cluster

20 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – इस्राइल और ईरान के बीच संघर्ष अब अपने आठवें दिन में पहुंच चुका है। दोनों ही तरफ से एक-दूसरे पर जबरदस्त हमले जारी हैं। जहां इस्राइली सेना ने ईरान में गुरुवार देर रात से लेकर शुक्रवार अल-सुबह तक परमाणु हथियार के विकास कार्यक्रमों से जुड़े ठिकानों पर हमले बोले। वहीं, ईरान ने एक के बाद एक मिसाइलों से हमला कर इस्राइल के प्रमुख शहरों- तेल अवीव और यरुशलम को निशाना बनाया। इस बीच इस्राइल ने आरोप लगाया है कि ईरान ने मिसाइलों के हमले के दौरान उस पर क्लस्टर बम भी दागे हैं। इस्राइल का कहना है कि ईरान ने ऐसा आम लोगों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से किया। अगर इस्राइल का यह आरोप सही है तो सात दिन के संघर्ष में यह पहली बार होगा, जब क्लस्टर म्यूनिशन का इस्तेमाल किया गया है। 

इस युद्ध सामग्री को लेकर दुनियाभर में विवाद है। 2008 में एक संधि के तहत इस तरह के हथियारों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया। ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर क्लस्टर बम होता क्या है? यह बम कितना खतरनाक होता है? इसे लेकर विवाद क्यों है? उनका इस्तेमाल कब और कहां किया जा चुका है? किस हालिया जंग में इसके इस्तेमाल की खबरें आई थीं? आइए जानते हैं…

क्लस्टर बम क्या है?
एक क्लस्टर बम असल में सैकड़ों छोटे-छोटे बमों का संग्रह होता है। जब इन बमों को दागा जाता है तब ये बीच रास्ते में फट कर बहुत बड़े इलाके को नुकसान पहुंचाते हैं। इससे टारगेट के आसपास भी भारी नुकसान पहुंचता है। इसका इस्तेमाल अधिकतर इन्फेंट्री यूनिट या दुश्मन देश की सेना के जमावड़े को नुकसान पहुंचाने के लिए किया जाता है। रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति (आईसीआरसी) के अनुसार, इन्हें विमानों, तोपखाने और मिसाइलों द्वारा दागा जा सकता है। क्लस्टर बमों को हवा और जमीन दोनों जगहों से दागा जा सकता है।

कैसे लॉन्च किए जा सकते हैं क्लस्टर बम?
क्लस्टर बमों को अलग-अलग तरह से किसी देश पर दागा जा सकता है। इन्हें लंबी दूरी तक मार करने वाली तोपों के गोले में भरकर निशाने पर भेजा जा सकता है। इसके अलावा मिसाइलों, रॉकेट या एयरक्राफ्ट से नीचे गिराया जा सकता है। कई मल्टीपल लॉन्चिंग वाले रॉकेट सिस्टम एक बार में कई क्लस्टर बमों को गिराकर बड़ी तबाही मचा सकते हैं।

उदाहरण के लिए मल्टीपल लॉन्चिंग रॉकेट सिस्टम का M26A1/A2 वैरियंट एक बार में 518 बमों वाले क्लस्टर म्यूनिशन को ले जाने में सक्षम है। वहीं M864 वर्जन की तोप के जरिए एक गोले से 76 बमों वाले क्लस्टर बम को लॉन्च किया जा सकता है।

ये बम कितने खतरनाक हैं?
बमों को जमीन से टकराते ही विस्फोट करने के लिए बनाया जाता है और उस क्षेत्र में किसी के भी मारे जाने या गंभीर रूप से घायल होने की बहुत आशंका होती है। कई बम तुरंत विस्फोट करने में विफल हो जाते हैं, लेकिन ये बम उनके उपयोग के लंबे समय बाद लोगों के लिए खतरा पैदा करते हैं। क्लस्टर बमों से गोला-बारूद दागे जाने के वर्षों या दशकों बाद भी यह फट कर लोगों को मार सकता है या अपंग कर सकता है।

