19 मई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – आतंकवाद पर ज़ीरो टॉलरेंस का ढिंढोरा पीटने वाला अमेरिका अपनी बारी में सब कुछ भूल जाता है. अगर कोई कपड़े की तरह अपनी नीतियां और स्टैंड बदलता है, तो उसमें अमेरिका को अव्वल दर्जे पर रखा जाएगा. वो अपने फायदे के लिए कभी भी किसी से भी हाथ मिला सकता है. इस तथ्य को साबित करने वाली ताज़ा तस्वीर इस वक्त हर कहीं सुर्खियों में है, जहां डोनाल्ड ट्रंप उससे हाथ मिला रहे हैं, जिसे अमेरिका सर्टिफाइड आतंकी मानता रहा है.
अभी 6 महीने पहले की बात है, अमेरिका उसे पोस्टर छपवाकर ढूंढने वाले को करोड़पति बनाने का दावा कर रहा था. आज अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप उसे भरी सभा में ‘आकर्षक, जवान और मजबूत शख्स’ कहकर संबोधित कर रहे हैं. वाकई अमेरिका से बड़ा दोगला देश कोई हो ही नहीं सकता है. हम बात कर रहे हैं सीरिया के राष्ट्रपति अहमद अल शरा की, जो अमेरिका की सिक्योरिटी एजेंसीज़ का दुश्मन हुआ करता था, लेकिन अब डोनाल्ड ट्रंप के पसंदीदा लोगों में से एक है.
कौन है अहमद अल शरा?
सबसे पहले ये जान लीजिए कि अमेरिका का प्यारा-दुलारा बना हुआ अहमद अल शरा है कौन? इसे मोहम्मद अल जुनानी के नाम से जानते हैं और अमेरिकन वॉन्टेड पोस्टर पर भी इसका यही नाम लिखा है. इसके साथ ही इसे पकड़ने वाले को करीब 85 करोड़ के इनाम देने का भी वादा किया गया था. 1982 में सऊदी अरब में पैदा हुए अल-शरा दमिश्क में ही रहे. साल 2006 में अमेरिका ने उसे गिरफ्तार भी किया था और वो 2011 तक कुख्यात कैंप बुका जेल में रहा. यहीं उसकी मुलाकात ISIS के अबू बकर अल बगदादी से हुई और वो उसके कट्टरपंथी विचारों से प्रभावित हुआ. साल 2012 में वो सीरिया में अल-नुसरा फ्रंट फ्रंट बनाकर काम करने लगा. इस संगठन ने सीरियाई राष्ट्रपति रह चुके बशर अल-असद से विद्रोह किया. इस दौरान उसने जमकर हत्या, अपहरण और नरसंहार किए. साल 2013 में वो इस्लामिक स्टेट से अलग हुआ. इसके बाद वो राजनीतिक गलियारे में भी घुस गया और HTS बनाकर असद के हटने के बाद खुद सीरिया का अंतरिम राष्ट्रपति बन गया.
जिसने दिया घाव, उससे मिला लिया हाथ
आपको बता दें कि अल-शरा के आतंकी बनने की शुरुआत उस अल कायदा संगठन से हुई थी, जिसने अमेरिका में 9/11 का खौफनाक आतंकवादी हमला किया था. 2003 में हुए इस हमले के बाद ही अल-शरा अलकायदा में शामिल हुआ और साल 2006 में पकड़ा गया था. जेल से वापसी के बाद उसने अल नुसरा बनाया भी था अलकायदा के समर्थन से ही था. साल 2017 में अमेरिका ने अल-शरा को ग्लोबल टेररिस्ट घोषित कर दिया और उसके सिर पर पूरे 10 मिलियन डॉलर का इनाम रखा. उधर साल 2024 में अल-शरा की HTS ने सत्ता हासिल कर ली और अमेरिका की नज़र में उसके सारे दाग धुल गए.
अमेरिका की हिपोक्रेसी का इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिल सकता कि अल-शरा से मिलने के बाद ट्रंप ने उसे न सिर्फ आकर्षक, जवान और मजबूत आदमी कहा बल्कि एक बेहतरीन अतीत वाला इंसान भी बताया. उन्होंने सीरिया पर लगाए गए सारे व्यापक प्रतिबंधों को हटा दिया. डोनाल्ड ट्रंप अब तो सीरिया के साथ रिश्ते भी बेहतर बनाना चाहते हैं और उनसे डील भी कर रहे हैं.
सारांश:
एक ऐसा आतंकी, जिस पर 85 करोड़ रुपये का इनाम घोषित है, अब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नज़दीकी में देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि व्यापारिक हितों के चलते ट्रंप ने इस व्यक्ति के आपराधिक और आतंकवादी इतिहास को नजरअंदाज़ कर दिया। यह मामला अमेरिकी राजनीति और नैतिकता पर बड़े सवाल खड़े करता है।