03 फरवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – फिच रेटिंग्स ने सोमवार को कहा कि भारत की कर्ज घटाने की रफ्तार धीमी है, जिससे बड़े आर्थिक झटके की स्थिति में सरकार की साख में गिरावट का जोखिम बना हुआ है। हालांकि, रेटिंग एजेंसी ने मध्यम अवधि में भारत के राजकोषीय रूपरेखा पर टिके रहने की क्षमता पर भरोसा जताया, जिसका मकसद कर्ज को कम करना और समय के साथ इसे नीचे लाना है।
फिच रेटिंग्स के भारत में निदेशक और प्राथमिक सॉवरेन विश्लेषक जेरेमी जूक ने आम बजट 2025-26 पर टिप्पणी करते हुए कहा, ‘‘इस बात पर भरोसा बढ़ रहा है कि सरकार मध्यम अवधि में राजकोषीय रूपरेखा का पालन कर सकती है और कर्ज को नीचे की ओर रख सकती है। यह समय के साथ सरकारी साख के लिए सकारात्मक होगा।’’
उन्होंने कहा कि फिर भी, कर्ज में कमी की रफ्तार धीमी है, जो बड़े आर्थिक झटके से जोखिम की गुंजाइश बनाती है। फिच ने स्थिर दृष्टिकोण के साथ भारत की सरकारी साख को ‘बीबीबी-’ पर रखा है। भारत की रेटिंग अगस्त, 2006 के बाद से इसी स्तर पर बनी हुई है। यह निवेश श्रेणी में सबसे निचला स्तर है। जूक ने धीमे आर्थिक माहौल के बीच भी घाटे को कम करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता का जिक्र भी किया। सरकार ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मुकाबले राजकोषीय घाटे को वित्त वर्ष 2024-25 में 4.8 प्रतिशत और 2025-26 में 4.4 प्रतिशत तक लाने की बात कही है।
जूक ने कहा कि अनुमान यथार्थवादी हैं और उनका मानना है कि लक्ष्य हासिल कर लिए जाएंगे। हालांकि, उन्होंने चेतावनी दी कि धीमी आर्थिक वृद्धि के कारण राजस्व संग्रह में मामूली गिरावट हो सकती है, और ऐसे में खर्च करते समय अतिरिक्त संयम की जरूरत होगी।