19 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) हर कोई चाहता है कि नजर तेज रहे जिससे लंबी उम्र तक आंखें दुनिया की हर खूबसूरती को देख सकें। आंखें ही तो हैं जो दुनिया का हर रंग दिखाती हैं और सेहत का हाल भी बताती हैं। लेकिन जब बात फिटनेस की आती है तो आंखों पर किसी का ध्यान ही नहीं जाता, जबकि कई बार हमारी आंखों में हुई छोटी दिक्कत किसी बड़ी बीमारी का सिग्नल होती है। जैसे आंखों के फड़कने को ही ले लीजिए। आंखों के फड़कने को लोग शुभ अशुभ से जोड़कर देखते हैं। लेकिन डॉक्टर्स ऐसा नहीं मानते उनके मुताबिक eyes blink होने की सबसे कॉमन वजह होती है तनाव। दरअसल स्ट्रेस होने पर आंखों की मसल्स में खिंचाव आता है और उनके सिकुड़ने से आंखें फड़कती हैं। कुछ मामलों में आंखों का फड़कना न्यूरोलॉजिकल प्रॉब्लम का भी इशारा हो सकता है।
इसके अलावा आजकल लोगों में ड्राई आई की प्रॉब्लम भी आम हो गई है। क्योंकि लगातार कंप्यूटर और मोबाइल पर काम करने से आंखों में नमी खत्म होने लगती है जो आंखों के लिए नुकसान दायक है। ड्राई आई सिंड्रोम तो इस वक्त हेल्थ एक्सपर्ट्स के लिए सिरदर्द बना हुआ है। दुनिया में 36 करोड़ लोगों को ये दिक्कत है। मॉनसून में तो ये परेशानी और बढ़ जाती है। बरसात में तो आंखों में एलर्जी-इंफेक्शन की परेशानी भी घर घर में देखने को मिलती है। वहीं कैटरेक्ट-ग्लूकोमा, डायबिटिक रेटिनोपैथी, मायोपिया जैसी बीमारियों का तो आपको पता होगा। दुनिया में 220 करोड़ लोगों को आंखों की परेशानी से जूझ रहे हैं। इनमें भी करीब 100 करोड़ की परेशानी क्रिटिकल है।
इसके लिए योग का सहारा लें। योग से आंखों की कई परेशानियों को दूर किया जा सकता है। जी हां रोजाना योग-प्राणायाम-त्राटकको जीवन का हिस्सा बनाएंगे तो चश्मे का नंबर ज़रूर घटा पाएंगे। इससे आंखें लंबी उम्र तक सेहतमंद रहेंगी और आप उम्र के आखिरी पड़ाव तक इस दुनिया की खूबसूरती, कुदरत के रंगों को देख पाएंगे। आइये स्वामी रामदेव से जानते हैं आखों को स्वस्थ रखने का क्या है तरीका?
आंखों की बीमारी का क्या है कारण?
- एलर्जी
- प्रदूषण
- कम्प्यूटर पर काम
- जेनेटिक
- चोट लगना
- हाई बीपी
- डायबिटीज़
भारत में आंखों की बीमारी
- मोतियाबिंद 66%
- ग्लूकोमा 5%
- कॉर्निया प्रॉब्लम 8%
- मायोपिया 30%
स्क्रीन टाइम बढ़ा रहा है आंखों पर खतरा
- ड्राईनेस
- एलर्जी
- इंफेक्शन
- मायोपिया
- कैटरेक्ट
- ग्लूकोमा
- मैक्युलर डिजेनरेशन
आंखों की रोशनी बढ़ाएं
- सुबह-शाम 30 मिनट प्राणायाम करें
- अनुलोम-विलोम करें
- 7 बार भ्रामरी करें
- ‘महात्रिफला घृत’ पीएं
- 1 चम्मच दूध के साथ लें
- दिन में दो बार खाने के बाद लें
- एलोवेरा-आंवला का जूस पीएं
नजर होगी शार्प
- गुलाब जल में त्रिफला का पानी मिलाएं
- मुंह में नॉर्मल पानी भरें
- त्रिफला-गुलाब जल से आंखें धोएं
- किशमिश और अंजीर खाएं
- 7-8 बादाम पानी में भिगोकर खाएं
चश्मा नहीं लगेगा अगर खाएंगे ये चीजें
- गाजर
- पालक
- ब्रोकली
- शकरकंद
- स्ट्रॉबेरी
चश्मा उतारने के लिए क्या खाएं
- बादाम, सौंफ और मिश्री लें
- पीस कर पाउडर बना लें
- रात को गर्म दूध के साथ लें
सारांश:
आंख फड़कना अक्सर लोग शुभ या अशुभ संकेत मानते हैं, लेकिन योग गुरु स्वामी रामदेव का मानना है कि यह कई बार किसी बीमारी या कमजोरी का संकेत भी हो सकता है। उन्होंने बताया कि योग और त्राटक जैसी क्रियाएं न सिर्फ आंखों की रोशनी बढ़ाती हैं, बल्कि चश्मे का नंबर घटाने में भी मदद कर सकती हैं। नियमित अभ्यास से आंखों की सेहत बेहतर बनी रहती है।