22 मई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) -: पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एनआरआई लोगों से संपत्ति धोखाधड़ी के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त करते हुए इसे चिंताजनक प्रवृत्ति करार दिया है। खुद को संपत्ति का मालिक बता एनआरआई की संपत्ति बेचने वाले आरोपी व्यक्तियों को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने अग्रिम जमानत देने से इन्कार करते हुए यह टिप्पणी की है।
लुधियाना निवासी बगेल सिंह और रघुवीर सिंह ने याचिका दाखिल करते हुए अग्रिम जमानत की मांग की थी। आरोप के अनुसार लुधियाना में एक एनआरआई के स्वामित्व वाली करोड़ों की संपत्ति को केवल 30.20 लाख रुपये में बेचा गया था। कोर्ट ने कहा कि यह अजीब है कि बिक्री विलेख के निष्पादन के समय उप-पंजीयक ने डिमांड ड्राफ्ट के बजाय चेक प्रस्तुत करने की अनुमति दी। मामले के तथ्य और परिस्थितियां स्पष्ट रूप से संकेत देती हैं कि याचिकाकर्ता और अन्य सह-आरोपी ने एनआरआई की संपत्ति हड़पने की एक बड़ी साजिश रची थी।
पंजाब सरकार ने कहा कि सह-आरोपी के पक्ष में बिक्री विलेख निष्पादित किए जाने के समय वास्तविक मालिक को धोखाधड़ी के बारे में पता भी नहीं था। राजस्व अधिकारियों सहित अन्य सह-आरोपी की भूमिका स्थापित करने के लिए याचिकाकर्ताओं से हिरासत में पूछताछ करना अनिवार्य है।
कोर्ट ने कहा कि यह मामला एक और परेशान करने वाली प्रवृत्ति का उदाहरण है जो लगातार बढ़ रही है। बेईमान व्यक्ति एनआरआई का फायदा उठाते हैं, खासकर उन लोगों का जो अक्सर भारत नहीं आ पाते या यहां अपनी संपत्ति का प्रबंधन नहीं कर पाते। बार-बार ऐसे कमजोर संपत्ति मालिकों को जाली दस्तावेजों, पावर ऑफ अटॉर्नी के दुरुपयोग के माध्यम से धोखा दिया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर उनकी संपत्ति बहुत कम कीमत पर बेची जाती है। यह रियल एस्टेट पारिस्थितिकी तंत्र में जनता के विश्वास और अंततः राज्य की आर्थिक स्थिरता पर भी व्यापक प्रभाव डालते हैं।
सारांश: कोर्ट ने कहा कि बेईमान व्यक्ति एनआरआई का फायदा उठाते हैं, खासकर उन लोगों का जो अक्सर भारत नहीं आ पाते या यहां अपनी संपत्ति का प्रबंधन नहीं कर पाते। बार-बार ऐसे कमजोर संपत्ति मालिकों को जाली दस्तावेजों, पावर ऑफ अटॉर्नी के दुरुपयोग के माध्यम से धोखा दिया जाता है।