28 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – रूस-यूक्रेन जंग के बीच पुतिन अब अपने स्कूली बच्चों को पाठ पढ़ाने में जुट गए हैं. यूक्रेन संग रूस युद्ध क्यों कर रहा है, इसका कारण अब रूस का बच्चा-बच्चा जानेगा. जी हां, रूस ने स्कूली बच्चों के लिए एक नई किताब जारी की है. इसमें यूक्रेन में चल रहे युद्ध की तुलना नाजियों के खिलाफ सोवियत संघर्ष से की गई है. मॉस्को में सोमवार को पेश की गई इस किताब में कहा गया है कि रूस को यूक्रेन में सेना भेजने के लिए ‘मजबूर’ होना पड़ा था.
राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन इस युद्ध को एक कठिन लेकिन जरूरी लड़ाई बता रहे हैं. मॉस्को आधिकारिक तौर पर इसे ‘विशेष सैन्य अभियान’ कहता है. उनका कहना है कि पश्चिमी देशों और नाटो समर्थित यूक्रेन के खिलाफ यह लड़ाई जरूरी है. पुतिन के मुताबिक, यह पश्चिम के खिलाफ एक बड़ी लड़ाई का हिस्सा है जो रूस को कमजोर और खत्म करना चाहता है. जबकि यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगी कहते हैं कि रूस क्रूरता और अकारण युद्ध छेड़ रहा है. उसका मकसद सिर्फ जमीन हथियाना है.
तीन खंडों वाली किताब ‘रूस का सैन्य इतिहास’ का संपादन व्लादिमीर मेडिंस्की ने किया है. मेडिंस्की पुतिन के सहयोगी हैं. उन्होंने 2022 में युद्ध के शुरुआती महीनों में यूक्रेन के साथ असफल शांति वार्ता करने वाले एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था. वे रूस की मुख्य इतिहास की पाठ्यपुस्तक के सह-लेखक भी हैं. तीसरा खंड 15 साल और उससे ज्यादा उम्र के बच्चों को पढ़ाया जाएगा. यूक्रेन के नेता इसे प्रोपेगैंडा बताकर खारिज कर सकते हैं.
तीसरा खंड 15 साल और उससे अधिक उम्र के बच्चों को पढ़ाने के लिए तैयार किया गया है. जिसे यूक्रेन का नेतृत्व प्रोपेगैंडा बताकर खारिज कर सकता है. इसमें बताया गया है कि क्रेमलिन युद्ध शुरू होने और इसे कैसे लड़ा जा रहा है, इस बारे में क्या सोचता है. इसमें उन घटनाओं पर प्रकाश डाला गया है जिन्हें रूस युद्ध के मैदान की वीरता की घटनाएं मानता है. इसमें यह भी बताया गया है कि कैसे आधुनिक रूसी सेना कभी-कभी द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सोवियत सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली तकनीकों को अपना रही है.
‘पेशेवरता, अदम्यता और साहस: विशेष सैन्य अभियान में रूसी सैनिक’ नामक एक चैप्टर में यह लिखा है कि रूस को 2022 में यूक्रेन में अपने सैनिक भेजने के लिए ‘मजबूर’ होना पड़ा था. किताब में कहा गया है कि पश्चिमी देशों ने सालों से रूस की सुरक्षा चिंताओं को नजरअंदाज किया है. यह नाटो सैन्य गठबंधन के पूर्व की ओर विस्तार और 2014 में रूस समर्थक यूक्रेनी राष्ट्रपति को पश्चिमी समर्थन से हटाए जाने का संदर्भ है.
किताब में इसे पश्चिम समर्थित बताया गया है. इस घटना ने यूक्रेन को “आक्रामक रूस विरोधी पुल” में बदल दिया था. नाटो और यूक्रेन रूस के लिए कभी भी खतरा होने से इनकार करते हैं. नई किताब पर चर्चा के लिए एक संवाददाता सम्मेलन में रूसी सेना से जुड़े एक सैन्य इतिहासकार इवान बासिक ने कहा कि पश्चिमी और यूक्रेनी कार्रवाइयों ने युद्ध को ‘अनिवार्य’ बना दिया था. उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी को, स्कूली बच्चों को यह समझाने की कोशिश की गई है कि रूस कैसे मजबूर में युद्ध में कूदा.
सारांश: रूस ने “रूस का सैन्य इतिहास” शीर्षक से एक नया स्कूल पाठ्यपुस्तक जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि रूस को यूक्रेन में सेना भेजने के लिए मजबूर किया गया था। इसमें पश्चिमी देशों की आलोचना की गई है, विशेषकर नाटो के विस्तार को लेकर, जिसे रूस की सुरक्षा के लिए खतरा बताया गया है। यूक्रेन और उसके सहयोगी देशों ने इस पाठ्यपुस्तक को प्रचार के रूप में देखा है, जो युद्ध को उचित ठहराने का प्रयास है।