30 अप्रैल 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग को लेकर पिछले लंबे समय से आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की केंद्र सरकार के साथ 4 मई को बैठक होगी। इस बैठक के लिए किसान संगठन के नेताओं ने पंजाब सरकार के किसी भी मंत्री को शामिल न होने की बात कही है। हालांकि किसानों के विरोध के बावजूद पंजाब सरकार 4 मई को होने वाली बैठक में हिस्सा लेने के लिए तैयार है। वहीं दूसरी तरफ केंद्र के साथ बैठक से पहले किसान यूनियनों में विवाद शुरू हो गया है। किसान नेताओं ने एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
कैबिनेट मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने कहा कि विरोध करना किसानों का अधिकार हैं, लेकिन वह किसानों के साथ हैं। अभी तक केंद्र से कोई निमंत्रण नहीं मिला है। कटारूचक्क ने कहा कि राज्य का आर्थिक नुकसान नहीं होने दिया जा सकता है। किसानों की सभी मांगें केंद्र से संबंधित है और पंजाब सरकार सिर्फ इन मांगों में उनका साथ दे सकती है। किसानों के मोर्चे को हटाने के समय किसी भी तरह से धक्केशाही नहीं की गई और उनको मोर्चे हटाने के लिए पूरा समय दिया गया।
बता दें कि किसान पहले ही साफ कर चुके हैं कि अगर पंजाब सरकार के किसी भी प्रतिनिधि ने बैठक में हिस्सा लिया तो वह बैठक में नहीं जाएंगे। अब पूरी तरह केंद्र सरकार पर निर्भर करता है कि अगर केंद्र पंजाब को बैठक का निमंत्रण भेजता है तो किसान बैठक से दूरी बना सकते हैं।
केंद्र के साथ बैठक से पहले किसान यूनियनों बीच बढ़ा आपसी विवाद
इधर दूसरी तरफ बैठक से पहले किसान यूनियनों के बीच आपसी विवाद शुरू हो गया है। भाकियू सिद्धूपुर किसान यूनियन के नेता इंद्रजीत सिंह कोटबुढ्ढा ने गंभीर आरोप लगाए हैं। इस बैठक से पहले किसान नेताओं ने एक-दूसरे पर आरोप लगाने शुरू कर दिए हैं। इंद्रजीत सिंह ने कहा कि आंदोलन को चलाने के लिए पैसे एकत्रित किए गए, लेकिन उनका कोई हिसाब नहीं दिया गया। अगर इतने पैसे का सही रूप से इस्तेमाल किया जाता तो इससे किसानों का कर्ज उतारा जा सकता था। साजिश के तहत इस आंदोलन को खत्म करने का प्रयास किया गया है। पहले आंदोलन के दौरान किसान तीन कानून वापस कराने में सफल रहे, लेकिन इस बार आंदोलन का कोई रिजल्ट नहीं रहा।
लंगर चलाने के लिए भी रसद को बेचा
उन्होंने आरोप लगाया कि लंगर चलाने के लिए भी रसद को बेचा गया, जिसे लेकर जवाबदही करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाए कि कई नेताओं को स्टेज से दूर रखा गया और महत्वपूर्ण अहम फैसलों का हिस्सा नहीं बनाया गया। किसान नेताओं को बोलने भी नहीं दिया गया, लेकिन किसान के हितों को ध्यान में रखते हुए आज तक आवाज उठाई।
वहीं, दूसरी तरफ संयुक्त किसान मोर्चा गैर राजनीतिक ने किसी भी तरह के आरोपों को सिरे से नकार दिया है। यूनियन ने कहा कि किसी भी तरह की गड़बड़ी नहीं हुई है। सभी चीजों का हिसाब में बैठक में रखा जा रहा है।