19 मई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – After boycott Turkey: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को चरम पर पहुंचा दिया. इस हमले के बाद भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए. इस सैन्य कार्रवाई ने न केवल पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया.
वहीं पाकिस्तान को तुर्की के खुले समर्थन ने भारत में एक नई बहस और आक्रोश को जन्म दिया. तुर्की द्वारा पाकिस्तान को ड्रोन और सैन्य सहायता प्रदान करने की खबरों ने भारत में ‘बॉयकॉट तुर्की’ अभियान को हवा दी, जिसका असर व्यापार, पर्यटन और कूटनीति पर स्पष्ट दिखाई दे रहा है. आइए, इन परिस्थितियों का विश्लेषण करते हैं और समझते हैं कि इसका भारत और क्षेत्रीय स्थिरता पर क्या प्रभाव पड़ रहा है.
पहलगाम हमला और भारत की प्रतिक्रिया
पहलगाम में हुए आतंकी हमले के लिए सीधे तौर पर जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों को दोषी पाया गया. इन दोनों आतंकी संगठनों को पाकिस्तान का समर्थन प्राप्त है. पहलगाम के इस हमले में 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की जान चली गई थी. जिसके बाद, भारत ने त्वरित और कड़ा जवाब देने का फैसला किया.
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के कई आतंकी ठिकानों को नष्ट किया. भारतीय सेना ने आकाश मिसाइल सिस्टम जैसे स्वदेशी हथियारों का उपयोग कर पाकिस्तान के हमलों को नाकाम किया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे “मेड इन इंडिया” हथियारों की ताकत का प्रदर्शन बताया. इसके बाद, 7-8 मई 2025 को पाकिस्तान ने अस्सिगार्ड सोंगर और बायरकटर टीबी2 जैसे तुर्की में निर्मित सैकड़ों ड्रोनों का उपयोग कर भारत पर हमले की कोशिश की. भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने इन हमलों को न केवल विफल कर दिया.
जवाबी कार्रवाई में भारत की ब्रह्मोस मिसाइल ने पाकिस्तान के कई एयरबेस और इलाकों को खंडहर में बदल दिया. वहीं, भारत के खिलाफ हमलों में तुर्की की संलिप्तता भी सबसे सामने आ गई और भारत में तुर्की के खिलाफ गुस्सा भड़क उठा.
भारत में ‘बॉयकॉट तुर्की’ अभियान
तुर्की के इस रुख से भारत में व्यापक आक्रोश फैल गया. सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey ट्रेंड करने लगा, और नागरिकों ने तुर्की के उत्पादों और पर्यटन का बहिष्कार शुरू कर दिया. भारत और तुर्की के बीच सालाना व्यापार लगभग 10.43 अरब डॉलर (2023-24) का है, जिसमें भारत का निर्यात 6.65 अरब डॉलर और आयात 3.78 अरब डॉलर है. तुर्की से भारत मुख्य रूप से संगमरमर (70% आयात), सेब (लगभग 1.60 लाख टन सालाना) और पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है. वहीं, भारत तुर्की को खनिज ईंधन, कपास, और इंजीनियरिंग सामान निर्यात करता है.
‘बॉयकॉट तुर्की’ का कारोबार पर असर
संगमरमर उद्योग: उदयपुर के मार्बल व्यवसायियों ने तुर्की से आयात बंद करने का ऐलान किया. भारत तुर्की से सालाना 14-18 लाख टन संगमरमर आयात करता है, जिसकी कीमत 2,500-3,000 करोड़ रुपये है. इस बहिष्कार से तुर्की को बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है.
सेब आयात: हिमाचल और अन्य राज्यों के फल विक्रेताओं ने तुर्की के सेबों का बहिष्कार शुरू किया. तुर्की से भारत सालाना 1,000-1,200 करोड़ रुपये के सेब आयात करता है.
पर्यटन: तुर्की की अर्थव्यवस्था का 12% हिस्सा पर्यटन से आता है और 2024 में 2,87,000 भारतीय पर्यटक तुर्की गए थे. EaseMyTrip और Ixigo जैसे प्लेटफॉर्म्स ने तुर्की की गैर-जरूरी यात्रा न करने की सलाह दी. मई-जुलाई 2025 के बीच तुर्की के लिए लगभग 2,000 बुकिंग्स रद्द हो चुकी हैं.
रक्षा क्षेत्र: तुर्की द्वारा पाकिस्तान को ड्रोन आपूर्ति की खबरों के बाद भारत ने तुर्की की एक फर्म सेलेबी ग्राउंड हैंडलिंग की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी, जो भारत के नौ एयरपोर्ट्स पर अपरी सर्विस देती थी.
