कोल्हापुर 18 अप्रैल 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – : मेंटल हेल्थ का नाम सुनते ही कई लोगों के मन में डर, संकोच या गलतफहमी पैदा होती है. मानसिक मतलब पागलपन, ऐसा गलत समझ समाज में फैला हुआ है. फिल्मों में पागलखाना या अजीब हरकतें करने वाले मरीजों का अतिरंजित चित्रण (Exaggerated portrayal) इस डर को और बढ़ा देता है, लेकिन मेंटल हेल्थ भी फिजिकल हेल्थ की तरह ही सामान्य और महत्वपूर्ण है. मनोचिकित्सक या मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ के पास जाना कोई शॉक ट्रीटमेंट या पागलपन नहीं है, बल्कि यह आपके भावनात्मक और मेंटल हेल्थ के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना है. इस जरूरत को कैसे पहचानें और डॉक्टर के पास कब जाएं?

मेंटल हेल्थ की जरूरत कैसे पहचानें?
कोल्हापुर के प्रसिद्ध मेंटल हेल्थ विशेषज्ञ डॉ. उत्तम गव्हाणे ने जानकारी देते हुए कहा कि मेंटल हेल्थ समस्याओं के संकेत कभी स्पष्ट तो कभी सूक्ष्म होते हैं. अपने दैनिक जीवन में बदलावों पर ध्यान देना महत्वपूर्ण है. उनके अनुसार, निम्नलिखित लक्षण लगातार महसूस हो रहे हों, तो विशेषज्ञ से मिलें:

लगातार उदासी या चिंता: दो सप्ताह से अधिक समय तक उदास महसूस करना, किसी चीज में रुचि न होना या लगातार चिंता करना.

नींद या भूख की समस्याएं: बहुत ज्यादा या बहुत कम नींद आना, भूख कम होना या अनियंत्रित खाना.

भावनात्मक अस्थिरता (emotional instability): बार-बार गुस्सा आना, रोना या भावनाओं पर नियंत्रण न रहना.

समाज से अलगाव: दोस्तों, परिवार या सहकर्मियों से दूर रहना, सामाजिक संपर्क से बचना.

थकान और प्रेरणा की कमी: हमेशा थका हुआ महसूस करना, काम में ध्यान न लगना या दैनिक काम कठिन लगना.

नकारात्मक विचार (Negative thoughts): खुद को कम आंकना, अपराधबोध की भावना या खुद को नुकसान पहुंचाने के विचार आना.

डॉक्टर के पास कब जाएं?
मानसिक समस्याओं को नजरअंदाज करने से वे गंभीर हो सकती हैं. जल्दी निदान और उपचार से कई समस्याओं पर काबू पाया जा सकता है. सम्मोहन और परामर्श जैसी विधियों से मरीजों को उनकी समस्याओं की जड़ समझ में आती है और उसका समाधान मिलता है. ऐसी परिस्थितियों में तुरंत विशेषज्ञ से मिलें:

– खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचाने के विचार आना.

– दैनिक काम (नौकरी, पढ़ाई, परिवार की जिम्मेदारी) निभाना असंभव लगना.

– नशे की लत (शराब, ड्रग्स) या अन्य हानिकारक आदतें बढ़ना.

– शारीरिक कारणों के बिना लगातार सिरदर्द, छाती में धड़कन या थकान महसूस होना.

सारांश:
अगर आपको बिना किसी कारण गुस्सा आना, अचानक रो देना या लंबे समय तक चुप रहना सताने लगे, तो ये केवल मूड स्विंग नहीं बल्कि किसी गहरी मानसिक या भावनात्मक परेशानी के संकेत हो सकते हैं। ऐसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें और समय पर मानसिक स्वास्थ्य की जांच करवाएं।

Bharat Baani Bureau

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