14 फरवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – भारत का फार्मास्यूटिकल्स उद्योग साल 2047 तक 350 अरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य लेकर चल रहा है। यह मौजूदा स्तर से अनुमानित रूप से 10 से 15 गुना वृद्धि होगी। देश पहले से ही जेनरिक दवाओं की आपूर्ति में दुनिया भर में सबसे आगे है और इसके विशेष जेनेरिक, बायोसिमिलर और नवोन्मेषी फार्मा उत्पादों पर ध्यान केंद्रित कर मूल्य श्रृंखला को आगे बढ़ाने की भी उम्मीद है।

भारतीय फार्मास्यूटिकल्स निकाय के सहयोग से बेन ऐंड कंपनी की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल फार्मास्युटिकल्स निर्यात मूल्य में भारत 11वें स्थान पर है और साल 2047 तक शीर्ष पांच देशों में शामिल हो सकता है। भारत की आजादी के 100वें साल तक महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य 350 अरब डॉलर पहुंचने से पहले भारत के फार्मास्यूटिकल्स उद्योग का निर्यात साल 2030 तक 65 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो साल 2023 में करीब 27 अरब डॉलर था। इस वृद्धि को भारत की मात्रा आधारित नजरिये से मूल्य आधारित रणनीति में तब्दील होने से बल मिलेगा। रिपोर्ट में तीन प्रमुख क्षेत्र के बारे में बताया गया है, जो इस वृद्धि के लिए मददगार साबित होंगे।

ऐक्टिव फार्मास्युटिकल्स इंग्रीडिएंट्स (एपीआई) निर्यात, जिसके मौजूदा 5 अरब डॉलर से बढ़कर साल 247 तक 80 से 90 अरब डॉलर होने की उम्मीद है।
आउटसोर्स एपीआई बाजार में चीन 35 फीसदी के साथ हावी है, लेकिन अमेरिकी बायोसिक्योर अधिनियम जैसे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला विविधीकरण प्रयासों के जरिये भारत के पास बड़ा मौका है। इसके अलावा भारत को घरेलू एपीआई उत्पादन को मजबूत करने, थोक दवा पार्कों में निवेश के जरिये और दुर्लभ कच्चे माल में आत्मनिर्भर होने के लिए भी प्रयास करना होगा। फिलहाल भारत का बायोसिमिलर निर्यात 80 करोड़ डॉलर है और इसके साल 2030 तक पांच गुना होकर 4.2 अरब डॉलर और साल 2047 तक 30 से 35 अरब डॉलर होने की उम्मीद है। अनुसंधान और विकास क्षेत्र में निवेश बढ़ाकर, अमेरिका जैसे प्रमुख बाजारों में नियामक आसान कर और क्षमता विस्तार जैसे उपायों के जरिये बायोसिमिलर में भारत की वैश्विक स्थिति को बल मिलने की उम्मीद है।

फिलहाल भारत के फार्मा निर्यात का सबसे बड़ा खंड माने जाने वाले जेनरिक फॉर्मूलेशन का निर्यात 19 अरब डॉलर का होता है, जो कुल निर्यात का 70 फीसदी है और इसके साल 2047 तक बढ़कर 180 से 190 अरब डॉलर होने की उम्मीद है। कमोडिटी जेनरिक से आगे बढ़ते हुए भारत को विशेष जेनरिक में अपनी क्षमताओं को बढ़ाना होगा, जो उच्च मार्जिन की पेशकश करता है।

आईडीएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष विरंची शाह का कहना है कि भारत की फार्मा क्षमता को भुनाने के लिए लक्षित नीतिगत उपाय जरूरी है। उन्होंने कहा, ‘भारत को अपने एपीआई उद्योग को मजबूत करने, निर्यात के लिए गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर करने और देश-विशिष्ट निर्यात रणनीतियां तैयार करने जैसे प्रयासों को बढ़ाना चाहिए।’

सारांश:

फार्मा कंपनियों से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसमें 31 लाख करोड़ रुपये के निवेश या व्यापारिक अवसरों का उल्लेख किया गया है। यह खबर भारतीय फार्मा उद्योग के लिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

Bharat Baani Bureau

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