वॉशिंगटन 06 फरवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – अमेरिका ने ब्रिक्स देशों के खिलाफ अपनी नजर टेढ़ी कर ली है. चीन के खिलाफ 10 फीसदी टैरिफ, भारतीय मूल के अवैध प्रवासियों को भारत भेजने और ब्राजील को टैरिफ की धमकी के बाद अब दक्षिण अफ्रीका को लेकर नई कार्रवाई हुई है. अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि वह दक्षिण अफ्रीका में आयोजित होने वाली आगामी जी-20 मीटिंग में हिस्सा नहीं लेंगे. विदेश मंत्री रुबियो ने बुधवार को इसकी घोषणा की. वहीं इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका को अमेरिकी फंडिंग बंद करने की धमकी दी थी. दक्षिण अफ्रीका 20-21 फरवरी को जोहान्सबर्ग में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की मीटिंग की मेजबानी करेगा.
दक्षिण अफ्रीका दिसंबर 2024 से नवंबर 2025 तक जी-20 की अध्यक्षता कर रहा है. अमेरिका के विदेश मंत्री का इस मीटिंग में शामिल न होना दक्षिण अफ्रीका के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है. इससे पहले ट्रंप ने कहा था कि दक्षिण अफ्रीका जमीन जब्त कर रहा है और कुछ वर्ग के लोगों के साथ बहुत बुरा व्यवहार किया जा रहा है. उन्होंने धमकी दी थी कि इस मामले की जांच होने तक वह दक्षिण अफ्रीका के फंडिंग में कटौती करेंगे. ट्रंप के आरोपों के बाद दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा ने देश की भूमि नीति का बचाव करते हुए कहा कि सरकार ने किसी भी जमीन को जब्त नहीं किया है.
क्या बोले रुबियो?
रुबियो ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा, ‘दक्षिण अफ्रीका बहुत बुरे काम कर रहा है. निजी संपत्ति को जब्त कर रहा है. एकजुटता, समानता और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए जी-20 का उपयोग कर रहा है.’ हालांकि रुबियो ने भी इसे लेकर कोई विवरण नहीं दिया. ट्रंप ने दक्षिण अफ्रीका की जमीन नीति को लेकर शिकायत की है. दक्षिण अफ्रीकी अरबपति और ट्रंप के करीबी एलन मस्क ने भी बिना सबूत के दक्षिण अफ्रीका पर खुले तौर पर नस्लवादी स्वामित्व कानून बनाने का आरोप लगाया.
दक्षिण अफ्रीका के जरिए ब्रिक्स पर निशाना?
डोनाल्ड ट्रंप के लिए आज के समय सबसे बड़ी टेंशन ब्रिक्स है. कई बार अपने बयानों में वह इस बात को जाहिर भी करते रहे हैं. ब्रिक्स करेंसी की बात होने भर से ट्रंप इतना बौखला गए कि उन्होंने सदस्यों पर 100 फीसदी टैरिफ लगाने की बात कर दी. ब्रिक्स के शुरुआती सदस्यों में ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं. विस्तार के बाद अब इसमें ईरान, मिस्र, इथियोपिया और यूएई भी शामिल हो गए हैं. अमेरिका इसे एक पश्चिम विरोधी गुट के तौर पर देखता है. ट्रंप ने आने के बाद ब्रिक्स को चेतावनी देने वाले कदम उठाए हैं. रूस पर पहले से प्रतिबंध हैं तो चीन के खिलाफ उसने टैरिफ लगाया है. ब्राजील को भी अमेरिका टैरिफ की धमकी दे चुका है. वहीं भारत से डंकी रूट के जरिए गए अवैध आप्रवासियों को ट्रंप निकालने में लगे हैं.
सारांश : अमेरिका ने दक्षिण अफ्रीका के बहाने ब्रिक्स देशों पर निशाना साधा है और अब एक ऐसा कदम उठाया है, जिसका असर जी-20 समिट पर भी पड़ सकता है। यह स्थिति वैश्विक राजनीति में नई हलचल पैदा कर सकती है।