बॉयकॉट तुर्की का भारत पर असर
आर्थिक रूप से, भारत तुर्की पर निर्भर नहीं है. तुर्की के साथ भारत का व्यापार उसके कुल वैश्विक व्यापार का केवल 1-2% है. भारत वैकल्पिक स्रोतों, जैसे न्यूजीलैंड (सेब) और इटली (संगमरमर), की ओर रुख कर सकता है. पर्यटन के मामले में भी भारतीय पर्यटक मालदीव, थाईलैंड, और यूरोपीय देशों को चुन सकते हैं.
भारत तुर्की को क्या निर्यात करता है?
भारत तुर्की को विभिन्न प्रकार की वस्तुएं निर्यात करता है, जिनमें कच्चा माल, तैयार उत्पाद, और औद्योगिक सामान शामिल हैं. 2023-24 के आंकड़ों के आधार पर प्रमुख निर्यात वस्तुएं और उनका मूल्य निम्नलिखित हैं:
खनिज ईंधन और तेल:
मूल्य: 960 मिलियन डॉलर (लगभग 8,000 करोड़ रुपये)
विवरण: पेट्रोलियम उत्पाद और अन्य खनिज तेल तुर्की में भारी मांग में हैं.
कपास और सूती धागा:
मूल्य: लगभग 500 मिलियन डॉलर
विवरण: भारतीय सूती धागा और कपड़े तुर्की के कपड़ा उद्योग में लोकप्रिय हैं.
इंजीनियरिंग सामान:
मूल्य: लगभग 400 मिलियन डॉलर
विवरण: इसमें ऑटोमोबाइल पार्ट्स, विद्युत मशीनरी, और अन्य औद्योगिक उपकरण शामिल हैं.
रसायन (कार्बनिक और अकार्बनिक):
मूल्य: लगभग 300 मिलियन डॉलर
विवरण: फार्मास्यूटिकल उत्पाद, टैनिंग, और रंगाई से संबंधित रसायन.
एल्यूमीनियम और स्टील उत्पाद:
मूल्य: लगभग 200 मिलियन डॉलर
विवरण: धातु उत्पाद जो निर्माण और उद्योगों में उपयोग होते हैं.
अन्य वस्तुएं:
प्लास्टिक, रबर, मानव निर्मित फाइबर, और टेलीकॉम उपकरण. तुर्की में भारतीय तंबाकू और कॉफी की भी मांग है.
तुर्की से भारत क्या आयात करता है?
तुर्की से भारत विभिन्न प्रकार के कच्चे माल, फल, और औद्योगिक उत्पाद आयात करता है. 2023-24 के आंकड़ों के आधार पर प्रमुख आयात वस्तुएं और उनका मूल्य निम्नलिखित हैं:
खनिज तेल और पेट्रोलियम:
मूल्य: 1.81 अरब डॉलर (लगभग 15,100 करोड़ रुपये)
विवरण: तुर्की से भारत को पेट्रोलियम उत्पादों की आपूर्ति होती है.
संगमरमर (मार्बल) और ग्रेनाइट:
मूल्य: लगभग 500 मिलियन डॉलर
विवरण: तुर्की भारत के आयातित संगमरमर का लगभग 70% आपूर्ति करता है. सालाना 14-18 लाख टन मार्बल आयात होता है, जिसकी कीमत 2,500-3,000 करोड़ रुपये है.
सेब:
मूल्य: लगभग 10 मिलियन डॉलर
विवरण: 2023-24 में भारत ने तुर्की से 1,60,000 टन सेब आयात किए, जो हिमाचल और अन्य राज्यों में लोकप्रिय हैं.
सोना और मोती:
मूल्य: 132 मिलियन डॉलर
विवरण: प्राकृतिक और संवर्धित मोती, साथ ही सोने के आभूषण.
अकार्बनिक रसायन और अन्य सामग्री:
मूल्य: 188 मिलियन डॉलर
विवरण: नमक, सल्फर, प्लास्टर सामग्री, और चूना.
अन्य वस्तुएं:
सब्जियां, सीमेंट, लोहा और स्टील, और इलेक्ट्रिकल उपकरण.
सारांश:
तुर्की और भारत के बीच व्यापार और कूटनीति का समीकरण समझना जरूरी है। तुर्की हमसे क्या लेता है और हमें उससे क्या मिलता है, इसके आधार पर दोनों देशों को कितना लाभ या हानि हो रही है, इसका विश्लेषण इस रिपोर्ट में किया गया है। जानिए दोनों देशों के बीच के फायदे-नुकसान की पूरी गणित।