीट लाइट्स लगाई गई हैं। इसके अलावा प्रयागराज में कुंभ मेले के चलते 14 नए रोड ओवरब्रिज, 61 नई सड़कें और 40 अलग-अलग चौराहों का सौंदर्यीकरण किया गया है।
अगर बात सरकार द्वारा विकसित किए गए दूसरे इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट की करें तो महाकुंभ में बिजली आपूर्ति के लिए उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा दो नए पावर सबस्टेशन बनाए गए हैं और 66 नए ट्रांसफार्मर लगाए हैं। मेले में पानी की आपूर्ति के लिए 1,249 किलोमीटर की पाइपलाइन बिछाई गई है। इसके अलावा डेढ़ लाख से अधिक टॉयलेट और 10,000 सफाईकर्मियों को लगाया गया है। ग्रीन कुंभ के दृष्टिकोण से 3 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं।
बीते दिनों रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने घोषणा की थी कि महाकुंभ के दौरान 13,000 ट्रेनें (3,000 विशेष ट्रेनें सहित) चलाई जाएंगी। साथ ही श्रद्धालुओं के लिए 7,000 से अधिक बसें, जिसमें 200 वातानुकूलित बसें शामिल हैं, और 200 से अधिक चार्टर फ्लाइट नियमित उड़ानों के साथ उपलब्ध होंगी।
लाखों लोगों को रोजगार, करोड़ों की कमाई
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के मुताबिक, साल 2013 के महाकुंभ में सरकार को 12,000 करोड़ का राजस्व मिला था। साल 2019 के कुंभ में सरकार को 1.2 लाख करोड़ का राजस्व मिला था। महाकुंभ 2025 में यह राजस्व बढ़कर 2 लाख करोड़ रुपए से 2.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है।
2019 में हुए कुंभ में लगभग 6 लाख लोगों अलग-अलग क्षेत्रों में रोजगार मिला था, जो इस साल डेढ़ गुणा तक बढ़ सकता है। उत्तर प्रदेश टूरिज्म डिपार्टमेंट के मुताबिक, अब तक 45000 परिवारों को इस आयोजन के चलते रोजगार मिल चुका है।
राज्य सरकार ने 2024-25 के बजट में महाकुंभ को लेकर 2,500 करोड़ रुपए आवंटित किए थे, जबकि केंद्र सरकार ने इस आयोजन के लिए 2,100 करोड़ का स्पेशल पैकेज दिया था। अगर पूरे बजट की बात करें तो महाकुंभ के लिए राज्य सरकार, केंद्र सरकार और अन्य विभागों द्वारा अब तक कुल 6,382 करोड़ रुपए अलॉट किए जा चुके हैं। इसमें से लगभग 5,600 करोड़ रुपए इवेंट मैनेजमेंट और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर खर्च किया गया है। साल 2019 के अर्धकुंभ में सरकार ने कुल 3700 करोड़ रुपया खर्च किया था।
इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, 45 दिनों के महाकुंभ में संभावित खपत को देखते हुए, कंपनियां ब्रांडिंग और मार्केटिंग पर कम से कम 3,000 करोड़ रुपए खर्च करने की योजना बना रही है।
छोटे दुकानदार और कारीगरों के लिए बड़ा अवसर
महाकुंभ 2025 छोटे दुकानदारों और कारीगरों के लिए अपने उत्पाद बेचने का एक बड़ा अवसर है। इसका सबसे अधिक लाभ स्थानीय दुकानदारों और कारीगरों को मिलता है। तीर्थ यात्री बड़ी मात्रा में भोजन, कपड़े, धार्मिक वस्तुएं, और पूजा पाठ से जुड़ी चीजें खरीदते हैं। इसके अलावा स्थानीय व्यंजनों, कला और हस्तशिल्प की मांग बढ़ जाती है जो स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देते हैं।
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की आंकड़ों के मुताबिक, महाकुंभ 2025 में दैनिक जीवन की चीजों का कारोबार 17,310 करोड़ रुपए से भी अधिक के होने की उम्मीद है। CAIT के मुताबिक, सिर्फ पूजा सामग्री की बिक्री लगभग 2000 करोड़ और फूलों की बिक्री 800 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है।
इसके अलावा मेले के दौरान लगभग 4000 करोड़ रुपए के डेयरी उत्पाद, 4000 करोड़ रुपए का किराना सामान, 2000 करोड़ रुपए का किराना सामान और 500 करोड़ के अन्य घरेलू सामान के कारोबार की संभावना है। स्थानीय होटल व्यवसाय और टैक्सी ड्राइवर को भी इस आयोजन से अच्छा खासा फायदा मिलने का संभावना है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान हॉस्पिटैलिटी 2500 करोड़ रुपए और ट्रैवल 300 करोड़ तक का कारोबार कर सकता है।
बड़े प्लेयर्स भी मैदान में मौजूद
अगर कुंभ मेले के सबसे बड़े आकर्षण की बात करें तो टेंट सिटी का नाम सबसे पहले लिया जाएगा। दुनिया की सबसे बड़ी टेंट सिटी बनाने का जिम्मा इस बार लल्लू जी एंड संस कंपनी के पास था। यह कंपनी 104 साल से यह जिम्मा उठा रही है। 3000 से अधिक मजदूर रोजाना इसे बनाने के लिए काम कर रहे हैं। इसके अलावा एक और कंपनी वृंदावन टेंट हाउस भी इसको लेकर काम कर रही है।
इसके अलावा अदाणी ग्रुप ने इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) के साथ श्रद्धालुओं को महाप्रसाद देने के लिए हाथ मिलाया है। महा प्रसाद हर दिन लगभग 1 लाख भक्तों को दी जाएगी, जिसके लिए 18,000 कर्मचारियों को काम पर लगाया जाएगा। महा प्रसाद सेवा के लिए उन्नत सुविधाओं से सुसज्जित 2 रसोई बनाई गई है जिसमें 2,500 स्वयंसेवक इसे तैयार करेंगे।
इसके अलावा लार्सन एंड टुब्रो (L&T) और टाटा प्रोजेक्ट्स जैसी कंपनियां प्रयागराज के इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट पर पहले से ही काम कर रही है। ये कंपनियां अस्थायी पुल, सड़क, ओवरब्रिज आदि बनाने के काम में पहले से जुटी हैं।