नई दिल्ली 17 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) -. आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लिए समय से टीम घोषित ना कर पाना भारतीय क्रिकेट में इन दिनों सबसे बड़ी खबर बनी हुई है. टीम के सुपर स्टार बैटर आउट ऑफ फार्म हैं तो सबसे बड़ा बॉलर अनफिट. बीसीसीआई परेशान है और शायद चाहकर भी कड़े फैसले नहीं ले पा रहा है. आज से 25 साल पहले ऐसी ही स्थिति में चयनकर्ताओं ने ऐतिहासिक फैसला लिया था और 3 युवाओं को चैंपियंस ट्रॉफी में डेब्यू करने के लिए भेज दिया था. फैसला रंग लाया और इनमें से दो भारतीय क्रिकेट के हीरे साबित हुए. नाम है जहीर खान और युवराज सिंह.

साल 2000 में दूसरी आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी खेली गई. इसकी मेजबानी केन्या ने की. भारत ने इस टूर्नामेंट में गजब की दिलेरी दिखाई और आईसीसी इवेंट में तीन ऐसे युवाओं को चुन लिया जो इससे पहले कभी टीम इंडिया के लिए नहीं खेले थे. तीन अक्टूबर वह तारीख थी जब जहीर खान, युवराज सिंह और विजय दहिया ने भारत के लिए पहला वनडे मैच खेला.

भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली उन दिनों नए-नए कप्तान बने थे और अपनी दबंगई स्थापित कर रहे थे. गांगुली ने पहला ही ओवर डेब्यूटेंट जहीर खान को सौंपा. यह आजकल के क्रिकेट में भले ही आसान बात लगे लेकिन उन दिनों इसके लिए बड़ा कलेजा चाहिए होता था. दिग्गज या स्थापित गेंदबाजों से पहले युवा को गेंद थमाना आलोचकों को तलवार भांजने का मौका देने जैसा था. हालांकि, गांगुली इन चीजों से कभी डरे नहीं.

लौटते हैं भारत और केन्या के बीच खेले गए इस मैच पर. जहीर खान ने डेब्यू करते हुए ना सिर्फ पहला ओवर फेंका, बल्कि तीन विकेट भी झटके. वे मैच के सबसे कामयाब बॉलर रहे. ऑलराउंडर युवराज ने भी अपने पहले मैच में 4 ओवर गेंदबाजी की और 16 रन खर्च किए. उन्हें कोई विकेट नहीं मिला. विजय दहिया ने मैच में दो विकेट झटके. इन तीनों की ही बैटिंग की बारी नहीं आई और भारत यह मैच 4 विकेट से जीतकर आगे बढ़ गया.

जब युवराज ने मचाया आतंक
जहीर खान ने भले ही डेब्यू मैच में 3 विकेट लेकर अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी थी, लेकिन युवराज सिंह को अगले मैच का इंतजार करना पड़ा. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मुकाबले में भरत ने 130 रन पर 4 विकेट गंवा दिए. संकट गहराया तो पांचवें नंबर पर उतरे युवराज सिंह ने पलटवार कर दिया. उन्होंने 80 गेंद में 84 रन ठोककर ऑस्ट्रेलियन अटैक को तहसनहस कर दिया और भारत को 9 विकेट पर 265 के स्कोर तक पहुंचा दिया.

फिर आया जहीर का यॉर्कर…
भारत के 265 के जवाब में जब ऑस्ट्रेलिया की टीम 245 रन ही बना सकी. इस मुकाबले में जब ऑस्ट्रेलिया की जीत की उम्मीदों को सबसे तगड़ा झटका जहीर खान ने ही दिया था. उन्होंने जिस यॉर्कर पर ऑस्ट्रेलिया के कप्तान स्टीव वॉ के डंडे उड़ाए थे, वह जेहन में आज भी ताजा है. उस दिन से संन्यास लेने तक जहीर खान ही भारत के यॉर्कर किंग रहे. युवराज सिंह के बारे में कहना ही क्या. हर कोई जानता है कि कैंसर से पीड़ित होने के बावजूद युवी 2011 वर्ल्ड कप के सबसे बड़े हीरो थे. साल 2007 में भी भारत ने जब पहला टी20 वर्ल्ड कप जीता था कि युवराज की बैटिंग ने विरोधियों के होश उड़ा दिए थे.

जहीर खान 2014 तक भारत के लिए खेलते रहे तो युवराज ने अपना आखिरी इंटरनेशनल मैच 2017 में खेला. जहीर खान जब रिटायर हुए तो उनके नाम टेस्ट क्रिकेट में 311 और वनडे में 281 विकेट दर्ज थे. इसके अलावा 17 टी20 इंटरनेशनल विकेट भी इस लेफ्टआर्म पेसर ने झटके हैं. युवराज सिंह ने संन्यास लेने से पहले भारत के लिए वनडे में 8701 रन बनाए और 111 विकेट झटके. टेस्ट मैचों में वे अपने टैलेंट का सही इस्तेमाल नहीं कर सके और 40 मैच में 1900 रन ही बना पाए. लेकिन वनडे मैचों की तरह टी20 में उनका करियर बेहद कामयाब रहा. युवी ने 58 टी20 इंटरनेशनल मैचों में 1177 रन बनाए और 28 विकेट भी झटके.

भारतीय चयनकर्ता ले सकते हैं सबक
जब जहीर खान ने डेब्यू किया तब तक अजित आगरकर टीम के सीनियर गेंदबाजों में शुमार थे. अब आगरकर भारतीय टीम के मुख्य चयनकर्ता हैं. देखना है कि पटरी से उतर चुकी टीम इंडिया में वे कोई नया चेहरा जोड़ते हैं या फिर आउट ऑफ फॉर्म खिलाड़ियों के साथ ही जाते हैं.

Bharat Baani Bureau

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