बम विवादित क्यों माने जाते हैं?
2008 में डबलिन में कन्वेंशन ऑन क्लस्टर म्यूनिशन नाम से अंतरराष्ट्रीय संधि अस्तित्व में आई। इस संधि के तहत क्लस्टर बमों को रखने, बेचने या इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी गई थी। इस संधि में शामिल देशों को इसे मानने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। 

हालांकि, दुनिया के कई देशों ने इस संधि का विरोध किया और इसके सदस्य नहीं बने। इनमें भारत, रूस, अमेरिका, चीन, पाकिस्तान और इस्राइल शामिल थे। सितंबर 2018 तक इस संधि पर दुनिया के 108 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं। क्लस्टर म्यूनिशन कोलिशन के अनुसार, 2008 में कन्वेंशन को अपनाने के बाद से 99% वैश्विक भंडार नष्ट हो गए हैं।

what is Cluster Bomb and how is it dangerous and Why Ukraine wants this from America

भले ही क्लस्टर बमों का उत्पादन और इस्तेमाल प्रतिबंधित है लेकिन, अमेरिका, इराक, उत्तर कोरिया और खुद इस्राइल समेत दुनिया के कई देशों पर इनके प्रयोग करने के आरोप लगते रहे हैं। मानवाधिकार समूहों का कहना है कि आबादी वाले इलाकों में क्लस्टर बमों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून का उल्लंघन है क्योंकि ये अंधाधुंध विनाश का कारण बनते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, क्लस्टर बम हताहतों में से साठ प्रतिशत लोग रोजमर्रा की गतिविधियों के दौरान घायल हुए हैं, जिसमें से एक तिहाई बच्चे हैं।

क्लस्टर बम का उपयोग कहां किया गया है?
क्लस्टर बमों का सबसे पहले प्रयोग द्वितीय विश्वयुद्ध के समय साल 1943 में तत्कालीन सोवियत संघ और जर्मनी की फौजों ने किया था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद के वर्षों में कम से कम 15 देशों ने इनका इस्तेमाल किया। इनमें इरीट्रिया, इथियोपिया, फ्रांस, इस्राइल, मोरक्को, नीदरलैंड, ब्रिटेन, रूस और अमेरिका शामिल हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक 200 प्रकार के क्लस्टर बम बनाए जा चुके हैं।

अमेरिका ने खाड़ी युद्ध के दौरान इस बम का खूब उपयोग किया था। अमेरिका ने अफगानिस्तान युद्ध के दौरान पहाड़ियों में छिपे तालिबान लड़ाको को मारने के लिए अपने लड़ाकू विमानों से खूब क्लस्टर बम दागे। जिससे बड़ी संख्या में लड़ाके मारे गए थे।

क्लस्टर बम वियतनाम, लाओस, इराक, कंबोडिया, सीरिया सहित कई अन्य देशों में भी तबाही मचा चुके हैं। फिलीस्तीन भी इस्राइल पर इन बमों के प्रयोग को लेकर कई बार आरोप लगा चुका है। वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी में विरोध प्रदर्शन करने वाले लोग बार-बार यह आरोप लगाते हैं। हालांकि, इस्राइल ने हमेशा इन आरोपों को नकारा है। 

क्लस्टर बमों का रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भी हुआ इस्तेमाल
आरोप हैं कि रूसी सैनिकों ने यूक्रेन के आबादी वाले इलाकों में क्लस्टर हथियारों का इस्तेमाल किया, जिसके कारण कई नागरिकों की मौत हुई। ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, यूक्रेन ने रूस के कब्जे वाले क्षेत्र को फिर से हासिल करने के प्रयासों में भी उनका इस्तेमाल किया है। 

यूक्रेन ने युद्ध के दौरान क्लस्टर बमों पर जोर दिया। उसका तर्क है कि ये हथियार उसके सैनिकों को रूसी ठिकानों को निशाना बनाने और उसके जवाबी हमले में मदद करेंगे। यूक्रेन ने इन बमों को मुहैया कराने के लिए अमेरिका से भी मदद मांगी थी। हालांकि, रूस और यूक्रेन दोनों ही क्लस्टर बमों के इस्तेमाल की बात को नकारते रहे हैं। 

Bharat Baani Bureau

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